चुनावों में हर बार किस्मत आजमाते हैं 3 हजार प्रत्याशी !
चुनावों में हर बार किस्मत आजमाते हैं 3 हजार प्रत्याशी
लेकिन 82% की हर बार जब्त हो जाती है जमानत, 2018 में यह राशि 2.39 करोड़ थी
जानिए… पिछले सात चुनावों में कितने प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई
4 केस में वापस होती है राशि
- उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो जाए या उम्मीदवार खुद अपना नामांकन वापस ले ले।
- मतदान शुरू होने से पहले उम्मीदवार की मौत हो जाए।
- चुनाव में जीत हासिल हो जाए।
- हारने के बावजूद मतदान में से 1/6 से अधिक वोट प्राप्त कर ले।
क्या होती है जमानत
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार चुनाव में प्रत्याशियों को सिक्योरिटी राशि जमा करना अनिवार्य है। लोकसभा के लिए यह 25 हजार और विधानसभा के लिए 10 हजार तय है। एससी-एसटी प्रत्याशी को आधी राशि ही जमा करना होती है।
कब जब्त होती है जमानत..?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार किसी प्रत्याशी को उसकी सीट पर हुए कुल मतदान (वैध मतों की संख्या) के छठे हिस्से से कम वोट मिलते हैं तो जमानत राशि जब्त कर ली जाती है। इसके पीछे मकसद यह है कि गंभीर प्रत्याशी ही मैदान में उतरें, फिर भी कई प्रत्याशी सिर्फ नाम के लिए पर्चा भर देते हैं या जातिगत तौर पर चुनावों को प्रभावित करने के मकसद से पार्टियां डमी प्रत्याशी खड़े कर देती हैं। 2018 में 5 राष्ट्रीय, 7 क्षेत्रीय और 119 अन्य पार्टियों ने प्रत्याशी उतारे, जबकि 1094 निर्दलीय लड़े थे।