क्या है तहरीक-ए-हुर्रियत? जिस पर सरकार ने लगाया बैन !
आतंकियों का समर्थन, भारत विरोधी बयान… क्या है तहरीक-ए-हुर्रियत? जिस पर सरकार ने लगाया बैन
तहरीक ए हुर्रियत जम्मू कश्मीर केंद्र सरकार ने गैरकानूनी घोषित कर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस पार्टी पर आरोप है कि यह जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए भारत विरोधी प्रचार फैला रहा है और आतंकवादी गतिविधियां जारी रख रहा है. जेके में एक अलगाववादी राजनीतिक दल था जिसकी स्थापना अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने की थी.
गिलानी के घर में बना था कार्यालय
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में 26 अलगाववादी संगठन शामिल थे, बाद में चुनावों में भागीदारी और अन्य कई मुद्दों पर इन संगठनों में तकरार होने की वजह से वह इससे अलग हो गए. तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू-कश्मीर जम्मू और कश्मीर में एक अलगाववादी राजनीतिक दल है. शुरुआत में इस संगठन का मुख्यालय राजबाग में बनाया गया था, बाद में गिलानी ने अपने घर के बाहरी हिस्से में बनी इमारत को इसका मुख्यालय बना लिया था.
बाद में मोहम्मद अशरफ सहराई बने चेयरमैन
यह संगठन जमात ए इस्लामी विचारधारा का समर्थन करता आया है जिसे केंद्र द्वारा साल 2019 में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के समर्थन, फंडिंग जैसे आरोपों के चलते यूएपीए के तहत प्रतिबंधित घोषित कर कर दिया गया था. गिलानी इस संगठन के 15 सालों तक प्रमुख थे लेकिन साल 2018 में स्वास्थ्य की समस्या की वजह से उन्होंने मोहम्मद अशरफ सहराई को इस संगठन का चेयरमैन बना दिया.
अलगाववाद को बढ़ावा देने का है आरोप
5 मई साल 2021 में मोहम्मद अशरफ सहराई को ऊधमपुर जेल में कोरोना महामारी ने घेर लिया और जम्मू स्थित अस्पताल में उसकी मौत हो गई. उनकी मौत और गिलानी की बीमारी की वजह से यह संगठन लगभग निष्क्रिय हो गई. जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने की विचारधारा रखने और इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए इस संघ पर प्रतिबंध लगाया गया है. तहरीक-ए-हुर्रियत पर आरोप है कि यह जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए भारत विरोधी प्रचार फैला रहा है और आतंकवादी गतिविधियां जारी रख रहा है.