नोएडा में 10 बड़े कॉमर्शियल डेवलपर्स पर 8400 करोड़ बकाया !
नोएडा में 10 बड़े कॉमर्शियल डेवलपर्स पर 8400 करोड़ बकाया …
NCLT और कोर्ट केस होने से वसूली नहीं हो रही, मांग रहे जीरो पीरियड लाभ
नोएडा में कॉमर्शियल प्रोजेक्ट के टॉप 10 बकायादार पर नोएडा प्राधिकरण का 8400 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। इसमें सुपर टेक, एटीएस, बुलेवार्ड, एमएमआर साहा, सन शाइन, ग्रेनाइट हिल और बीपीटीपी इंटरनेशनल समेत अन्य शामिल हैं।
प्राधिकरण इन डेवलपर्स से बकाया वसूल नहीं कर पा रहा है, क्योंकि कई परियोजनाएं या तो एनसीएलटी में हैं या दिवाला प्रक्रियाओं के तहत एनसीएलटी में जाने की प्रक्रिया में हैं। कुछ मामलों में डेवलपर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जबरदस्ती कार्रवाई के खिलाफ स्थगन आदेश और स्टे लिया है।
प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार नोएडा में सबसे बड़ा डिफॉल्ट सेक्टर 94 में सुपरटेक की मेगा कॉमर्शियल परियोजना सुपरनोवा है। इस पर अकेले 2100 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। अधिकारियों के अनुसार, डेवलपर ने प्राधिकरण के नोटिस के खिलाफ इलाहाबाद एचसी में एक याचिका दायर की थी और किसी भी दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ स्थगन आदेश प्राप्त किया है।

दूसरा सबसे बड़ा डिफॉल्ट सेक्टर-124 में एटीएस का नाइट्सब्रिज प्रोजेक्ट है। इस पर बकाया करीब 2000 करोड़ रुपए है। एनसीएलटी ने हाल ही में कंपनी के आवेदन को स्वीकार किया। जिसके तहत एक आई आरपी नियुक्त किया गया है।
इसी तरह बुलेवार्ड प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, जो एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है। इसका स्वामित्व रियल्टी फर्म 3सी ग्रुप के प्रमोटर के पास है।
सेक्टर 16 बी में दिल्ली वन प्रोजेक्ट पर प्राधिकरण का 1450 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। ये प्रोजेक्ट भी एनसीएलटी में है। सेक्टर 52 में एमएमआर साहा ग्रुप के 52एवेन्यू पर प्राधिकरण का 1100 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है।
इस ग्रुप ने एनजीटी के आदेश पर निर्माण प्रतिबंध के कारण जीरो पीरियड का फायदा के लिए राज्य सरकार के समक्ष अपील दायर की है, जो लंबित है।

कॉमर्शियल प्रोजेक्ट पर नहीं लागू होती अमिताभ कांत की सिफारिश
स्टेट गवर्नमेंट ने बकाया और रजिस्ट्री के लिए अमिताभ कांत की सिफारिश लागू की। जिसके तहत डेवलपर कुल बकाया का 25 प्रतिशत जमा कर सकता है। इसके बाद आसान किस्तों पर शेष बकाया जमा कर सकता है।
इसके अलावा लॉकडाउन और एनजीटी के समय का जीरो पीरियड का फायदा भी मिलेगा। ये सिफारिश कॉमर्शियल प्रोजेक्ट पर लागू नहीं है। डेवलपर की डिमांड है इसे लागू किया जाए। प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि इन डेवलपर ने करीब 2 साल से प्राधिकरण में पैसा जमा नहीं कराया।

बड़े और छोटे डेवलपर्स की केस टू केस होगी स्टडी
हाल ही में प्राधिकरण ने इस डेवलपर्स के साथ एक बैठक की। जिसमें 30 से ज्यादा डेवलपर्स शामिल हुए। अधिकांश बकायादार ने एनजीटी का हवाला देते हुए जीरो पीरियड की मांग की। इसके अलावा कुछ ने लॉकडाउन का हवाला दिया।
इन बकायादार में कोर्ट केस और एनसीएलटी के बकायादार भी शामिल थे। कुछ ने प्राधिकरण के कैलकुलेशन पर सवाल खड़े किए। ऐसे में सीईओ लोकेश एम ने केस टू केस स्टडी करने का निर्देश दिया। अगले सप्ताह इन डेवलपर्स के साथ एक बैठक और होगी।