जामिया हिंसा: 2 दिन से गुपचुप चल रही थी तैयारी, चूक गया दिल्ली पुलिस का खुफिया तंत्र!

नई दिल्ली: ऐसा नहीं है कि रविवार शाम दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली जिले में नागरिकता (संशोधन) कानून (Citizenship Amendment Act) को लेकर बवाल अचानक शुरू हो गया. इसकी गुपचुप तैयारी दो-तीन दिन से चल रही थी. यह अलग बात है कि दिल्ली पुलिस के खुफिया तंत्र को इसकी भनक नहीं लग सकी. दिल्ली पुलिस और उसका खुफिया तंत्र अगर सतर्क होता तो शायद रविवार की शाम जो नौबत आई, वह नहीं आती. इस लापरवाही का खामियाजा दिल्ली पुलिस और आम लोग, दोनों को भुगतना पड़ा. सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ, सो अलग.

दिल्ली पुलिस की लापरवाही के आलम का ही परिणाम था कि हालात लम्हा-लम्हा बिगड़ते गए. हालात इस कदर विस्फोटक हो गए कि नौबत गोलीबारी तक की आ पहुंची. हालांकि गोली चलाए जाने की पुष्टि देर रात दिल्ली पुलिस

आईएएनएस ने देर रात करीब साढ़े नौ बजे दिल्ली पुलिस प्रवक्ता एसीपी अनिल मित्तल से जब घटनाक्रम के बारे में पूछा तो उन्होंने भी कोई अधिकृत जानकारी होने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “इस मामले में हमारे पास कोई जानकारी नहीं है. इस मामले को सीधे तौर पर दक्षिणी-पूर्वी जिले के डीसीपी चिन्मय विस्वाल देख रहे हैं. वे ही अधिकृत जानकारी दे पाएंगे.”

सामंजस्य की ही कमी का नतीजा
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता के इस बयान से साफ हो जाता है कि दिल्ली पुलिस का हर अधिकारी पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ना चाह रहा था. इतना ही नहीं, दिल्ली पुलिस में सामंजस्य की ही कमी का नतीजा था, जिसके चलते दक्षिण-पूर्वी जिले में शाम के वक्त मचे बवाल को काबू करने में जुटी दिल्ली पुलिस बाकी इलाकों की सुरक्षा करना भूल गई.

दुबारा मुसीबत में फंस गई
पुलिस की इसी लापरवाही के चलते जामिया के सैकड़ों गुस्साए छात्रों ने देर रात करीब 9.30 बजे आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय को घेर लिया. अचानक पुलिस मुख्यालय घेरे जाने से पुलिस एक बार चंद घंटों के अंदर ही दुबारा मुसीबत में फंस गई. दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली जिले में शाम के वक्त हुए बवाल के साथ ही अगर पुलिस सचेत होती तो दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर देर रात भीड़ को पहुंचने से रोका जा सकता था.

सूचनाओं को गंभीरता से नहीं ले सकी पुलिस
दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस खुफिया विभाग (स्पेशल ब्रांच) के एक विश्वस्त अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर देर रात आईएएनएस को बताया, “जामिया के अंदर और बाहर क्या कुछ हालात हैं, इसकी कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं बाकायदा जिला पुलिस को मुहैया करा दी गई थीं. जिला पुलिस शायद इन सूचनाओं को गंभीरता से नहीं ले सकी.”

 

इतना बवाल क्यों और कैसे हो गया?
कमी चाहे जिला पुलिस के स्तर पर रही हो या फिर दिल्ली पुलिस के खुफिया तंत्र के स्तर पर, जांच आगे होती रहेगी. सवाल यह है कि अगर दिल्ली पुलिस ‘अलर्ट’ थी तो इतना बवाल क्यों और कैसे हो गया?

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