होममेड खाना भी हो सकता है अनहेल्दी ?

होममेड खाना भी हो सकता है अनहेल्दी
ICMR ने जारी की नई गाइडलाइंस, जानिए शुगर, नमक और फैट की डेली लिमिट

रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय लोगों की 56.4 फीसदी बीमारियों की वजह गलत खानपान है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि गलत खानपान का मतलब बाहर जंक फूड या फास्ट फूड खाना है, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है।

ICMR की डाइट्री गाइडलाइन्स बताती हैं कि अगर घर के खाने में हाई फैट, हाई शुगर या ज्यादा नमक है तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

अगर हम भारतीय खाने-पीने की आदतों में सुधार कर लें तो डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

इसलिए आज जरूरत की खबर में बात घर पर बने खाने की।

साथ ही जानेंगे कि-

  • क्या आप सही डाइट ले रहे हैं या नहीं?
  • घर पर खाना बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी?

एक्सपर्ट- डॉ. – सीनियर फिजिशियन,  हॉस्पिटल (मुंबई)

डॉ.  अग्रवाल- सीनियर डाइटीशियन (नई दिल्ली)

सवाल- घर का बना खाना कैसे अनहेल्दी हो सकता है?
जवाब-
 अगर घर के खाने में हाई सैचुरेटेड फैट, हाई शुगर या नमक होता है तो मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (अमीनो एसिड और फैट), फाइबर, विटामिन और मैग्नीशियम की मात्रा बहुत कम होती है। जबकि कैलोरी बहुत ज्यादा होती है।

लगातार ऐसा भोजन करने से शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते हैं।

ICMR के मुताबिक हाई सैचुरेटेड फैट या हाई शुगर वाला खाना शरीर में इनफ्लेमेशन का भी कारण बनता है। यह गट माइक्रोब्स को नुकसान पहुंचाता है। जिससे हाइपरटेंशन और किडनी से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। खाने में जरूरी अमीनो एसिड, फैटी एसिड और न्यूट्रिएंट्स की कमी एनीमिया का भी कारण बन सकती है।

सवाल- प्रतिदिन सैचुरेटेड फैट, शुगर और नमक के सेवन की सही मात्रा क्या है?
जवाब-
 ICMR द्वारा सैचुरेटेड फैट, शुगर और नमक की मात्रा को लेकर भी गाइंडलाइन्स जारी की गई है।

  • घी, बटर, नारियल तेल, वनस्पति तेल या पाम ऑयल जैसे तेल सैचुरेटेड फैट में आते हैं। हर दिन 2000 कैलोरी की डाइट में सैचुरेटेड फैट की मात्रा 10 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • स्नैक्स, नमकीन, पापड़ और अचार जैसे घर के बने फूड में नमक की मात्रा अधिक हो सकती है। एक एडल्ट को प्रतिदिन नमक का सेवन 5 ग्राम से ऊपर नहीं करना चाहिए। यह शरीर में सोडियम की जरूरत के लिए काफी है।
  • चीनी, अल्ट्रॉप्रोसेस्ड फूड या फ्रूट्स जूस किसी भी फॉर्म में शुगर का सेवन कुल एनर्जी इनटेक का 5% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यानी शुगर की मात्रा प्रतिदिन 25 ग्राम (2000 कैलोरी/दिन) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे ज्यादा होने पर यह शरीर के लिए नुकसानदायक है।

सवाल- एक दिन में कितनी डाइट लेनी चाहिए?
जवाब-
 डॉ. अनु अग्रवाल बताती हैं कि हर एक व्यक्ति की डाइट अलग होती है। यह व्यक्ति की उम्र, लंबाई, वजन या फिजिकल एक्टिविटी के आधार पर तय की जा सकती है। लेकिन हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारी खाने की थाली कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर के साथ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (विटामिन, मिनरल्स) से भरपूर होनी चाहिए।

ICMR की गाइडलाइन्स के मुताबिक सेहतमंद रहने के लिए एक व्यक्ति को दिनभर में 1200 ग्राम भोजन जरूरी है। जिससे उसे 2000 कैलोरी मिलती हैं।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों में या तो लोग जंक फूड-फास्ट फूड खा रहे हैं या फिर घर पर बहुत तला-भुना और मसालेदार खा रहे हैं। इससे बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि हर दिन का डाइट चार्ज कैसा होता चाहिए।

सवाल- पैकेज्ड फूड को लेकर ICMR ने क्या कहा है?
जवाब-
 ICMR ने लोगों को सलाह दी है कि कोई भी पैकेज्ड फूड खरीदने से पहले उसके लेबल पर दी गई जानकारी को जरूर पढ़ें। इससे उसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स की सही मात्रा के बारे में जान सकेंगे। इसके अलावा प्रोडक्ट्स का लेबल पढ़ने से यह पता चलता है कि उसमें क्या मिलाया गया है।

सवाल- खाने की थाली कैसी होनी चाहिए?
जवाब-
 ICMR और NIN की गाइंडलाइंस के मुताबिक जब भी आप खाना खाएं, आधी प्लेट सब्जियों और फलों से भरी होनी चाहिए। बहुत सी बीमारियों से बचने के कॉम्पोनेंट्स इन्हीं फलों और सब्जियों में होते हैं। दूसरा बड़ा हिस्सा अनाज का है। इसके बाद दालें, नॉनवेज, अंडे, ड्राय फ्रूट्स, तिलहन और डेयरी प्रोडक्ट्स डेली डाइट में शामिल होने चाहिए।

सवाल- खाना बनाने का सही तरीका क्या है?
जवाब-
 खाना खाने के साथ उसे सही तरीके से पकाना भी जरूरी है। जिससे भोजन के न्यूट्रिएंट्स नष्ट न हों। ऑयल फ्री कुकिंग को लेकर भी ICMR द्वारा गाइडलाइंस जारी की गई है। जिसमें सोकिंग, मैरिनेटिंग और ब्लैचिंग पर काफी जोर दिया गया है।

सोकिंग- खाना बनाने से पहले अनाज को 3 से 6 घंटे भिगोने की सलाह दी गई है। ऐसा करने से इसमें मौजूद फाइटिक एसिड कम होता है, जिससे शरीर को जरुरी मिनरल्स मिलते हैं।

मैरिनेटिंग- खाना बनाने से पहले उसे कुछ देर खट्टे पदार्थों में भिगोने को मैरिनेटिंग कहते हैं। नॉन वेज खाने में इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है।

ब्लैंचिंग- सब्जी को बनाने से पहले कुछ देर उसे गर्म पानी में पकाएं, इससे सब्जियों से पेस्टिसाइड हटेंगे और माइक्रोबियल लोड कम होगा।

सवाल- खाना बनाने में किस तरह के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए?
जवाब-
 सीनियर फिजिशियन उर्वी महेश्वरी खाना बनाने के कुछ तरीकों को लेकर बदलाव करने की सलाह देती हैं। जैसेकि-

  • नॉन स्टिक किसी भी बर्तन का इस्तेमाल न करें। उसमें टेफलॉन पाया जाता है, जो मोटापा, डाइबिटीज, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
  • मिट्टी के बर्तन या लोहे के बर्तनों का खाना बनाने में इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है। ICMR ने भी इसकी सलाह दी है।
  • प्लास्टिक के बर्तनों में कभी भी गर्म खाना नहीं रखना चाहिए। इससे कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

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