क्या ‘खाली हाथ’ रह जाएंगे शिवराज-वसुंधरा या मिलेगी कोई सौगात?

क्या ‘खाली हाथ’ रह जाएंगे शिवराज-वसुंधरा या मिलेगी कोई सौगात?
जानिए बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को कब क्या-क्या दिया ….
इस रिपोर्ट में कुछ ऐसे नेताओं के बारे में जानते हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद डिप्टी सीएम या राज्य सरकार में अन्य मंत्री के रूप में भी काम किया ह

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने मोहन यादव को प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार सौंपा दिया है. पार्टी के इस फैसले के साथ ही सोमवार देर शाम पिछले 18 सालों से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की इस पद से विदाई हो गई.  

शिवराज के इस्तीफे के अगले दिन आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जब उनसे दिल्ली जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “एक बात मैं बहुत ही विनम्रता से कहता हूं कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर, मैं मरना समझूंगा. वो मेरा काम नहीं है.”

मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाना न सिर्फ यहां कि जनता के लिए चौंकाये जाने वाला फैसला था बल्कि इस फैसले ने पार्टी के उन लोगों को भी उतना ही चौंकाया है, जो ये कह रहे थे कि अगर शिवराज सिंह चौहान को नहीं लाया गया तो बीजेपी प्रहलाद पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर के साथ जा सकती है.

शिवराज सिंह चौहान का बतौर मुख्यमंत्री 18 साल का रहा. इस दौरान उन्होंने अपने आपको एक जननेता के तौर पर स्थापित भी कर लिया. शिवराज सिंह चौहान के द्वारा जो स्कीम शुरू की गई थी, साख तौर पर महिलाओं पर जो स्कीम थी उसने इस चुनाव में एक गेम चेंजर का रोल जरूर निभाया है.

यही कारण है कि अब उनकी क्या जिम्मेदारी होगी, उनको कौन सा पद दिया जाएगा, वह राज्य की राजनीति में रहेंगे या केंद्र की राजनीति में चले जाएंगे इसको लेकर कई अटकलें लगाई जा रही है. 

ऐसे में इस रिपोर्ट में बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बारे में जानते हैं जो कभी मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके है. बीजेपी के उन पूर्व मुख्यमंत्रियों को कब और क्या मिला…

1. उमा भारती-  विपक्षी दलों के खिलाफ अपने भड़काऊ भाषण के लिए जानी जाने वाली उमा भारती वर्तमान में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री के रूप में सेवारत है. उमा ने साल 1984 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उस वक्त उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. साल 1989 के लोकसभा चुनाव में उमा भारती ने खजुराहो संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गईं और 1991, 1996, 1998 में यह सीट बरकरार रखी.

साल 1999 में उन्हें भोपाल सीट से सांसद चुना गया. उमा भारती ने वाजपेयी सरकार के दौरान पर्यटन, युवा एवं खेल, मानव संसाधन विकास और कोयला और खदान जैसे अलग अलग राज्य स्तरीय और कैबिनेट स्तर के विभागों में भी कार्य किया है. 

साल 2003 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में, उनके नेतृत्व में बीजेपी को तीन-चौथाई बहुमत मिला और उमा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि साल 2004 में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ सार्वजनिक बहस के बाद उमा को भारतीय जनता पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद साल 2005 में उनका निलंबन वापस ले लिया गया और उन्हें बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया गया. 

2. बाबूलाल गौर – इसी लिस्ट में भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता बाबूलाल गौर का नाम भी शामिल है. बाबूलाल गौर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता थे, जो मध्य प्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री रहे थे.

दरअसल, कर्नाटक की हुबली अदालत द्वारा 1994 के हुबली दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

गौर उनके बाद 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे. 2008 में फिर शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Chouhan) सीएम बने और उनके मंत्रिमंडल में बाबूलाल गौर मंत्री रहे थे. 

3. देवेंद्र फडणवीस देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के 18 वें मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 31 अक्टूबर, 2014 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सीएम पद की शपथ ली. 

इसके बाद साल 2019 में उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट पर जीत हासिल की. साल 2019 के नवंबर महीने में अजीत पवार की पार्टी के मदद से फडणवीस ने दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की शपथ ली, लेकिन उनकी ये सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई. 

साल 2022 में सियासी संकट के बीच उद्धव ठाकरे के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम का पद दिया गया. 

4. कल्याण सिंह- इसी लिस्ट में कल्याण सिंह का नाम भी शामिल है. कल्याण सिंह पहली बार 1967 में जनसंघ के टिकट पर अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट से विधानसभा सदस्य चुने गये. इसी सीट पर वह साल 2002 तक यानी पूरे दस बार विधायक बने.

इमरजेंसी के दौरान 20 महीनों तक जेल में रहने वाले नेता कल्याण सिंह को साल 1977 में सीएम राम नरेश यादव के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. साल 1990 में वह राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में उभरे और इसके एक साल बाद यानी 1991 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया.

इस चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई और पार्टी ने कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. साल 1992 के दिसंबर महीने में अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस के बाद उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया.

कल्‍याण सिंह ने दूसरी बार 21 सितंबर 1997 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन, इस बार वह बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से आगे पहुंचे थे. 12 नवंबर 1999 को एक फिर कल्याण सिंह ने बीजेपी से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली. मुख्यमंत्री बनने के बाद साल 2004 में वह बीजेपी के टिकट पर बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार लोकसभा सदस्य बने.

5. आनंदी बेन पटेल आनंदी बेन पटेल ने साल 1987 में बीजेपी के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत थी. उन्होंने बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. आनंदी बेन पटेल ने अपने पूरे राजनीतिक करियर के दौरान भारतीय जनता पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.

24 मई 2014 को आनंदीबेन पटेल को गुजरात का 15वीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि इस पद से उन्हें साल 2016 में कथित तौर पर पाटीदार आरक्षण आंदोलन और दलित विरोध के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. मुख्यमंत्री पद के इस्तीफे के बाद उन्होंने 23 जनवरी 2018 को ओम प्रकाश कोहली के बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला और 28 जुलाई 2019 तक इस पद पर कार्यरत रहीं.

ये हैं वो नेता जो सीएम के अलावा डिप्टी सीएम व मंत्री बने

अगर बात करें उन मुख्यमंत्रियों की जो उपमुख्यमंत्री और राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं तो इस लिस्ट में कई नाम हैं. इन नामों देवेंद्र फडणवीस, ओ पनीरसेल्वम, बाबू लाल गौर, अशोक चव्हाण का नाम भी शामिल है.

पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम 

बीजेपी के अलावा अन्य पार्टी के मुख्यमंत्रियों की बात करें तो तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के वरिष्ठ नेता ओ पन्नीरसेल्वम का नाम सबसे पहले आता है. वह तीन बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे हैं.

एक बार 2001-02 में जब जयललिता को सुप्रीम कोर्ट ने पद धारण करने से रोक दिया था, दूसरी बार 2014-15 में जब जयललिता को उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया गया था और तीसरी बार 2016-17 में जयललिता की मृत्यु के बाद ओ पनीरसेल्वम ने सीएम का पदभार संभाला था.

दो महीने बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. पनीरसेल्वम और टीम द्वारा एडीएमके पर कब्जा करने के बाद, वह तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री बने. 

अशोक चव्हाण का नाम भी शामिल

महाराष्ट्र के एक और बड़े नेता अशोक चव्हाण का नाम भी इसी लिस्ट में शामिल है. कांग्रेस के सबसे प्रभावी नेताओं में अशोक चव्हाण का नाम आता है. उन्होंने दिसंबर 2008 से नवंबर 2010 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया.

नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के बाद, विलासराव देशमुख ने नैतिक जिम्मेदारी ली और इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद चव्हाण को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया.

इससे पहले 2003 में वे महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे और बाद में 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे. 

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