सांसदों पर क्यों हुई कार्रवाई, क्या कहते हैं नियम …

141 विपक्षी सांसद सस्पेंड, अब 208 बचे:सांसदों पर क्यों हुई कार्रवाई, क्या कहते हैं नियम …

सांसदों पर क्यों और किस नियम के तहत हुई कार्रवाई, संसद में विपक्षी सांसद ही क्यों सस्पेंड किए जाते हैं, सस्पेंशन के दौरान सैलरी और विशेषाधिकार का क्या होता है; भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 10 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे…

सवाल-1: संसद के मौजूद सत्र में लोकसभा और राज्यसभा से अब तक कितने सांसदों को सस्पेंड किया गया है और क्यों?

जवाब: 4 दिसंबर 2023 को संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई, जो 22 दिसंबर तक चलेगी। 13 दिसंबर के दिन लोकसभा में दो शख्स ने घुसपैठ कर दी।

14 दिसंबर को सत्र शुरू होते ही संसद सुरक्षा चूक के मामले पर विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे, जिसके बाद कुल 14 सांसद निलंबित हुए। इनमें से 13 लोकसभा और एक सांसद राज्यसभा के थे।

18 दिसंबर को एक बार फिर सुरक्षा चूक और निलंबन के खिलाफ विरोध करने वाले 78 सांसदों को सस्पेंड किया गया। इनमें 33 लोकसभा और 45 राज्यसभा के सांसद शामिल हैं।

आज यानी 19 दिसंबर को एक बार फिर सत्र शुरू होते ही विपक्षी सांसद निलंबन के खिलाफ विरोध करने लगे। इसके बाद लोकसभा के 49 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया।

लोकसभा स्पीकर की चेयर के पास जाकर विरोध करते विपक्ष के सांसद।
लोकसभा स्पीकर की चेयर के पास जाकर विरोध करते विपक्ष के सांसद।

सवाल-2: क्या सभी निलंबित सांसद विपक्षी पार्टियों के हैं?

जवाबः हां। इस सत्र में निलंबित सभी 141 सांसद विपक्षी पार्टियों के हैं। अब दोनों सदनों में विपक्ष के सिर्फ 208 सांसद ही बचे हैं। जितनी तेजी से विपक्षी सांसदों पर कार्रवाई हो रही है, इनकी संख्या आगे और घट सकती है।

सवाल-3: लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा के सभापति किस आधार पर सांसदों को सस्पेंड करते हैं?

जवाब: जिस संसद की कार्यवाही को आप टीवी में देखते हैं, उसके लिए नियमों की पूरी एक किताब है। सदन को इसी रूल बुक के जरिए चलाया जाता है। इसी बुक के रूल 373 के तहत यदि लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्यवाही बाधित कर रहा है तो वो उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकते हैं, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकते हैं।

सवाल-4: 141 विपक्षी सांसदों पर किस नियम के तहत कार्रवाई हुई है?

जवाब: विपक्ष के सांसदों पर रूल 374 के तहत ही कार्रवाई की गई है। ऐसे में इस रूल के बारे में जानते हैं…

  • लोकसभा स्पीकर उस सांसद के नाम का ऐलान कर सकते हैं, जिसने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियमों का उल्लंघन किया हो और जानबूझकर सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई हो।
  • जब स्पीकर ऐसे सांसदों के नाम का ऐलान करते हैं, तो वह सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखते हैं। प्रस्ताव में हंगामा करने वाले सांसद का नाम लेते हुए उसे सस्पेंड करने की बात कही जाती है।
  • इसमें सस्पेंशन की अवधि का जिक्र होता है। यह अवधि अधिकतम सत्र के खत्म होने तक हो सकती है। सदन चाहे तो वह किसी भी समय इस प्रस्‍ताव को रद्द करने का आग्रह भी कर सकता है।

अब जानते हैं कि नियम 374ए क्या कहता है

5 दिसंबर 2001 को रूल बुक में एक और नियम जोड़ा गया है। इसे ही रूल 374ए कहा जाता है। यदि कोई सांसद स्पीकर के आसन के निकट आकर या सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से कार्यवाही में बाधा डालकर जानबूझकर नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है।

सवाल-5: हर बार विपक्षी सांसद ही क्यों सस्पेंड होते हैं?

जवाबः लोकसभा की रूल बुक के मुताबिक सदन को चलाने की जिम्मेदारी स्पीकर की होती है।

आम तौर पर सरकार की पॉलिसी या किसी कानून के खिलाफ विपक्षी सांसद ही विरोध करते हैं।

ऐसे हालात में अगर विरोध में कहे गए किसी कमेंट, बिहेवियर या ऐसी चीज जिसे स्पीकर अभद्र मानता है तो स्पीकर उस सांसद को सस्पेंड कर सकता है।

इसी तरह राज्यसभा के सभापति भी रूल बुक के हिसाब से सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।

देखा जाए तो ज्यादातर मामलों में विपक्षी सांसद ही सरकार की पॉलिसी या कानून को लेकर विरोध करते हैं। ऐसे में कार्रवाई में सस्पेंड होने का चांस भी उन्हीं का बनता है।

सवाल-6: सांंसदों को विशेषाधिकार मिलता है, क्या लोकसभा स्पीकर उनके अधिकारों को निलंबित कर कार्रवाई कर सकते हैं?

जवाब: भारत में संसद में किए गए किसी भी व्यवहार के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। ये ताकत उसे संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत मिली हुई है। यानी संसद में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने की छूट मिली है।

एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से कंट्रोल होता है। इस पर सिर्फ लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं।

सवाल- 7 : सांसद के सस्पेंशन को खत्म करने की प्रकिया क्या है?

जवाब : स्पीकर को किसी सांसद को सस्पेंड करने का अधिकार है, लेकिन सस्पेंशन को वापस लेने का अधिकार उसके पास नहीं है। यह अधिकार सदन के पास होता है। सदन चाहे तो एक प्रस्ताव के जरिए सांसदों का सस्पेंशन वापस ले सकता है।

सवाल- 8 : क्या सस्पेंशन के दौरान सांसदों को सैलरी मिलती है?

जवाब : हां। सदन में व्यवधान पैदा करने के लिए सस्पेंड किए गए सांसद को पूरा वेतन मिलता है। केंद्र में लगातार सरकारों द्वारा ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ की नीति दशकों से विचाराधीन है। हालांकि इसे अभी तक पेश नहीं किया गया है।

सवाल- 9: क्या ये पहली बार है कि सांसद को सस्पेंड किया गया है?

जवाब : नहीं। सांसदों के निलंबन का पहला उदाहरण 1963 में मिलता है। 1989 में सबसे बड़ी निलंबन कार्रवाई हुई थी। राजीव गांधी सरकार के दौरान सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे।

इसके बाद विपक्ष के 63 सांसदों को हंगामा करने पर निलंबित किया गया था। एक दिन बाद माफी मांगने पर निलंबन वापस ले लिया गया था। वहीं जनवरी 2019 में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 2 दिन में 45 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया था।

2014 में कांग्रेस ने अपने ही सांसद को किया था सस्पेंड

13 फरवरी 2014 को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने 18 सांसदों को सस्पेंड किया था। सस्पेंड हुए कुछ सांसद अलग तेलंगाना बनाने की मांग का विरोध कर रहे थे, जबकि कुछ अलग राज्य की मांग कर रहे थे।

इस दौरान बहुत ही अप्रत्याशित घटना देखने को मिली थी, क्योंकि सस्पेंड होने वाले एक सांसद एल राजगोपाल कांग्रेस के थे। राजगोपाल पर सदन में पेपर स्प्रे प्रयोग करने का आरोप लगा था।

वो मौके जब विपक्ष ने बीजेपी सांसदों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन नहीं हुआ..

  • 21 सितंबर को विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में कुछ ऐसा हुआ, जिसकी मिसाल भारतीय संसदीय इतिहास में शायद ही मिलेगी। बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने चंद्रयान-3 की उपलब्धियों पर चर्चा के दौरान बीएसपी के सांसद दानिश अली को गालियां दे दी थीं। दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी में बिधूड़ी पर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने लिखा था- मेरे लिए भड़वा, कटवा, मुल्ला उग्रवादी और आतंकवादी जैसे शब्द इस्तेमाल किए गए। इसके बावजूद बिधूड़ी को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
  • 2 अक्टूबर को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लोकसभा से सस्पेंड करने की मांग की। उनका कहना था कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाली महिलाओं ने उन पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। इसलिए उन्हें लोकसभा से सस्पेंड किया जाना चाहिए।
लोकसभा के भीतर तख्तियां लेकर प्रदर्शन करते विपक्ष के सांसद। मंगलवार को विपक्ष के 49 सांसदों को हंगामा करने के लिए सस्पेंड किया गया है।

सवाल-10: क्या सांसद को सस्पेंड करने के अलावा कोई रास्ता अपनाना चाहिए?

जवाबः जैसा कि फुटेज में दिख रहा है कि दोनों ही सदनों में सांसदों से अपील की गई थी कि वे अपनी चेयर पर बैठें। सस्पेंशन से पहले लोकसभा और राज्यसभा में सदस्यों को चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन वे नहीं माने।

लोकसभा के पूर्व महासचिव और संविधान विशेषज्ञ जीसी मल्होत्रा के मुताबिक इस गतिरोध को सदन के बाहर भी खत्म किया जा सकता है। पहले भी कई दफा ऐसा हुआ है। लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में सभापति दोनों ही दलों के नेताओं के साथ बैठक करते हैं। जब सांसद कहते हैं उनसे गलती हो गई तो सस्पेंशन खत्म हो जाता था। इस मामले में भी ऐसा हो सकता है। वर्तमान में विपक्ष बात करने की बजाय प्रदर्शन कर रहा है।

मल्होत्रा के मुताबिक ऐसी घटनाएं लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हैं। फिर भी बिना विपक्ष के कोई लोकतंत्र नहीं चलाया जा सकता। ऐसी घटनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हमारी छवि को धूमिल करती हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को चाहिए कि इस मामले को बैठकर सुलझाएं।

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