क्या है … आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस मॉडल को क्यों कहा जा रहा है सबसे इंटेलिजेंट?
Claude 3 और GPT-4 दोनों ही शक्तिशाली AI चैट मॉडल हैं. मगर हाल ही में लॉन्च हुआ क्लॉड-3 सिर्फ एक लैंग्युज मॉडल नहीं है. ये कठिन कार्यों को ज्यादा सरलता से करने में सक्षम है.

दुनियाभर में अब ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का समय शुरू हो गया है. ओपन एआई का चैट जीपीटी-4 मॉडल अभी तक दुनिया का सबसे ताकतवर AI मॉडल माना जाता है. लेकिन अब बाजार एक नया एआई चैट मॉडल आया है, जिसके लिए दावा किया जा रहा है कि ये नया मॉडल चैट जीपीटी-4 को पीछे छोड़ सकता है.

ये नया चैट मॉडल है- एंथ्रोपिक का क्लॉड 3. ये इसी साल 4 मार्च को लॉन्च किया गया है. एंथ्रोपिक (Anthropic) का दावा है कि Claude 3 उनके द्वारा अब तक बनाया गया सबसे इंटेलिजेंट AI मॉडल है. यह कई तरह के कार्य करने में पहले के मॉडलों से बेहतर है. जैसे कि हर तरह के सवाल का जवाब देना, समस्याओं का समाधान बताना और यहां तक ​​कि कोडिंग में भी.

क्लॉड 3 को तीन अलग-अलग मॉडल में पेश किया गया है. हर मॉडल की अपनी खासियतें और कमजोरियां हैं. सबसे बुद्धिमान मॉडल को ‘क्लॉड 3 ओपस’ कहा गया है, जो मुश्किल से मुश्किल काम को सबसे बेहतर तरीके से करता है. लेकिन ये इस्तेमाल करना सबसे महंगा भी है. 

अन्य दो मॉडल हैं- क्लॉड 3 सॉनेट और क्लॉड 3 हाइकु, ये दोनों क्लॉड 3 ओपस की तुलना में थोड़े कम बुद्धिमान हैं, लेकिन इम्सेताम करने के लिए सस्ते हैं. सॉनेट और ओपस 159 देशों में उपलब्ध हैं, जबकि हाइकु जल्द ही उपलब्ध होगा.

पहले जानिए क्या है क्लॉड-3
क्लॉड 3 एक बेहतरीन भाषा मॉडल (LLMs) है जसे एंथ्रोपिक कंपनी ने बनाया है. यह चैटबॉट टेक्स्ट, वॉयस मैसेज और डॉक्युमेंट्स की समीक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है. खासियत यह है कि क्लॉड-3  दुनिया के टॉप चैट मॉडल की तुलना में तेजी से और बेहतर तरीके से जवाब देता है.

सच में GPT-4 से बेहतर है Claude 3 Opus?
एंथ्रोपिक के मुताबिक, क्लॉड 3 मॉडल ने OpenAI के मशहूर GPT-4 और गूगल के जेमिनी अल्ट्रा को कई इंडस्ट्री बेंचमार्क टेस्ट में पीछे छोड़ दिया है.

ये टेस्ट अंडरग्रेजुएट लेवल के ज्ञान से लेकर ग्रेजुएट लेवल के लॉजिक और मैथमेटिक्स तक सबकुछ कवर करता है. ओपस ने कोडिंग और मुश्किल सवालों के जवाब देने में दूसरे चैट मॉडल की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है. आने वाले समय में ओपस मार्केट में एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर उभर सकता है.

अब तक ज्यादातर एआई मॉडल सिर्फ टेक्स्ट आधारित थे. वे सिर्फ लिखे हुए शब्दों को ही समझ और प्रोसेस कर सकते थे. लेकिन क्लॉड ओपस इससे आगे भी बहुत कुछ कर सकता है. आप इसके सामने कोई भी तस्वीर या विजुअल डेटा रख सकते हैं और यह उसका एनालिसिस कर देगा.

उदाहरण के लिए, अगर आप ओपस को कोई ग्राफ दिखाएंगे, तो यह उस ग्राफ का विस्तार विश्लेषण दे सकता है. या फिर किसी डॉक्युमेंट की स्कैन कॉपी देंगे तो उसका मतलब समझा सकता है. हालांकि यह मॉडल खुद फोटो नहीं बना सकता लेकिन फोटो को समझ सकता है और उस जानकारी का इस्तेमाल अलग-अलग कार्यों को करने के लिए कर सकता है.

उदाहरण से समझिए: क्या है क्लॉड-3
मान लीजिए कि आपके पास एक कार का फोटो है. क्लॉड Opus इस फोटो को देखकर उस कार के बारे में सारी जानकारी दे सकता है. जैसे कि कार का रंग, मॉडल और ब्रांड. यह फोटो में कार के अलग-अलग हिस्से जैसे कि पहिए, खिड़कियां और दरवाजे को भी पहचान सकता है.

अगर आपके पास दो तस्वीरें हैं. एक कार का और दूसरा घर का, तो ओपस यह समझ सकता है कि कार घर के सामने खड़ी है. ओपस तस्वीर से डेटा भी निकाल सकता है. यह कार की नंबर प्लेट को पहचान सकता है. 

क्लॉड 3 सॉनेट में क्या है खास
क्लॉड 3 सॉनेट सीरीज का दूसरा मॉडल है. यह ओपस जितना बेहतरीन नहीं है, लेकिन फिर भी यह कई कार्यों को करने में सक्षम है और इसकी कीमत भी ओपस से कम है. Claude.ai चैटबॉट को Claude 3 Sonnet की ओर संचालित किया जा रहा है.

इसका इस्तेमाल करने के लिए केवल एक ईमेल और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होती है. कुछ फ्री लिमिट तक इस्तेमाल करने के बाद Claude Pro का सब्सक्रिप्शन 20 डॉलर प्रति माह फीस देकर उपलब्ध है.

क्लॉड-3 vs जीपीटी-4
एंथ्रोपिक का दावा है कि क्लॉड-3 ने जीपीटी-4 को कई AI बेंचमार्क टेस्ट में पीछे छोड़ दिया है. बेंचमार्क स्कोर के आधार पर क्लॉड-3 कुछ कामों में GPT-4 से बेहतर प्रदर्शन करता दिखा है. बेंचमार्क स्कोर के अनुसार, क्लॉड-3 अपने प्रतिद्वंदी से मामूली अंतर से आगे है. 

MMLU टेस्ट में क्लॉड-3 ने 86.8 फीसदी नंबर हासिल किए, जबकि जीपीटी-4 केवल 86.4 फीसदी नंबर ही हासिल कर सका. ऐसे ही MGSM टेस्ट में क्लॉड-3 को 90.7 फीसदी नंबर मिले. जबकि जीपीसी-4 सिर्फ 74.5 फीसदी नंबर ही हासिल कर सका. यह अंतर काफी महत्वपूर्ण है और यह दर्शाता है कि क्लॉड-3 GPT-4 की तुलना में बहुभाषी गणितीय कार्यों को बेहतर ढंग से समझने और उनका समाधान करने में सक्षम है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस मॉडल को क्यों कहा जा रहा है सबसे इंटेलिजेंट?

क्लॉड-3 की क्या हैं कमजोरियां
क्लॉड-3 एक नया AI मॉडल है जो काफी चर्चाओं में है. लेकिन ये समझना भी महत्वपूर्ण है कि क्लॉड-3 एक संपूर्ण मॉडल नहीं है. इसकी भी कुछ सीमाएं हैं.

एआई चैट मॉडल को बड़े डेटा के साथ ट्रेन्ड किया गया है. वह उस डेटा से जानकारी लेकर हमें देने में सक्षम है. हालांकि, कभी-कभी यह बेहद कठिन सवालों के जवाब देने में दिक्कत कर सकता है.

ये अपने जवाब को बार-बार दोहराता है और दो व्यक्तियों में भेदभाव भी कर सकता है. सबसे खास बात इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ये आंकड़े एकदम सही बताएगा.

अतीत में भी अन्य एआई मॉडलों को भी इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है. गूगल के एआई चैटबॉट जेमिनी की इस कारण कुछ आलोचनाएं भी हो चुकी हैं. इसने कथित तौर पर श्वेत व्यक्तियों की तस्वीरें बनाने से इनकार कर दिया और उन लोगों को रंगीन लोगों के रूप में चित्रित किया था.

एंथ्रोपिक कंपनी क्यों है खास
एंथ्रोपिक कंपनी की स्थापना OpenAI के पूर्व मेंबर्स ने की है. एंथ्रोपिक की को-फाउंडर और चैयरमेन डेनिएला अमोदेई का दावा है कि क्लॉड-3 मॉडल की सवालों का सही जवाब देने की संभावना दोगुनी है. ये कम गलतियां करता है, जिस कारण इसे ज्यादा विश्वसनीय कहा जा रहा है. 

एंथ्रोपिक आजकल सबसे चर्चित AI स्टार्टअप कंपनियों में से एक है, जो सीधे तौर पर माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और OpenAI जैसी बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट से मुकाबला कर रही है.

दिलचस्प बात यह है कि इसके निवेशकों में गूगल और अमेजन जैसे दिग्गज शामिल हैं. एंथ्रोपिक ने अब तक 5 अलग-अलग कंपनियों से फंडिंग हासिल की है, जो लगभग 7.3 बिलियन डॉलर के बराबर है. मतलब जिन निवेशकों ने 

एंथ्रोपिक एक नई कंपनी है. गूगल और अमेजन जैसे दिग्गजों से निवेश मिलना भी बड़ी उपलब्धि है. इससे पता चलता है कि गूगल-अमेजन जैसी कंपनियां एंथ्रोपिक को एक बड़ा खिलाड़ी मानती हैं. एंथ्रोपिक ने कम समय में एआई इंडस्ट्री में एक मजबूत मुकाम हासिल किया है. अगर इस तरह ही आगे बढ़ती रही तो भविष्य में GPT से भी आगे निकल सकती है. 

यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि क्लॉड-3 स्पष्ट रूप से GPT-4 से बेहतर है. आने वाले समय में जब इन मॉडल को विभिन्न कार्य करते देखा जाएगा, तब ज्यादा अच्छे से इनकी असली ताकत और कमजोरियों का पता लग सकेगा.

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