ग्रेटर नोएडा : चहेती कंपनियों को ठेका न मिलने पर अधिकारियों ने किया बड़ा खेल

 चहेती कंपनियों को ठेका न मिलने पर अधिकारियों ने किया बड़ा खेल
– नियम के अनुसार निविदा निकालने के तीन माह में पूरी नहीं की गई अनुबंध प्रक्रिया
– सीईओ ने समीक्षा बैठक में पकड़ा मामला, दो लाख तक के निकाले गए थे टेंडर

ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण के आवासीय व औद्योगिक सेक्टरों में आंतरिक विकास कार्यों के लिए निकाली गई निविदा में बड़ा खेल उजागर हुआ है। चहेती कंपनियों को ठेका न मिलने पर अधिकारियों द्वारा निविदा प्रक्रिया को जान बूझकर पूरा करने में देरी की गई। बुधवार को समीक्षा बैठक के दौरान यह मामला सामने आया। इस पर संज्ञान लेते हुए सीईओ ने अप्रैल 2022 से लेकर अब तक निकाली गई दो लाख रुपये तक की सभी निविदा की जांच के निर्देश दिए हैं। जांच एसीईओ विपिन जैन को सौंपी गई है।

यमुना प्राधिकरण ने आवासीय सेक्टर 18 व 20 में स्ट्रीट लाइट लगाने आदि विकास कार्यों के लिए नवंबर 2022 में निविदा निकाली थी। निविदा को जमा करने की अंतिम तिथि 19 जनवरी 2023 थी। दो फरवरी को निविदा खोली गई। इसमें शिव कंस्ट्रक्शन व पावर टेक समेत चार कंपनियां आईं। इसके बाद भी निविदा का वर्क आर्डर अनुबंध नहीं किया गया। नियमानुसार तीन दिन के अंदर निविदा की प्रक्रिया पूरी कर अनुबंध होना चाहिए। अधिकारियों ने कम रेट भरने वाली फर्म के साथ अनुबंध नहीं किया। आरोप है कि अधिकारी अपनी चहेती कंपनी को ठेका देना चाहते थे। इसके चलते प्राधिकरण के सिविल और विद्युत विभाग में फाइल लंबे समय तक लटकी रहीं।
नियमानुसार तीन माह में अनुबंध न होने पर संबंधित फर्म ने सिक्योरिटी मनी वापस करने के लिए आवेदन किया। फाइल प्राधिकरण के सीईओ डॉ़ अरुणवीर सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने फर्म का पैसा वापस कर निविदा निरस्त करने का आदेश दे दिया। अधिकारियों की मनमानी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सीईओ के आदेश के बाद भी फर्म को न तो पैसा वापस किया गया और न ही निविदा निरस्त की गई। इससे सेक्टर 20 में स्ट्रीट लाइट लगाने व अन्य विकास कार्य अटका रहा। पता चला है कि परियोजना व विद्युत विभाग के अधिकारियों ने अपने स्तर पर फाइल को जान बूझकर लटकाए रखा। बुधवार को सीईओ की समीक्षा बैठक में संबंधित अधिकारियाें को बुलाकर जवाब मांगा तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।
———–
निविदा निकाले के तीन माह के अंदर फर्म के साथ अनुबंध नहीं किया गया। मामले की जांच एसीईओ विपिन जैन को सौंपी गई है। दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ़ अरुणवीर सिंह, सीईओ यमुना प्राधिकरण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *