नागरिकता संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, जानें किन 13 लोगों ने दायर की याचिका

नई दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार देर रात नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) को मंजूरी दे दी. इससे यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने वाला एक अधिनियम बन गया है. भारत के राजपत्र, नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के अनुसार, ‘संसद को 12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई और यहां सामान्य जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया.’ अधिनियम आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन के साथ लागू होता है. शुक्रवार को ही नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ अभी तक 13 याचिकाएं दायर हो चुकी है.

याचिकाकर्ताओं के नाम-:

  1. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
  2. तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा
  3. पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अय्यूब
  4. NGO रिहाई मंच और पीपल अगेंस्ट हेट
  5. कांग्रेस नेता जयराम रमेश
  6. वकील एहतेशाम हाशमी
  7. प्रद्योत देव बर्मन
  8. जन अधिकार पार्टी के महासचिव फैजुद्दीन
  9. पूर्व हाईकमिश्नर देव मुखर्जी
  10. वकील एम एल शर्मा
  11. Symbiosis लॉ स्कूल के छात्र
  12. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन
  13. असम में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया, अब्दुल खालिक, रूपज्योति कुमारी

 

मालूम हो कि अधिनियम के अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्य, जो 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं और वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी. नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 बुधवार को राज्य सभा द्वारा पारित किया गया था और लोकसभा द्वारा सोमवार को पारित किया गया था.

 

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