आर्थिक मंदी से जूझ रहे विश्व के टाॅप देश ?
आर्थिक मंदी से जूझ रहे विश्व के टाॅप देश, तीसरी सबसे बड़ी इकोनॅामी बनने की राह पर भारत
विश्व के टाॅप चार देश अपने यहां आर्थिक मंदी से जुझ रहे हैं और भारत तरक्की कर रहा है. भारत की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह आसान होने वाली है.अभी भारत विश्व के टाॅप 5 वीं अर्थव्यवस्था वाला देश है.
विश्व के हालात कुछ ठीक नहीं है. विश्व के कई देश युद्ध और हिंसा की चपेट में हैं, जिसका प्रभाव सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से इकोनाॅमी पर भी पड़ रहा है. विश्व में सबसे शक्तिशाली और आर्थिक रूप से सशक्त देश भी आजकल आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. कई देश तो इस संकट से निकलने का रास्ता देख रहे हैं, तो कई देश इसके भँवर में बस डूबने ही वाले हैं. विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र होने का दावा करने वाले देश अमेरिका के भी हाल कुछ ठीक नहीं है. दूसरी ओर भारत रिकार्ड पर रिकार्ड बनाते जा रहा है. इन दिनों वो भी आर्थिक संकट से गुजर रहा है. जर्मनी में भी आर्थिक संकट देखा जा रहा है.
हमारा पड़ोसी देश चीन भी मंदी की मार से अछूता नहीं रहा है. चीन को कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है, जबकि भारत अपने विकास के रास्ते पर अग्रसर है. विश्व की बड़ी इकोनॅामी अमेरिका और यूरोप की बड़ी इकोनॅामी वाले देश जर्मनी, दोनों ही में मंदी के आसार दिख रहे हैं. हाल में जर्मनी के जीडीपी में 0. 1 फीसदी गिरावट देखी गई है. चीन जिसको कि इकोनॅामी के ग्लोबल ग्रोथ का इंजन माना जाता था, वो भी आज कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है.
भारत की इकोनॅामी दुनिया में तेज गति से दौड़ रही है. जहां कई देश आर्थिक संकट से जूझ रहें हैं तो भारत रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड बनाते हुए प्रगति की राह पर बढ़ रहा है. इलेक्ट्रॅानिक सामानों से लेकर रक्षा प्रणाली और वस्तुओं का निर्यात कर रिकार्ड बनाते जा रहा है. आईफोन के निर्यात में भी भारत ने बेहतर स्थिति पूरी दुनिया में दिखाई है. इलेक्ट्रॅानिक वस्तुओं के साथ ही भारत गैस के उत्पादन में भी आगे की ओर बढ़ रहा है. भारत को 2047 तक विकसित बनाने के लिए काम किया जा रहा है.
तीसरी इकोनॅामी बन सकता है भारत
विश्व की तीसरी बड़ी इकोनाॅमी बनने के लिए भारत को दो पायदान ऊपर चढ़नी है. जर्मनी की इकोनॉमी सुस्त होने की बात सामने आई है, वो भारत के लिए बेहतर ही है. अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनाॅमी आज जर्मनी है. आज भी चौथे नंबर पर जापान है. इस सूची में भारत पांचवें स्थान पर हैं. सरकार ने चुनाव के समय ये कहा था कि भारत को इस पांच साल के कार्यकाल में दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॅामी बनानी है. इस ऊंचाई तक जाने के लिए भारत को दो पायदान ऊपर चढ़ना होगा.
ये भी देखना होगा कि अमेरिका और चीन किस प्रकार से अपनी अर्थव्यवस्था को काबू रख पाते हैं. जिस प्रकार से जापान और जर्मनी के हाल खराब हो रहे हैं, ऐसे में भारत तीसरे पायदान की ओर चढ़ सकता है. उसके बाद भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में ऊभर सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका $28.783 ट्रिलियन की इकोनॉमी के साथ पहले स्थान पर, चीन $18.536 ट्रिलियन के साथ दूसरे स्थान पर, जर्मनी $4.590 ट्रिलियन के साथ तीसरे स्थान पर और जापान $4.112 ट्रिलियन के साथ चौथे नंबर पर है, जबकि भारत की इकॉनमी वर्तमान समय में $3.942 ट्रिलियन डॉलर की है.
विकासात्मक सुधार और रैंक
भारत आर्थिक रूप से सशक्त होता जा रहा है. इसके पीछे बड़ी वजह है. भारत ने अपनी आर्थिक स्थितियों में काफी सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिस कारण ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. भारत की ओर से जीएसटी जैसे सुधारात्मक कदम उठाए गए. टैक्स के स्लैब में भी कई अहम बदलाव किए गए. अधिक संख्या में आईटीआर फाइल करना भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. इसके साथ ही भारत ने आत्मनिर्भर भारत जैसे कदम उठाकर भी आर्थिक सशक्त्तता दिखायी है.
मेक इन इंडिया भी भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ. 2014 में भारत की इकोनाॅमी 10वें नंबर पर थी, 2024 में भारत विश्व के पांचवीं इकोनाॅमी बना. करीब दस सालों में भारत ने पांच स्थान को पार किया है. भारत की नजर अब तीसरा स्थान प्राप्त करने पर है. इसके लिए भारत सरकार काम कर रही है. बाहरी निवेशकों को भी भारत में निवेश करने के लिए जागरुक किया जा रहा है. प्राइवेट क्षेत्रों में भी बढ़ावा देने के कारण स्थिति में सुधार हो रहा है. अभी विश्व के हालात ठीक नहीं है. रूस और यूक्रेन तथा हमास और इजरायल का युद्ध चल रहा है. अब इसमें ईरान भी शामिल हो सकता है. बांग्लादेश में भी हिंसा के बाद तख्तापलट हो गया है.
ऐसे हालात में कई देशों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. समुद्री व्यापार से लेकर अर्थव्यवस्था पर असर देखने को मिलेगा. अगर भारत अपनी स्थिति पर ध्यान रखता है और जर्मनी और जापान का हाल खराब हुआ तो फिर सीधे तौर पर इसका फायदा भारत को होगा. भारत निश्चित रूप से ऊपर के पायदान पर चढ़ेगा. इससे भारत के विकास की गति और तेज होगी.
कई कारणों से ऐसा हाल
आर्थिक मंदी आने के कोई एक कारण नहीं है. कई कारणों से विश्व के ये हाल हैं. इसका एक प्रमुख कारण कोरोना भी है. कोरोना ने विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है. कोरोना में व्यवसाय से लेकर देश के हालात तक खराब हुए. इसमें कई कंपनियां और प्लांट तक ठप पड़ गए. रूस और यूक्रेन और हमास -इजरायल का युद्ध के कारण भी ऐसा हाल है.
दशकों से बढ़ती महंगाई भी एक कारण है जिस पर अभी तक काबू पाने में कई देश असमर्थ हैं. कई देशों में कर्ज भी काफी महंगा हो गया है. इसके साथ वर्ल्ड बैंक हो या आइएमएफ, सबके यहां हालात सख्ती बरतने के हुए हैं और अन्य जगहों की ओर से भी कर्ज महंगे हो चुके हैं. युद्ध के कारण ऑयल की भी आपूर्ति बाधित हुई है. इसके साथ ही ऑयल के दामों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. इसके कारण देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका असर देखने को मिल रहा है, जिस कारण कई देश आज भी आर्थिक मंदी से जुझ रहे हैं. मंदी से निकलने के लिए काफी प्रयास के बाद भी सफलता अभी तक नहीं मिली है.
इस कारण कई देश की अर्थव्यस्था रफ्तार नहीं पकड़ रही है. भारत ने भी इन सब स्थितियों के साथ खुद को मजबूत रखने का प्रयास किया है. हालांकि भारत में भी महंगाई है, लेकिन बादजूद इसके भारत विकास की राह पर अग्रसर है. अगर स्थिति ऐसी रही तो भारत आने वाले कुछ समय में ही तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. भारत अपने विकास की राह खुद से बना रहा है.