आखिर कब तक नहीं उतरेगा कांग्रेस का भूत ???
आखिर कब तक नहीं उतरेगा कांग्रेस का भूत ???
आज देश के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि सत्तारूढ़ भाजपा के सिर से कांग्रेस का भूत आखिर कब तक नहीं उतरेगा ? क्योंकि जब तक भाजपा के सिर से कांग्रेस का भूत नहीं उतरता तब तक भाजपा और उसकी सरकार ‘ सबको साथ लेकर सबका विकास ‘ नहीं कर सकती। जब तक भाजपा के सिर पर कांग्रेस का भूत सवार है तब तक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का दिन का चैन और रातों की नींद हराम है। माननीय प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा सपना देश को कांग्रेस मुक्त करने का है जो दुर्भाग्य से अभी तक अधूरा है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए माननीय प्रधानमंत्री ने सिर्फ चार में चुनाव प्रचार किया । वे चुनाव प्रचार के आखरी दौर में राजस्थान में सक्रिय थे । प्रधानमंत्री जी ने राजस्थान में बार-बार मतदाताओं से आग्रह किया है कि वे कांग्रेस को कौने-कौने से साफ़ कर दें। मै तो कहता हूँ कि प्रधानमंत्री की बात देश को गौर से सुनना चाहिए ,लेकिन दुर्भाग्य की उनकी बात न ऊपर वाला सुन रहा है और न नीचे वाले। विश्वगुरु भारत को क्रिकेट का विश्व कप उठाते हुए देखना चाहते थे । पूरा देश देखना चाहता था, हम -आप सभी देखना चाहते थे । इसके लिए प्रधानमंत्री जी ने राजस्थान की सभाओं में श्रोताओं से मोबाइल की फ्लैश लाइटें जलवाकर भारतीय किरकेट टीम को शुभकामनाएं भी भिजवायीं थीं। किन्तु वे फलीभूत नहीं हुईं।
प्रधानमंत्री के मन में क्या है ये वे ही जानते हैं ,लेकिन कांग्रेस उनके मन में ऐसी रची -बसी है कि उनका कांग्रेस प्रेम [?] देश का बच्चा -बच्चा जानता है। लेकिन मानता नहीं है । वे जितनी बार देश से कांग्रेस की सफाई का आव्हान करते हैं उतनी बार कांग्रेस किसी न किसी राज्य में भाजपा को धता दिखाकर सत्ता में आ जाती है। अब 3 दिसंबर को पता चलेगा कि पांच राज्यों के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की बात मानी या नहीं ? इन पांच राज्यों में से प्रधानमंत्री जी की सबसे ज्यादा किरकिरी मध्यप्रदेश में हुई और ये किरकिरी कराई भी उनके हमनाम नरेंद्र सिंह तोमर ने । उनके बेटे तो निमित्त मात्र हैं। चंबल के नरेंद्र को दिल्ली के नरेंद्र ने दिमनी भेजा तो बदले में दिमनी के नरेंद्र ने दिल्ली के नरेंद्र की ‘ न खाऊंगा और न खाने दूंगा ‘के अभियान की पोल खोल दी। ये तो दिल्ली वाले नरेंद्र की दरियादिली है कि उन्होंने ईडी को दिमनी वाले नरेंद्र के पीछे नहीं दौड़ाया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की हर बात को लेकर आलोचना की जाती है । उत्तराखंड की सुरंग में फंसे मजदूरों के बचाव के लिए मोदी जी ने अपनी राजनीतिक व्यवस्तता के बावजूद क्या नहीं किया ? हाँ अपनी चुनावी रैलियों में श्रोताओं से मोबाइल की फ्लैश लाइटें नहीं जलवाई । जलवा भी देते तो उससे क्या होता है ? मोबाईल की लाइटों से कुछ नहीं होता। होता तो अहमदाबाद में हो नहीं जाता। होता तो कर्नाटक में नहीं हो जाता,होता तो हिमाचल में नहीं हो जाता। होनी तो अपने आप होती है। वैसे भी इन दिनों ऊपर वाला सबकी कहाँ सुन रहा है ? ऊपर वाले ने संजय सिंह की नहीं सुनी,मनीष सिसोदिया की नहीं सुनी ,लेकिन राम-रहीम की सुन ली। राम-रहीम साहब 21 दिन की पेरोल पर बाहर आ रहे हैं लेकिन संजय और मनीष की दीपावली जेल में ही हुई।
हम सबकी यानि पूरे देश की नजर फिलहाल 23 नबंवर और 3 दिसंबर पर लगी है । 23 नबंवर को हमारे तमाम देवी-देवता 148 दिन की लम्बी नींद के बाद जागेंगे। शायद उनके जागने के बाद ही देश में कोई बड़ा परिवर्तन नजर आने लगे। हमारे देवता जब सोते हैं तब नेता जागते हैं। नेताओं का जागरण जनता को सुलाने के लिए होता है। जनता को रुलाने के लिए होता हैं । जाग्रत नेता को आपने कभी दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए देखा है ? कभी सदभाव की वर्षा करते देखा है ? कभी किसी विरोधी के घर चाय-पानी के लिए आते-जाते देखा है ? ये रवायतें भारत में एक दशक पहले हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त कर दी गयीं हैं। अब न कोई किसी को जन्मदिन की शुभकामना देने पुष्पगुच्छ लिए दिखाई देता है और कोई किसी के पांव छूते नजर आता है। आजकल देश में अदावत की राजनीति का दौर चल रहा है।
मजे की बात ये है कि तमाम विसंगतियों के बावजूद देश 05 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था की और बढ़ रहा है । मोदी मंत्रिमंडल के एक सदस्य ने तो दावा किया है कि भारत 04 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन चुका है। हाल के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पुलिस ने 1760 करोड़ रूपये की अवैध सम्पत्ति जब्त कर इस बात को प्रमाणित कर दिया की हमारे नेताओं के पास धन की कोई कमी नहीं है । कमी है तो उस 80 करोड़ आबादी के पास जिसे सरकार अभी भी पांच किलो मुफ्त का अन्न देकर ज़िंदा रखे हुए है। दुनिया की कोई सरकार इतनी दरियादिल सरकार नहीं होगी जो इतनी बड़ी आबादी को सरकारी खर्च पर पाले ! आखिर ये आबादी भी तो बहुमूल्य मताधिकार रखती है।इस भुख्खड़ आबादी को चाहिए कि वो देश हित में भाजपा की परोपकारी सरकार को बनाये रखे,कोने-कोने से साफ़ न करे । किसी एक कोने में पड़ा रहने दे,क्योंकि हमने भाजपा विहीन भारत उसी तरह अच्छा नहीं लगता जिस तरह कांग्रेस विहीन भारत। बातें करने को बहुत सी हैं,लेकिन उन्हें बाद में करेंगे । आज कि लिए इतना ही पर्याप्त है।