नोएडा : 15 हजार करोड़ घोटाले की जांच नोएडा पुलिस ही करेगी !
15 हजार करोड़ घोटाले की जांच नोएडा पुलिस ही करेगी
शासन ने निरस्त किया ईओडब्ल्यू जांच ट्रांसफर का आदेश
इस फर्जीवाड़े में कई अरब पति कारोबारी समेत 41 आरोपी अब तक गिरफ्तार हो चुके है। किसी भी आरोपी को अब तक जमानत नहीं मिली है।
फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर सरकार को कई हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाने वाले गिरोह का पर्दाफाश सेक्टर-20 पुलिस ने जून 2023 में किया था। सेक्टर-20 पुलिस ही मामले की जांच कर रही थी।
इस प्रकरण के आरोपी दिल्ली के अरब पति कारोबारी संजय ढिंगरा ने जांच गौतमबुद्धनगर जिले के थाना सेक्टर-20 से ट्रांसफर कराकर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कराने के आदेश 18 अप्रैल को करवा लिए थे।
जांच के आदेश नोएडा पुलिस को मिलते, इससे पहले की गिरफ्तारी
इससे पहले जांच के आदेश नोएडा पहुंच पाते थाना सेक्टर-20 पुलिस व सीआरटी टीम ने संजय और उसके आरोपी परिवार की धरपकड़ शुरू की और उसे मई माह के शुरुआत में ही पत्नी व बेटे के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
वहीं जांच ट्रांसफर कराए जाने की भनक लगते ही इस प्रकरण का वादी भी इसको चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट इलाहाबाद पहुंच गया। तीनों की गिरफ्तारी के बाद नोएडा पुलिस के अधिकारियों ने भी इस प्रकरण से शासन व पुलिस मुख्यालय को अवगत कराया था।
आरोपी के कहने पर जांच ट्रांसफर किए जाने की बात सामने आते ही शासन प्रशासन में इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई। अब शासन के गृह गोपन विभाग के अनु सचिव ने ईओडब्ल्यू के एडीजी को जांच ट्रांसफर संबंधी 18 मई का आदेश निरस्त किए जाने की जानकारी देते हुए इस प्रकरण में सुनिश्चित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है।
जांच ट्रांसफर होने का आदेश निरस्त होते ही कारोबारी संजय और उसके साथियों की धड़कनें फिर से बढ़ने लगी हैं।
पैसे और रसूख के दम पर अधिकारियों को किया था गुमराह
पानीपत के उद्योगपति फिर पंजाबी बाग के अरबपति परिवार पर नोएडा पुलिस की जांच टीम ने जैसे ही शिंकजा कसना शुरू किया वैसे ही इन कारोबारियों ने अपने-अपने स्तर से पहले जांच से नाम हटाने का प्रयास शुरू किया।
कमिश्नरेट पुलिस के कई अधिकारियों से आरोपी कारोबारियों ने संपर्क करने का प्रयास किया पर वह असफल रहे। इसके बाद संजय ढिंगरा ने लखनऊ में शासन सत्ता में बैठे अधिकारियों व राजनेताओं की शरण ली।
संजय ढिगरा अपने व परिवार को बचाने के लिए लगे थे। शिकंजा कसता देख उसने दिल्ली के कुछ अधिकारियों व राजनेताओं के माध्यम से लखनऊ में शासन सत्ता में बैठे नेता व अधिकारियों को 15 हजार करोड़ की जांच थाना व जिला स्तर पर किए जाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्हें गुमराह किया और फिर जांच ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर होने की हरी झंडी मिलते ही दिल्ली लौट आया।