महल विरोधी राजनीति के झंडाबरदार हैं डा गोविंद सिंह !

दिग्विजय सिंह के करीबी और महल विरोधी राजनीति के झंडाबरदार हैं डा गोविंद सिंह
MP Election 2023: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके निवास पर भोजन करने के लिए भी गए, लेकिन डा. गोविंद सिंह का रुख नरम नहीं पड़ा।
  1. भाजपा के लिए अभेद्य किला बनी हुई है लहार विधानसभा सीट।
  2. दल चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, समाजवाद की मिट्टी में डा. गोविंद सिंह अपवाद रहे।
  3. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की रहे डा सिंह।

ग्वालियर। ग्वालियर-अंचल की राजनीति में तीन दशक पहले महल के समर्थन के बगैर स्थापित होना लगभग असंभव सा था। दल चाहे भाजपा हो या कांग्रेस। समाजवाद की मिट्टी में जन्मे डा. गोविंद सिंह इस मामले में अपवाद रहे। प्रदेश के प्रमुख समाजवादी नेता रघु ठाकुर के सान्निध्य में गोविंद सिंह ने राजनीति में कदम रखा।

छात्र संघ की राजनीति के साथ सहकारिता के क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीब आए और महल विरोधी राजनीति के झंडाबरदार बन गए। वे आज भी महल पर कोई हमला करने से नहीं चूकते हैं। राजनीतिक कटुता समाप्त करने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके निवास पर भोजन करने के लिए भी गए, किंतु महल के प्रति उनका रुख कभी नरम नहीं पड़ा।
लहार सीट अभेद्य किला

गोविंद सिंह ने 1990 में लहार विधानसभा सीट से चुनाव से पहला चुनाव लड़ा और यहां अपना पैर अंगद की तरह जमा दिया। यह सीट आज भी भाजपा के लिए अभेद्य किला बनी हुई है। लहार सीट जीतना विपक्षी दलों के लिए पिछले 33 वर्ष से एक सपना बनकर रह गया है। राज्य सरकार में गृहमंत्री, सहकारिता मंत्री से लेकर विधानसभा सचेतक के लिए संगठन में कई जिम्मेदार पद का निर्वहन सफलतापूर्वक किया।

डकैत समस्या चरम पर थी

विरोधियों ने इन पर भिंड का रेत माफिया होने सहित कई आरोप लगाए, किंतु इन आरोपों की परवाह किए बगैर वे निरंतर राजनीति में आगे बढ़ते रहे। जिस समय गोविंद सिंह ने राजनीति शुरू की, उस समय डकैत समस्या भी चरम पर थी। उनका चुनाव क्षेत्र बीहडों से लगा हुआ है। ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ, जिसमें लहार विधानसभा में गोलीबारी व वोट कैप्चरिंग नहीं हुई हो और विरोधी दलों ने उनके खिलाफ दिग्गजों को न उतारा हो, इसके बाद भी जीत का सेहरा उनके ही सिर बंधा।

संघर्ष की कहानी

एक जुलाई 1951 को जन्मे डा. गोविंद सिंह वर्ष 1971-72 में पत्रिका सचिव, वर्ष 1974-75 में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष और जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ कार्यकारी परिषद के सदस्य चुने गए। कालेज कैंपस से राजनीति में अजेय गोविंद सिंह का प्रादुर्भाव हुआ। वे 1979 से 1982 तथा 1984-85 तक सहकारी विपणन संस्था, मर्यादित, लहार के अध्यक्ष चुने गए।

1984 से 1986 तक जिला सहकारी भूमि विकास बैंक, भिंड के निदेशक और 1985 से 1987 तक नगर पालिका परिषद, लहार के अध्यक्ष रहे। 1990 में पहली बार नौवीं विधानसभा के सदस्य चुने गए। उसके बाद अनवरत रूप से विधानसभा के सदस्य हैं। 2022 में गोविंद सिंह को मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया गया। 2023 के चुनाव मैदान में वे फिर से लहार से प्रत्याशी हैं।

मंत्रिमंडल में कई दायित्

छह दिसंबर 1998 को गृह राज्य मंत्री, 26 अप्रैल 2000 को सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 12 अगस्त 2002 को सहकारिता विभाग के मंत्री रहे गोविंद सिंह 10 जनवरी 2001 से नौ फरवरी 2002 तक मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित के निदेशक, 10 दिसंबर 2001 से दो जनवरी 2002 तक मध्य प्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के निदेशक, राज्य सहकारी आवास के अध्यक्ष रहे। 18 महीने की कमल नाथ सरकार में मंत्री रहने का रिकार्ड भी गोविंद सिंह के नाम है।

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