3 मुकदमे कैसे बन गए मुख्तार अंसारी के लिए फांस !
3 मुकदमे कैसे बन गए मुख्तार अंसारी के लिए फांस: बदलनी पड़ी 6 जेलें, आखिर में मौत
यूपी सरकार के मुताबिक हत्या, गैंगस्टर के आरोपों वाले 7 केस में मुख्तार अंसारी सजायफ्ता था. उस पर करीब 61 मामलों में ट्रायल चल रहा था. मुख्तार एक केस में गवाह भी था.
उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक और बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की 28 मार्च देर रात बांदा के एक अस्पताल में मौत हो गई. डॉक्टरों के मुताबिक हार्ट अटैक की शिकायत पर उसे यहां लाया गया था. हालांकि, परिवार के लोग इस मौत को साजिश बता रहे हैं.
यूपी सरकार के मुताबिक हत्या, गैंगस्टर के आरोपों वाले 7 केस में मुख्तार अंसारी सजायफ्ता था और उस पर अभी करीब 61 मामलों में ट्रायल चल रहा था. मुख्तार एक केस में गवाह भी था.
हालांकि, 3 केस मुख्तार के जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुए. पुलिस और परिवार की मानें तो जेल में मुख्तार की मौत की बड़ी वजह यह 3 केस ही बने.
इस स्पेशल स्टोरी में इन तीन केसों के बारे मे जानते हैं-
1. उसरी चट्टी केस, जिसे परिवार हत्या की वजह बता रहा
गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा में एक गांव है, उसरी चट्टी. 2001 में यहां पर पंचायत चुनाव के दौरान मुख्तार अंसारी पर हमला हुआ था. मुख्तार उस वक्त मऊ के विधायक थे.
इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी. मुख्तार समेत 7 लोग घायल हुए थे. हमले का आरोप बृजेश सिंह गैंग पर लगा और उसे मामले में आरोपी बनाया गया. वर्तमान में इस कांड का ट्रायल कोर्ट में चल रहा है और इसमें जल्द ही मुख्तार की गवाही होनी थी.
सितंबर 2023 में मुख्तार ने एमपी-एमएलए कोर्ट को एक आवेदन दिया था. इस आवेदन में उन्होंने कहा था कि मुझे सुरक्षा दी जाए, क्योंकि उसरी चट्टी केस में सरकार गवाही नहीं होने देना चाहती है.
मुख्तार के भाई और सांसद अफजाल अंसारी एबीपी न्यूज से कहते हैं- मुख्तार को मारने की लंबे वक्त से साजिश की जा रही थी. सरकार बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह को बचाना चाहती है और मुख्तार के जिंदा रहते, वो बच नहीं सकता था.
परिवार ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
मऊ दंगा केस, जिसकी वजह से जेल गया और फिर बाहर नहीं निकला
2005 में मुख्तार अंसारी मऊ दंगे की वजह से ही जेल गया था. मुख्तार इसके बाद जिंदा रहते कभी जेल से बाहर नहीं आ पाया. साल 2005 में मऊ शहर में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई थी. घटना का आरोप मुख्तार पर लगा और पुलिस ने उसे जेल भेज दिया.
पूरी घटना इस प्रकार है. अक्टूबर 2005 में ‘भरत मिलाप’ का कार्यक्रम था. कार्यक्रम के दौरान ही स्पीकर बजने को लेकर दो गुटों में झड़प हो गई. यह झड़प धीरे-धीरे हिंसा का रूप ले लिया. मऊ के इस दंगे में 8 हिंदू और 7 मुसलमान मारे गए.
यूपी में उस वक्त मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष ने मुलायम की घेराबंदी कर दी. सरकार के बैकफुट पर आते ही पुलिस ने मुख्तार के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया.
मामला तूल पकड़ता देख मुख्तार ने खुद सरेंडर कर दिया. बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई. मुख्तार के खिलाफ इसके बाद कई केस पुलिस ने खोल दिए. इन केसों की वजह से मुख्तार को अलग-अलग समय पर 6 जेलों में शिफ्ट किया गया.
मजदूर हत्याकांड, जिसकी वजह से पंजाब से दोबारा यूपी आना पड़ा था
2019 से 2021 तक मुख्तार अंसारी पंजाब जेल में था. उस वक्त की रिपोर्ट के मुताबिक अंसारी वहां जेल में शानदार जिंदगी जी रहा था, लेकिन इसी बीच एक मुकदमे की वजह से वापस यूपी आना पड़ा.
यह केस था- 2014 में आजमगढ़ में 2 मजदूर की हत्या.
इसी केस को लेकर यूपी पुलिस मुख्तार को लेने 2021 में पंजाब पहुंची थी. हालांकि, पंजाब पुलिस ने उसे देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद यूपी पुलिस सुप्रीम कोर्ट चली गई. लंबी सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने मुख्तार को यूपी भेज दिया.
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में आजमगढ के तरंवा गांव में सड़क के ठेके पट्टे को लेकर गोलीबारी हुई. इस गोलीबारी में दो मजदूरों की मौत हो गई. मामले में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपी बनाया.
मुख्तार भी इस केस में आरोपी बनाया गया. उस पर गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया.