महिला जनप्रतिनिधियों के साथ आए उनके पतियों को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।
दूसरे तो दूर, अपने ही बढ़ा रहे तनाव
लोकतंत्र के उत्सव का जनता के साथ ही राजनेता भी पांच साल इंतजार करते हैं। प्रदेश में उत्सव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और तमाम नेता नए कुर्ते सिलवाकर तैयार हैं। भाजपाई संगठन की सीमा में बंधे होते हैं, लेकिन कांग्रेस में ‘भिया’ के भरोसे कई मैदान थाम चुके हैं। रोचक यह है कि अभी टिकट तय होना शेष हैं, कब तक होंगे यह भी पता नहीं, लेकिन कइयों ने अपने कार्यालय खोलकर विपक्ष से पहले अपनों की ही चिंता बढ़ा दी है। देपालपुर में मोतीसिंह पटेल के कार्यालय की आवाज भाजपा से ज्यादा उनकी ही पार्टी के विधायक विशाल पटेल की नींद उड़ा रही है। विधानसभा दो में दो बार से चोट खा रहे चिंटू चौकसे का भी कार्यालय खुल चुका है। विधानसभा चार से एक नेता ने तो अपने कार्यालय पर बकायदा प्रेस वार्ता भी कर ली, जिसमें तमाम बड़े नेता भी मौजूद रहे।
बादलों से दिक्कत, सितारों के न आने से दुखी
इंदौर में लंबे समय के बाद क्रिकेट की दावत हो रही है, लेकिन मौसम वर्षा का है और संशय के बादल आयोजकों के साथ प्रशंसकों के मन में भी उमड़-घुमड़ रहे हैं। अभी शहर से बादल ठीक से छठे भी नहीं थे कि बड़े खिलाड़ियों के इंदौर न आने का नया बादल दिलों पर फट पड़ा। विराट कोहली, रोहित शर्मा और हार्दिक पांड्या के इंदौर मैच के लिए भारतीय टीम में न होने की सूचना के बाद प्रशंसक अपने टिकट के ‘मूल्य’ को लेकर चिंतित हैं। क्रिकेट का मजा बड़े खिलाड़ियों और टीम की जीत में आता है। खैर, इंदौर के प्रशंसक अनूठे हैं। यहां प्लास्टिक गेंद या टेनिस गेंद से भी क्रिकेट मैच हो तो अनजान खिलाड़ियों को देखने वालों की भीड़ जुट जाती है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मैच में भी भीड़ की कमी नहीं होगी। उम्मीद है मेघराज मजा न किरकिरा करें।
उधर टिकट न मिले तो ‘आप’ इधर आज जाना
मध्य प्रदेश में वैसे तो चुनावी रण दो दलीय ही होता है और दूसरी पार्टियां अप्रभावी ही दिखती हैं। इस बार आम आदमी पार्टी (आप) की आहट भी है। पार्टी के पास न तो कोई बड़ा चेहरा है और न ही बड़ा जनाधार नजर आता है। इसलिए दूसरी पार्टी के नेताओं पर नजर जमाए बैठे हैं, खासकर वे जो अपनों से मुंह फुलाए बैठे हैं। आप उधर टिकट न मिले तो इधर आ जाना की रणनीति पर काम कर रही। शहर में कांग्रेस के पूर्व विधायक के घर भी नेता पहुंचे, हालांकि वे फिलहाल तो पाला बदलने के मूड में नहीं दिखे। चर्चा है दोनों दलों के कुछ और नेताओं से भी संपर्क किया गया है। अब देखना है कि दोनों दलों में टिकट तय होने के बाद किसे ‘आप’ अपना बना लेती है और कौन पार्टी का निर्णय सिर माथे पर रखकर चुनाव में जुटता है।