शिक्षा विभाग के कायदे ही नहीं मान रहे स्कूल ?
नोटिसों से राजफाश: शिक्षा विभाग के कायदे ही नहीं मान रहे स्कूल
जिले में संचालित निजी स्कूल शिक्षा विभाग के नियम और कायदों को ही नहीं मान रहे है। इस बात का राजफाश गुरुवार को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 35 निजी स्कूलों को जारी किए गए नोटिसों से हुआ।
- फीस बढ़ाने से लेकर संपत्ति तक की जानकारी नहीं दी
- आडिट रिपोर्ट भी दिखावा
ग्वालियर: जिले में संचालित निजी स्कूल शिक्षा विभाग के नियम और कायदों को ही नहीं मान रहे है। इस बात का राजफाश गुरुवार को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 35 निजी स्कूलों को जारी किए गए नोटिसों से हुआ। जिन बिंदुओं पर नोटिस दिया गया, उनमें से एक भी नियम का पालन स्कूल करते हुए नहीं मिले या यह कहें कि शिक्षा विभाग के नियमों को ताक पर रखकर जिले में स्कूल संचालित हो रहे हैं और शिक्षा विभाग तमाशा देख रहा है। हालांकि इस बार जिला प्रशासन सख्त रुख अपनाए हुए है, जिसको लेकर पहली बार एक साथ 35 निजी स्कूलों को नोटिस दिए गए। लेकिन इन नोटिस का क्या असर पड़ेगा यह आने वाले समय में ही पता चलेगा।
इन स्कूलों को मिले नोटिस
लिटिल एंजेल हाइस्कूल, द रेडिएंट स्कूल, पोददार इंटरनेशनल स्कूल, रामश्री किड्स स्कूल, आदित्य वलर्ड स्कूल, एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, आर्यन स्कूल आफ संस्कार, भारतीय विद्या निकेतन, देहली पब्लिक स्कूल, कार्मल कान्वेंट स्कूल, दून पब्लिक स्कूल, एबनेजर पब्लिक स्कूल, जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल, आइटीएम ग्लोबल सिथौली, प्रगति विद्यापीठ, वीनस पब्लिक स्कूल, सेंट जोसेफ पब्लिक स्कूल, जेंट जान वियानी स्कूल, मार्निंग स्टार स्कूल मुरार, माउंट लिटेरा जी स्कूल रायरू, किडीज कार्नर स्कूल, मानवेंद्र ग्लोबल स्कूल, बालाजी पब्लिक स्कूल डबरा, नारायणा ई-टेक्नो स्कूल, एस किंडर गार्डन स्कूल, सेंट पीटर्स सिमरिया टेकरी डबरा, ग्लोबल इंटरनेशनल स्कूल डबरा, सिल्वर बैल्स पब्लिक स्कूल, रामकृष्ण मिशन थाटीपुर, न्यूट्रिक पब्लिक स्कूल, ग्रीनवुड स्कूल आदित्यपुरम, ऋषिकुल विद्या निकेतन शिवपुरी लिंक रोड, सेवन आई वल्र्ड स्कूल, अशोका इंटरनेशनल स्कूल, राइज इंटरनेशनल स्कूल नैनागिर।
प्रबंधन को नहीं संपत्ति की जानकारी
जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार का कहना है कि समिति द्वारा संचालित किए जा रहे स्कूलों को अपनी आय और व्यय की जानकारी शिक्षा विभाग को देनी होती है। स्कूल जिस स्थान पर संचालित हो रहा है वह संपत्ति किराये की है, लीज की है या खरीदी गई है, इसकी जानकारी भी विभाग को देने के साथ सूचना पटल पर डिस्पले करनी जरूरी है। जिससे अभिभावक को भी इसकी जानकारी रहे। लेकिन किसी भी स्कूल द्वारा न तो जानकारी दी और न ही सूचना पटल पर चस्पा की।
आडिट रिपोर्ट भी दिखावा
स्कूल द्वारा जो आडिट रिपोर्ट दी जाती है वह मात्र दिखावा है। रिपोर्ट में केवल शिक्षण फीस की जानकारी दी जाती है, जबकि स्कूल किस किस मद में फीस ले रहे जैसे लैब,कंप्यूटर लैब,क्रीडा सहित जिन मदों में फीस ली जाती है उसकी जानकारी विस्तार से देनी चाहिए पर नहीं दी जाती। इसके साथ ही एजुकेशन पोर्टल पर भी जानकारी अपडेट नहीं की जाती और फीस बढ़ाने की जानकारी तक स्कूल नहीं देते।
सूचना पटल व पोर्टल पर नहीं देते जानकारी
जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि स्कूलों के सूचना पटल पर व एजुकेशन पोर्टल पर स्कूल की समस्त जानकारी अपडेट करना अनिवार्य है, लेकिन इसका पालन स्कूल नहीं करते। पटल पर स्कूल में पदस्थ टीचर, उनकी योग्यता, छात्रों की सीट, रिक्त सीट, कोर्स की डिटेल देना अनिवार्य जो नहीं दी जाती। फीस बढ़ाई जा रही है तो क्यों, स्कूल का विस्तार हो रहा है तो क्या विस्तार किया जा रहा है, कोई संपत्ति खरीदी जा रही या भवन निर्माण हो रहा, छात्रों को क्या सुविधा मिलने वाली है आदि सूचना पटल पर जानकारी देना जरूरी होता है। इससे अभिभावक को पता रहे कि उसके बच्चे के स्कूल में क्या होने वाला है तथा वह बढ़ी हुई फीस क्यों दे रहे और उससे क्या सुविधा मिलने वाली है।