दवाई के नाम नहीं पढ़ पाता..बना हुआ था MBBS डॉक्टर !

दवाई के नाम नहीं पढ़ पाता..बना हुआ था MBBS डॉक्टर

इन्फेक्शन से मौत की शिकायत के बाद खुलासा; चार साल कोर्ट से आया फैस

इंदौर में हाथ में फुंसी का इलाज करवाने कथित डॉक्टर के पास गए एक व्यक्ति की हाथ में इन्फेक्शन फैलने से मौत हो गई। जांच में पता चला कि डॉक्टर ने क्लिनिक के बोर्ड पर तो एमबीबीएस, एमएस लिख रहा था था, लेकिन उसके पास डिग्री ही नहीं थी। दवाइयों के नाम तक फर्जी डॉक्टर पढ़ नहीं पाया। 4 साल बाद मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई।

जानिए क्या है पूरा मामला-

पहले चार साल पहले क्या हुआ था, वह जान लीजिए

वर्ष 2019 में विक्रम पिता तुलसीराम ग्राम पितावली ने शिकायत की थी कि डॉक्टर खलील एहमद की लापरवाही से मेरे पिता की मौत हो गई। उन्हें हाथ में फुंसी थी, जिसका इलाज उनसे करवाया था। शिकायत पर 30 अगस्त 2019 को देपालपुर BMO ने गौतमपुरा थाना प्रभारी को आरोपी झोलाछाप खलील एहमद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए चिट्‌ठी भेजी। उसी दिन (30 अगस्त 2019) BMO डॉ.चंद्रकला पंचोली, मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुनील असाटी व बीपीएस दिनेश पाटीदार ने पुलिस के साथ डॉ. खलील एहमद के क्लिनिक पर छापा भी मार दिया।

जांच में खुलासा हुआ कि खलील एहमद नामक व्यक्ति द्वारा उसकी दुकान के बोर्ड पर और मरीजों को दिए जाने वाले उपचार की पर्ची पर एमबीबीएस, डी.आर्थो (पटना) तथा एमएस (पटना) की डिग्री होना लिखा जा रहा है। लेकिन, उसके पास काेई डिग्री है ही नहीं। पूछताछ में वो न तो डिग्री बता सका, न ही रजिस्ट्रेशन।

जांच के बाद फर्जी डॉक्टर खलील एहमद के खिलाफ थाना गौतमपुरा में धारा 420 एवं 24 मध्यप्रदेश राज्य आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। मृतक तुलसीराम की मृत्यु के बाद धारा 304 बढ़ाई गई। जांच के बाद पुलिस ने न्यायिक मजिस्ट्रेट देपालपुर के न्यायालय में चालान पेश किया। आखिर में आरोपी फर्जी डॉक्टर खलील को 3 साल की सजा सुनाई गई।

दवाइयों के नाम तक नहीं पढ़ सका फर्जी डॉक्टर

  • डॉ. खलील के क्लीनिक पर निरीक्षण के दौरान दवाइयां, इंजेक्शन, ऑपरेशन के औजार और डॉक्टर के लेटर पैड को चेक किया गया।
  • लेटर पैड और क्लिनिक पर एमबीबीएस ऑर्थो एमएस सर्जरी की डिग्री लिखी हुई थी।
  • क्लिनिक का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं था।
  • डॉ. खलील एहमद क्लिनिक पर रखी हुई दवाइयों का नाम नहीं पढ़ पा रहा था।
  • क्लिनिक में कुछ लोगों का इलाज चल रहा था।
  • डॉक्टरों की टीम ने निरीक्षण कर बताया था कि आरोपी के क्लिनिक के उपकरण इलाज करने लायक नहीं हैं।
  • डॉ. चंद्रकला पंचोली ने अपने बयान में कोर्ट को बताया कि वो टीम के साथ क्लिनिक पर जांच के लिए गई थी।
  • आरोपी के क्लिनिक पर पहुंचकर देखा तो मरीजों के कपड़े हटाए बगैर इंजेक्शन लगाने के अलावा सलाइन चढ़ाई जा रही थी।
  • आरोपी के पास डिग्री नहीं होने के बावजूद भी आईवी फ्लूड पद्धति से इलाज किया जा रहा था।
  • डॉ.खलील के चिकित्सीय उपकरणों में जंग लगी हुई थी। उसके पास एमसीआई का रजिस्ट्रेशन नहीं था। साथ ही सीएमएचओ कार्यालय से प्राइवेट प्रेक्टिश्नर की क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन नहीं था।
  • क्लिनिक में बायो मेडिकल वेस्ट का रिकॉर्ड अपडेट नहीं हो रहा था।

डॉक्टर पर लगाया था क्लिनिक से भगाने का आरोप

तात्कालीन गौतमपुरा टीआई मनीष डाबर ने कोर्ट को बताया कि फरियादी विक्रम का आवेदन उन्होंने जांच के लिए आरक्षक विकास को दिया था। विक्रम के पिता मृतक तुलसी ने बयान में बताया था कि उसके बाएं हाथ पर फुंसी हो गई थी जिसके इलाज के लिए डॉक्टर खलील के क्लिनिक पर गए थे।

डॉक्टर खलील ने उसे इंजेक्शन लगाया था व दवाइयां देकर फुंसी पर चीरा लगाया था जिससे वह बेहोश हो गया था। दूसरे दिन उसका हाथ काला पड़ गया था जिसमें से मवाद गिर रहा था। तुलसी को लड़का विक्रम डॉक्टर खलील की क्लिनिक पर लेकर गया तो डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर भगा दिया था। 30 अक्टूबर 2019 को विक्रम ने अपने पिता तुलसी राम का मृत्यु प्रमाणपत्र पेश किया था। तुलसी राम की मृत्यु 17 अक्टूबर 2019 को हो गई थी।

बचाव में ये तर्क दिए

आरोपी खलील की तरफ से बचाव में कोर्ट में कहा गया कि उसे झूठा फंसाने के लिए कार्रवाई की गई है। 30 अगस्त 2019 को घटना स्थल पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। 30 अक्टूबर 2019 को थाने पर बैठकर उसे फंसाने के लिए झूठे डॉक्यूमेंट तैयार किए गए। उसके द्वारा क्लिनिक संचालित किया जाना और एलोपैथी पद्धति से इलाज करना प्रमाणित नहीं है। कोई सामग्री भी जब्त नहीं की गई है। लेकिन कोर्ट ने ये तर्क नहीं माने और उन्हें खारिज कर दिया।

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