मुख्यमंत्रियों पर गिरफ्तारी की जब-जब लटकी तलवार !

मुख्यमंत्रियों पर गिरफ्तारी की जब-जब लटकी तलवार, जानें कैसे फिर चली राज्य की सरकार?
आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हो सकती है. हालांकि उन्हें रफ्तार करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो ईडी ने छापेमारी की खबर को अफवाह करार दिया है. वहीं, ईडी मुख्यमंत्री केजरीवाल को चौथा नोटिस भेजेगी.

दिल्ली आबकारी नीति घोटाले मामले में आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तीन समन दिल्ली के सीएम केजरीवाल को भेज चुकी है, लेकिन जवाब देने के लिए हाजिर नहीं हुए. ईडी के समन को केजरीवाल और उनकी पार्टी राजनीतिक षड़यंत्र बता रही है. आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि ईडी की टीम सीएम केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार कर सकती है. हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ईडी की तरफ से केजरीवाल को गिरफ्तार करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं. साथ ही साथ एजेंसी ने छापेमारी की खबर को अफवाह बताया. वहीं, ईडी मुख्यमंत्री केजरीवाल को चौथा नोटिस भेजेगी. इसके बाद ही कोई एक्शन ले सकती है?

ईडी ने 2 नवंबर को पहला समन भेजा और 18 दिसंबर 2023 को केजरीवाल को दूसरा समन भेजकर उन्हें 21 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था. अब ईडी ने तीसरा समन भेजकर दिल्ली सीएम केजरीवाल को 3 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया था. उन्होंने ईडी के सामने तीनों बार पेश होने से इनकार कर दिया.

पीएमएलए की धारा-19 के तहत प्रवर्तन निदेशालय को यह अधिकार है कि लगातार तीन बार समन के बाद भी अगर कोई आरोपित पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होता है तो ईडी उसे गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन उसके पास गिरफ्तारी के लिए पुख्ता आधार होने चाहिए. ऐसे में केजरीवाल तीसरी बार ईडी के समन पर जवाब देने के लिए हाजिर नहीं हुए, जिसके बाद से आम आदमी पार्टी के नेता मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की आशंका जाहिर कर रहे हैं.

आम आदमी पार्टी नेता ईडी के दूसरी नोटिस के बाद से ही माहौल बनाने लगे थे कि केजरीवाल को गिरफ्तार किया जा सकता और दिल्ली में घूम-घूमकर सवाल पूछ रहे थे कि क्या जेल जाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी चाहिए? इस पर ज्यादातर उत्तरदाताओं की राय थी कि सीएम केजरीवाल को इस्तीफा नहीं देना चाहिए और अगर उन्हें झूठा फंसाया गया है, तो उन्हें जेल से सरकार चलानी चाहिए.

देश की सियासत में यह पहली बार नहीं है, जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही हो. केजरीवाल से पहले भी चार मुख्यमंत्री गिरफ्तारी की जद में आ चुके हैं. इनमें से कुछ सजा पाकर गिरफ्तार हुए, तो कुछ जांच के दौरान ही पकड़े गए. इनमें से कुछ सीएम ने जांच एजेंसियों के शिकंजा कसते ही मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर अपने किसी भरोसेमंद को बैठा दिया था. इस फेहरिस्त में लालू प्रसाद यादव से लेकर जयललिता और बीएस येदियुरप्पा को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. ऐसे में हम बताएंगे कि जब-जब सीएम पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार तो कैसे चली उनके राज्यों की सरकार…

मुख्यमंत्रियों पर गिरफ्तारी की जब-जब लटकी तलवार, जानें कैसे फिर चली राज्य की सरकार?

जयललिता से लेकर लालू यादव तक लटक चुकी गिरफ्तारी की तलवार
लालू यादव को सौंपी पड़ी राबड़ी देवी को कुर्सी

आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का शिकंजा कसा तो उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. सीबीआई ने 10 मई, 1997 को राज्यपाल से लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी. राज्यपाल ने 17 जून, 1997 को लालू प्रसाद यादव और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी. सीबीआई टीम ने 21 जून, 1997 को लालू प्रसाद यादव और उनके रिश्तेदारों के घरों पर छापा मारा. इसके बाद सीबीआई ने 23 जून, 1997 को लालू और अन्य 55 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया.

चार्जशीट दाखिल होने के बाद लालू यादव को अपनी गिरफ्तारी का डर सताने लगा. लालू यादव ने तुरंत अपने उत्तराधिकारी की खोज शुरू कर दी, उस वक्त लालू के उत्तराधिकारी के रेस में रघुनाथ झा और अली अशरफ फातमी का नाम सबसे आगे था. लालू यादव ने अपनी करीबी नेताओं से सलाह-मशवरा करके अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी दी थी. राबड़ी ने भले ही सत्ता की कमान संभाली, पर पर्दे के पीछे से लालू ही सरकार चलाते रहे. 1997 से 2005 तक राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थीं.

जयललिता को जब छोड़ी पड़ी सीएम की कुर्सी

आय के अधिक संपत्ति मामले में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता को दो बार जेल जाने के चलते कुर्सी छोड़नी पड़ी. जयललिता ने पहली बार 2001 में जेल जाने के बाद पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बना दिया था. हालांकि, इस मामले में बाद में उन्हें मद्रास हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था और 2002 में उपचुनाव जीतकर वह वापस मुख्यमंत्री बन गईं. इसके बाद 2014 में आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में जयललिता दोषी पाई गईं. कोर्ट से फैसला आने के तुरंत बाद जयललिता ओ पनीरसेल्वम को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया.

पनीरसेल्वम ने 2015 में फिर से जयललिता को सीएम की कुर्सी सौंप दी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई तो उन्होंने पनीरसेल्वम को गद्दी सौंप दी. इस तरह सरकार चलती रही, लेकिन जयललिता के 2016 में निधन के बाद उनकी पार्टी में दो गुट हो गए. पनीरसेल्वम को कुर्सी छोड़नी पड़ी और उनकी जगह पर पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बने. इस तरह से तमिलनाडु की सरकार चलती रही.

बीएस येदियुरप्पा से जब छिनी सीएम की कुर्सी

कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनाने में बीएस येदियुरप्पा की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन उन्हें भ्रष्टाचार के मामले ने मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी. साल 2011 में लोकायुक्त की एक रिपोर्ट के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा. कर्नाटक के लोकायुक्त ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि अवैध खनन के काम में राज्य का मुख्यमंत्री कार्यालय सक्रिय है. इसके बाद जांच सीबीआई के पास चली गई और बीजेपी बैकफुट पर आ गई. बीजेपी हाईकमान ने येदियुरप्पा को दिल्ली बुलाया. उस वक्त पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी थे.

रिपोर्ट के मुताबिक गडकरी ने येदियुरप्पा से इस्तीफा देने के लिए कहा, लेकिन वो तैयार नहीं थे. इसके बावजूद बीजेपी हाईकमान ने उनको हटाने का फैसला किया, जिसके बाद येदियुरप्पा ने पार्टी से नाराज होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. डीवी सदानंद गौड़ा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनाए गए. सीएम कुर्सी से हटने के कुछ ही दिन बाद येदियुरप्पा गिरफ्तार हो गए. हालांकि, बीजेपी ने येदियुरप्पा को हटाकर सीएम की कुर्सी पर सदानंद गौड़ा को बैठाया, लेकिन 2012 में उन्हें हटाकर जगदीश शेट्टार को मुख्यमंत्री बनाया. इस तरह से बीजेपी ने कर्नाटक सरकार चलाई.

क्या जेल जाने से पहले सीएम पद छोड़ना जरूरी?

संविधान के मुताबिक, यह कहीं नहीं है कि जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ेगा. यह एक पुरानी परंपरा है, जिसके तहत लालू यादव और जयललिता को कुर्सी छोड़ पड़ी थी. ऐसे में अरविंद केजरीवाल को ईडी अगर गिरफ्तार करती है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का कोई प्रावधान नहीं है. शराब नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के अभी आरोप लगे हैं. आरोप जब तक तय नहीं हो जाते हैं तब तक वो अपने पद पर बने रह सकते हैं. यही वजह है कि आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि अगर केजरीवाल गिरफ्तार होते हैं तो जेल से सरकार चलेगी.

हालांकि, यह संभव नहीं है कि जेल से सरकार को बेहतर तरीके से चलाया जाए, जिसके चलते ही लालू यादव से लेकर जयललिता तक को सीएम पद से इस्तीफा देकर अपने करीबी को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा, क्योंकि मुख्यमंत्री का काम सिर्फ कागज पर हस्ताक्षर करना नहीं होता है. मुख्यमंत्री के जिम्मे कई सारे काम होते हैं, जिसमें अधिकारियों से मशवरा करना, कैबिनेट मीटिंग करना और एडवोकेट जनरल से सलाह लेना है. जेल में रहते हुए ये सारे काम संभव नहीं है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *