गुना लोकसभा से प्रत्याशी होंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया !
गुना लोकसभा से प्रत्याशी होंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया
छंटवी बार इस सीट से लड़ेंगे चुनाव; अब तक 5 जीते और एक चुनाव हारे
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए पहली सूची जारी कर दी है। गुना लोकसभा से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा प्रत्याशी होंगे। सिंधिया लगातार छंटवी बार इस सीट से चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले वह एक उप चुनाव और पांच आम चुनाव यहां से लड़ चुके हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया(53) को राजनीति विरासत में मिली है। वह ग्वालियर राजघराने के महाराज हैं। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से MBA किया है। उन्होंने 2001 में माधवराव सिंधिया के दिवंगत हो जाने के बाद राजनीति में कदम रखा। वह कांग्रेस में शामिल हुए। फरवरी 2002 में गुना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की। 2004, 2009, 2014 में कांग्रेस के टिकट पर गुना लोकसभा से चुनाव जीते। 2009 की मनमोहन सरकार में उद्योग राज्यमंत्री बने। 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए। उनके ही पुराने कार्यकर्ता रहे केपी यादव ने उन्हें मोदी लहर में चुनाव हरा दिया। सिंधिया के लिए यह बड़ा झटका था। 2020 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा और केंद्रीय मंत्री बनाया। वर्तमान में वह नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री हैं। अब भाजपा ने उन्हें इसी सीट से उम्मीदवार बनाया है।
बता दें कि गुना लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा आती हैं। इनमे शिवपुरी जिले की कोलारस, शिवपुरी और पिछोर, गुना जिले की बमोरी और गुना, अशोकनगर जिले की मुंगावली, चंदेरी और अशोकनगर विधानसभा शामिल हैं। भले ही चुनाव लड़ने को लेकर सिंधिया ने कोई स्पष्ट इशारा नहीं दिया था, लेकिन उनके लंबे दौरे ने इस चर्चा को जरूर जन्म दे दिया था कि वे इसी इलाके से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पिछले दिनों जो दौरा हुआ(गुना लोकसभा का) तो ये लग रहा था कि वो गुना वापस आना चाहते हैं, या गुना-शिवपुरी से लड़ना चाहते हैं। चेहरा तो वो लोकसभा चुनाव के ही हैं। 2019 की जो परिस्थितियां थीं, उसमे वो चुनाव हार गए। एक झटका तो उन्हे लगा था। गुना लोकसभा से ज्योतिरादित्य सिंधिया के लड़ने की ज्यादा संभावनाएं इसलिए भी थीं, क्योंकि ग्वालियर उनके लिए राजनैतिक रूप से उतना आसान नहीं है। उन्होंने पिछले चुनाव गुना लोकसभा से ही लड़ा है। ऐसे में यहां उनके पास भाजपा के साथ खुद की एक व्यक्तिगत टीम भी है, जो पिछले चुनावों में उनके लिए काम करती रही है। वह टीम उनके साथ भाजपा में आ गयी है। बूथ से लेकर जिले तक के नेताओं की उनके पास एक टीम है, जो उनके लिए काम करती है।