क्या है इंडिया एआई मिशन !

 क्या है India AI मिशन, कैसे युवाओं को होगा फायदा? आसान भाषा में समझिए अगले 5 साल का प्लान
भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. यहां AI का उपयोग करके लोगों का जीवन स्तर बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं. अर्थव्यवस्था को गति देने में भी अहम भूमिका निभा सकता है.

भारत सरकार ने देश में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. ‘इंडिया एआई मिशन’ के तहत अगले पांच सालों में 10,372 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी है. 

सरकार निजी कंपनियों को सब्सिडी देकर देश में एआई कंप्यूटिंग क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी. इससे एआई रिसर्च और विकास कार्य तजी से होंगे.

एआई स्टार्ट-अप्स की मदद करने के लिए शुरुआत में ही उन्हें फंडिंग दी जाएगी. इससे न केवल इन कंपनियों की तरक्की होगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. साथ ही सरकार एक ऐसा ढांचा तैयार करेगी जिसके माध्यम से नॉन-पर्सनल डेटा को एकत्र करके उपयोग में लाया जा सके.

आसान भाषा में समझिए ये एआई मिशन है क्या? 
अभी तक एआई से जुड़े बड़े सिस्टम और सॉफ्टवेयर विदेशों से मंगवाने पड़ते थे. इंडिया एआई मिशन के तहत भारत में ही ऐसे सिस्टम बनाने की कोशिश होगी. इससे भारतीय साइंटिस्ट और कंपनियों को नई चीजें सीखने-समझने में मदद मिलेगी.

आजकल कई युवा ऐसे हैं जो एआई का इस्तेमाल करके नए-नए काम की चीजें बनाना चाहते हैं. इस मिशन के तहत सरकार ऐसे युवाओं को फंडिग देकर उनकी मदद करेगी. इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.

हम रोजाना कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कुछ जानकारी इकट्ठी हो जाती है. इस मिशन के तहत ऐसी ही जानकारी को इकट्ठा करके उसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की कोशिश की जाएगी. इससे किसानों की फसलें बेहतर हो सकती हैं, डॉक्टर मरीजों का इलाज पहले से बेहतर तरीके से कर पाएंगे और बच्चों के लिए पढ़ाई करना आसान होगा.

अगले 5 साल का सरकार का क्या है प्लान 
एआई मिशन के तहत सरकार 10 हजार से ज्यादा GPU यानी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने का प्लान है. ये GPU वो खास तरह के कंप्यूटर हैं जो एआई को चलाने में मदद करेंगे. इसके अलावा सरकार हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं पर आधारित डेटासेट्स के साथ 100 अरब से ज्यादा पैरामीटर्स वाले फाउंडेशनल मॉडल्स भी विकसित करेगी. ये मॉडल स्वास्थ्य, कृषि और गवर्नेंस जैसे जरूरी क्षेत्रों में इस्तेमाल होंगे.

50 से ज्यादा मंत्रालयों में एआई क्यूरेशन यूनिट्स भी बनाई जाएंगी. एक एआई मार्केटप्लेस भी बनेगा, जहां एआई सर्विस और प्री-ट्रेंड मॉडल्स उपलब्ध होंगे. सरकार अलग-अलग विभागों में भी AI के लिए खास कमरे बनाएगी. इन कमरों में अधिकारी सीख सकेंगे कि AI का इस्तेमाल अपने काम को आसान बनाने के लिए कैसे करें. सरकार एक ऐसा ऑनलाइन बाजार भी बनाएगी जहां एआई से जुड़े उपकरण और पहले से सीख चुके मॉडल मिलेंगे. इससे जो लोग AI का इस्तेमाल करके नई चीजें बनाना चाहते हैं उन्हें काफी मदद मिलेगी.

डेटा सेंटर बना सकेंगी निजी कंपनियां
कुल बजट में से 4564 करोड़ रुपये कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए रखे गए हैं. एक नवीदिया ए100 चिप जो एआई के लिए बेहतरीन है, उसकी कीमत 10,000 डॉलर है. तो 10,000 ऐसे चिप्स वाला डेटा सेंटर पर लगभग 8000 करोड़ रुपये का खर्च होगा. यह सारा काम सरकार और प्राइवेट कंपनियों के बीच पार्टनरशिप से होगा. कुल बजट का 50% सरकार देगी, बाकी प्राइवेट कंपनियां देंगी. अगर कंप्यूटिंग की कीमतें कम होती हैं तो प्राइवेट कंपनियों को उसी बजट में और ज्यादा कम्प्यूटिंग पावर लगानी होगी.

सरकार निजी कंपनियों को डेटा सेंटर बनाने के लिए टेंडर जारी करेगी. अगर कोई कंपनी 10,000 करोड़ रुपये के बजट से डेटा सेंटर बनाना चाहती है, लेकिन उसके पास फंड की कमी है तो कुछ मदद सरकार भी कर सकती है. इसके अलावा, सरकार एआई इनोवेशन रिसर्च सेंटर बनाएगी. इस सेंटर के लिए भी करीब 2000 करोड़ रुपये रखे गए हैं.

AI करेगा युवाओं को तैयार!
एआई मिशन का एक मकसद ये भी है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा लोग AI सीख सकें. इसके लिए सरकार दो खास कार्यक्रम शुरू करेगी. पहला कार्यक्रम ‘इंडिया एआई फ्यूचरस्किल्स प्रोग्राम’ कहलाता है. इस कार्यक्रम के तहत सरकार ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री वाले AI कोर्स को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करेगी. इसका मतलब है कि अब ये कोर्स सिर्फ बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों और कस्बों में भी कराए जाएंगे.

दूसरी पहल है हर जगह डेटा और AI लैब्स स्थापित करना. ये लैब्स देशभर में खोली जाएंगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को शुरुआती स्तर का डेटा और AI का कोर्स करने का मौका मिले.

AI से जुड़े हुनर तेजी से सीखे जा रहे भारतीय
आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले सात सालों में भारत में लिंक्डइन पर AI से जुड़े हुनर बताने वाले प्रोफाइल की संख्या 14 गुना बढ़ गई है. लिंक्डइन ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसका नाम है ‘फ्यूचर ऑफ वर्क: स्टेट ऑफ वर्क @ AI’. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन टॉप 5 देशों में शामिल है जहां AI से जुड़े हुनर सबसे तेजी से सीखे जा रहे हैं.

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि सिर्फ टेक्नोलॉजी कंपनियों में ही नहीं बल्कि रिटेल, स्कूल और बैंक जैसे कई क्षेत्रों में भी लोग AI सीख रहे हैं. पिछले एक साल में 43 फीसदी भारतीयों ने अपनी कंपनी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ते देखा है. इसे देखते हुए दफ्तरों में काम करने वाले 60% लोगों और खासतौर से नई पीढ़ी के 71% युवाओं को ये एहसास हुआ है कि अगर वो AI सीख लें तो उनके करियर में तरक्की के ज्यादा मौके बन सकते हैं.

एक रिपोर्ट में 25 देशों का विश्लेषण किया गया जिसमें बताया गया कि चैटजीपीटी नाम का एआई चैटबॉट आने के बाद लिंक्डइन पर लोगों ने अपने प्रोफाइल में AI स्किल्स जोड़ना लगभग दोगुना कर लिया. मई-नवंबर 2022 में सिर्फ 7.7% लोगों के प्रोफाइल में AI स्किल्स थे, जो नवंबर 2022 से जून 2023 के बीच बढ़कर 14% हो गए. इसी रिपोर्ट में बताया गया है 91% बड़े अफसर मानते हैं कि AI सीखना बहुत जरूरी है. यह आंकड़ा दुनिया भर के औसत 72% से भी ज्यादा है.

AI से सुनने की समस्या का इलाज अब और भी आसान!
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में 5% से ज्यादा लोगों को सुनने में इतनी तकलीफ होती है कि उनके लिए रोजमर्रा का काम करना भी मुश्किल हो जाता है. अगर कम सुनने की कमजोरी को भी गिन लिया जाए तो ये आंकड़ा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. रिसर्च बताती है कि दुनियाभर में 20% से ज्यादा व्यस्कों को सुनने में कभी-कभी थोड़ी दिक्कत होती है.

हालांकि आजकल टेक्नोलॉजी बहुत तरक्की कर चुकी है और AI डॉक्टरों की भी मदद कर रहा है. AI की मदद से सुनने की समस्या को पहले ही पहचानना, बीमारी का पता लगाना और इलाज करना भी आसान हो रहा है. AI डॉक्टरों को सुझाव देता है कि हर अलग मरीज के लिए किस तरह का इलाज सबसे अच्छा रहेगा. जो लोग सुनने की मशीन इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए अब AI वाली मशीनें आ गई हैं. ये मशीनें आसपास की आवाज को सुनकर खुद ही अपनी सेटिंग्स बदल लेती हैं.

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