‘संदेह पर विराम लगना चाहिए ? EVM-VVPAT मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला .

‘संदेह पर विराम लगना चाहिए…’, पढ़िए EVM पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम में डाले गए वोटों का वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिकाएं दाखिल की गईं थीं. इनको कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले के साथ विपक्षी दलों के उन आरोपों पर विराम लग गया, जो लगातार ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर उठाए जा रहे थे. आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें.

'संदेह पर विराम लगना चाहिए...', पढ़िए EVM पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

EVM-VVPAT मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला.

‘ईवीएम पर संदेह जताते हुए पहले भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर होती रही हैं. अब इस मुद्दे पर हमेशा के लिए विराम लग जाना चाहिए. जब तक ईवीएम के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत न हो, चुनाव प्रक्रिया में मौजूदा व्यवस्था निरंतर सुधार के साथ लागू रहनी चाहिए. मतदान के लिए ईवीएम के बजाय बैलट पेपर या फिर कोई दूसरा पीछे ले जाने वाली व्यवस्था को अपनाना, उससे बचा जाना चाहिए…’ ये बातें सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से जुड़ी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहीं. 

आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें.

    1. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग से इस बात की जांच करने को कहा कि क्या वीवीपैट पर्चियों पर पार्टी के चुनाव चिन्ह के अलावा कोई बारकोड हो सकता है, जिसे मशीन से गिना जा सके. सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने दो फैसले दिए. इसमें जस्टिस संजीव खन्ना के फैसले पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सहमति जताई. यानी सभी याचिकाओं में की गई मांगों को दोनों जजों ने खारिज किया.
    2. हालांकि, जस्टिस खन्ना ने अपने फैसले में चुनाव आयोग को दो निर्देश और सुझाव भी दिए. कहा कि वीवीपीएट मशीन की सिंबल लोडिंग यूनिट को भी अब सीलबंद रखा जाए. चुनाव परिणाम की घोषणा होने के बाद 45 दिन तक इसे स्ट्रांग रूम में सीलबंद रखें. याद रहे कि अभी तक सिर्फ कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, वीवीपीएट को ही 45 दिन तक सीलबंद रखा जाता है. ताकि अगर कोई चाहे तो इस अवधि में चुनाव परिणाम को लेकर याचिका दाखिल कर सके.
  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘सिंबल लोडिंग यूनिट्स को सभी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में उनके हस्ताक्षर के बाद कंटेनर में सीलबंद रखा जाए. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव परिणाम से असंतुष्ट उम्मीदवार की शिकायत पर ईवीएम की जांच का निर्देश दिया है. चुनाव परिणाम के बाद दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले उम्मीदवार अगर इससे संतुष्ट नहीं हैं तो वो हरेक विधानसभा क्षेत्र में 5% ईवीएम में बर्न मेमोरी माइक्रोकंट्रोलर की जांच की मांग कर सकते हैं’.
  2. ‘यह मांग ऐसे उम्मीदवारों की ओर से 7 दिन के अंदर होनी चाहिए. उम्मीदवार ये तय कर सकेंगे कि किस खास ईवीएम की जांच कराना चाहते हैं. अगर दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले उम्मीदवार इसको लेकर लिखित अनुरोध करते हैं तो इंजीनियरों की टीम ईवीएम की जांच करेगी. इंजीनियरों की टीम जब जांच कर रही हो तो उम्मीदवार वहां मौजूद रह सकते हैं’.
  3. ‘इसके बाद इंजीनियर की टीम के परामर्श के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ये घोषणा करेंगे कि कोई गड़बड़ हुई है या नहीं. इस जांच में जो पैसा खर्च होगा, उसका खर्च वो उम्मीदवार वहन करेगा, जिसने शिकायत की है. अगर जांच में ये साफ होता है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई है तो पैसा वापस कर दिया जाएगा’.
  4. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दो सुझाव दिए. कहा कि चुनाव आयोग इस पर विचार करे कि क्या वीवीपीएट पर्चियों की गिनती के लिए कोई इलेक्ट्रॉनिक मशीन की व्यवस्था हो सकती है. क्या हर एक सियासी दल के सिंबल के साथ-साथ कोई बारकोड भी हो सकता है. साथ ही कोर्ट ने उस प्रावधान को हटाने से इनकार किया जिसके तहत ईवीएम में गड़बड़ी की फर्जी शिकायत करने पर वोटर के लिए दंड का प्रावधान है.
  5. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा जारी निर्देशों से सहमति जताते हुए एक अलग राय दी. वीवीपीएट को वोटिंग मशीनों के लिए एक स्वतंत्र सत्यापन प्रणाली माना जाता है, जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उन्होंने अपना वोट सही ढंग से डाला है या नहीं.
  6. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दो सुझाव दिए. कहा कि चुनाव आयोग इस पर विचार करे कि क्या वीवीपीएट पर्चियों की गिनती के लिए कोई इलेक्ट्रॉनिक मशीन की व्यवस्था हो सकती है. क्या हर एक सियासी दल के सिंबल के साथ-साथ कोई बारकोड भी हो सकता है. साथ ही कोर्ट ने उस प्रावधान को हटाने से इनकार किया जिसके तहत ईवीएम में गड़बड़ी की फर्जी शिकायत करने पर वोटर के लिए दंड का प्रावधान है.
  7. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा जारी निर्देशों से सहमति जताते हुए एक अलग राय दी. वीवीपीएट को वोटिंग मशीनों के लिए एक स्वतंत्र सत्यापन प्रणाली माना जाता है, जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उन्होंने अपना वोट सही ढंग से डाला है या नहीं.

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