“नेल्ली नरसंहार पर माफी मांगे राहुल, वरना उनकी यात्रा एक छलावा”

राहुल गांधी की न्याय-यात्रा एक छल के सिवा कुछ नहीं, अगर नहीं दिलाते नेल्ली नरसंहार के शिकारों को इंसाफ

राहुल गांधी आजकल न्याय यात्रा पर हैं. इससे पहले उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा की थी. उनका मानना है कि इस देश की मौजूदा सरकार क्रोनी-कैपिटलिस्ट लोगो का साथ दे रही है और देश की आम जनता के साथ अन्याय हो रहा है, लेकिन वह उन सबको न्याय दिलाने तक चैन से नहीं बैठेंगे. राहुल गांधी का यह भी कहना है कि इस देश के अल्पसंख्यकों के लिए भी स्थितियां बहुत ठीक नहीं हैं. वह उनके लिए भी न्याय मांग रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस के रिकॉर्ड को देखते हुए यह ठीक भी नहीं लगता कि वह मुसलमानों के हित की बात करे, उसके भी शासनकाल में इस देश में मुसलमानों के साथ बहुत अत्याचार हुए हैं. 

सांप्रदायिक दंगों का लंबा इतिहास

‘मुझे नहीं पता कि देश की आजादी के बाद कितने सांप्रदायिक दंगे हुए हैं, लेकिन मध्य असम के नेल्ली में निर्दोष बंगाली मुसलमानों के पहले संगठित नरसंहार की चीखें आज भी सुनाई देती हैं और न्याय की तलाश जारी है. उनकी आत्माएं अभी भी भटक रही हैं. अब जब इस हत्याकांड को 40 साल हो गए हैं और कांग्रेस के बेताज बादशाह राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो नया यात्रा’ लेकर असम पहुंच रहे हैं, तो हम उनसे मांग करते हैं कि वे नेल्ली के मुसलमानों के साथ भी न्याय करें. क्योंकि फरवरी 1983 में इस नरसंहार को अंजाम दिया गया था, उस समय केंद्र और राज्य दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी और कांग्रेस ने ही आरोपियों को माफ कर दिया था, वरना यही माना जाएगा कि उन (राहुल गांधी) का न्याय और मोहब्बत की दूकान एक छलावे के सिवा कुछ नहीं है.

18 फरवरी 1983 की सुबह कैसे 10 हजार से ज्यादा बंगाली मुसलमानों की हत्या कर दी गई, क्या राहुल गांधी इस सवाल को अपनी पार्टी से पूछ सकते हैं, जबकि उस वक्त केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस की सरकार थी. 588 एफआईआर दर्ज हुईं लेकिन केंद्र में कांग्रेस सरकार और असम गण परिषद के बीच एक समझौते के तहत सभी मुकदमे वापस ले लिए गए और इतने बड़े पैमाने पर नरसंहार में शामिल सभी अपराधियों को बरी कर दिया गया, राहुल गांधी बताएं कि क्या यही इन्साफ है?

सिखों सहित मुस्लिमों के नरसंहार का भी दाग

दुनिया जानती है कि सिखों के नरसंहार जो 1984 में हुआ, उससे एक साल पहले उपरोक्त नरसंहार हुआ था. कांग्रेस के कारनामे को दुनिया के सामने लाने के लिए देश और दुनिया के बड़े बड़े मीडिया संस्थानों ने रिपोर्टिंग की, इन्साफ लेकिन अभी तक नहीं हुआ. आज राहुल गांधी सभी को नई न्याय देने और मोहब्बत की दुकान खोलने की बात कर रहे हैं, जो एक अच्छा कदम है, लेकिन सवाल यह है कि निर्दोष मुसलमानों के खून से रंगे कांग्रेस के हाथ कैसे पाक होंगे? जब केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने 1984 में सिखों के नरसंहार के लिए सिखों से माफी मांगी और सोनिया गांधी ने एक सिख को देश का प्रधानमंत्री बनाकर दाग धोने की कोशिश की, लेकिन क्या मुसलमानों को न्याय मिला?

क्या कांग्रेस ने आज तक मुसलमानों से माफ़ी मांगी है? कांग्रेस काल में मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर हो गई, ये बात सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कहती है, जिसका गठन कांग्रेस सरकार ने ही किया था. अगर आज तक अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया को अल्पसंख्यक दर्जा नहीं दिया गया तो इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है. अब बीजेपी नेता विनय कटियार ने अपने टीवी शो में खुलासा किया है कि 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद शहीद हुई थी तो केंद्र की कांग्रेस सरकार के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने कारसेवकों की मदद की थी. नियमित सेना तैनात करके मस्जिद को शहीद कर दिया गया. 

क्या राहुल गांधी वाकई न्याय मुसलमानों को भी दिला पाएंगे? राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को पहले देश के मुसलमानों से अपने सभी पापों के लिए माफी मांगें और फिर मोहब्बत और न्याय की दुकान के बारे में बात करे तो अच्छा लगेगा वरना यह एक छल के सिवा कुछ नहीं है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि … न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *