‘मेक इन यूपी’ ?

डिफेंस कॉरिडोर से ‘मेक इन यूपी’ को मिलेगी रफ्तार, लाखों नौकरियां-फायदे बेशुमार!
Make in UP Mission: भारत कई सालों से दुनिया के सबसे प्रमुख हथियार खरीदारों में शामिल रहा है. हालांकि अब इसमें कमी आने लगी है और सरकार विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है…

केंद्र सरकार देश को विभिन्न मामलों में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास कर रही है. इन प्रयासों में डिफेंस यानी रक्षा सेक्टर से जुड़े प्रयास अलग महत्व रखते हैं. इसका कारण है कि भारत पारंपरिक तौर पर रक्षा मामलों में अन्य देशों पर निर्भर रहता आया है और छोटे सैन्य हथियारों से लेकर बड़े युद्धक विमानों तक का आयात करता आया है. अब धीरे-धीरे इस स्थिति में बदलाव आ रहा है और आने वाले दिनों में रक्षा के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने में उत्तर प्रदेश का योगदान काफी अहम रहने वाला है.

एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि भारत बीते सालों के दौरान दुनिया के सबसे प्रमुख हथियार खरीदारों में शामिल रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 से 2023 के दौरान भारत के हथियार के आयात में 11 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन उसके बाद भी भारत हथियार खरीदने में सबसे ऊपर रहा.

आने लगी आयात में कमी

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट भारत के हथियारों के आयात में आई गिरावट के कारण भी गिनाती है. उसमें एक कारण बताया गया है कि भारत के द्वारा हथियार खरीदने की प्रक्रिया सुस्त हुई है. दूसरी ओर भारत सरकार ने स्थानीय स्तर पर हथियारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई मुहिमों की शुरुआत की है. रिपोर्ट की यह बात अनायास नहीं है. उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में बन रहे डिफेंस गलियारे को देख सकते हैं.

 

डिफेंस कॉरिडोर की योजना का मुआयना करते पीएम मोदी और सीएम योगी
डिफेंस कॉरिडोर की योजना का मुआयना करते पीएम मोदी और सीएम योगी
इन छह जिलों में नोड

उत्तर प्रदेश ने डिफेंस कॉरिडोर पर पहले ही काम शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के डेवलपमेंट के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी यूपीडा को नोडल एजेंसी बनाया गया है. यूपीडा की वेबसाइट बताती है कि उसे छह नोड में डेवलप किया जा रहा है. यूपीडीआईसी के छह नोड हैं- अलीगढ़, आगरा, कानपुर, चित्रकूट, झांसी और लखनऊ. यह कॉरिडोर एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर में आयात व अन्य देशों पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए समर्पित है. यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश को भारत के सबसे बड़े व उन्नत रक्षा विनिर्माण हब में एक बना देगा.

क्या है डिफेंस कॉरिडोर?

डिफेंस कॉरिडोर का मतलब एक ऐसे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से है, जो खास तौर पर डिफेंस सेक्टर को समर्पित है. आम तौर पर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में कई शहरों को एक साथ कनेक्ट किया जाता है और उस कॉरिडोर में उद्योगों को विशेष सुविधाएं मुहैया करा विनिर्माण को बढ़ावा दिया जाता है. डिफेंस कॉरिडोर के मामले में कंपनियों को हथियारों व अन्य सैन्य सामानों के विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है. यूपीडा की देख-रेख में बन रहे इस डिफेंस कॉरिडोर में बड़ी कंपनियों के साथ-साथ एमएसएमई को भी प्राथमिकता मिल रही है.

अब तक के डेवलपमेंट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डिफेंस कॉरिडोर के तहत कानपुर के साध में कुछ दिनों पहले ही अडानी समूह के एम्युनिशन मैन्युफैक्चरिंग कॉम्पलेक्स का उद्घाटन किया. इसी तरह गलियारे के चित्रकूट नोड के लिए 5 हजार करोड़ रुपये के निवेश को सरकार के द्वारा मंजूरी दी गई. यूपीडा के हिसाब से यह निवेश चित्रकूट नोड में सैन्य इस्तेमाल के सामानों के विनिर्माण में मददगार होगा. इसके लिए पहले ही यूपीडा ने 60 हेक्टेयर भूखंड के विकास की मंजूरी प्रदान कर दी है.

इन कंपनियों ने किए करार

उत्तर प्रदेश की सरकार इससे पहले डिफेंस कॉरिडोर के लिए 25 हजार करोड़ रुपये की विभिन्न विनिर्माण योजनाओं को मंजूरी प्रदान कर चुकी है. इस कॉरिडोर में प्लांट व यूनिट लगाने के लिए 100 से ज्यादा कंपनियां सक्रिय दिलचस्पी दिखा रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि अब तक 140 सरकारी व प्राइवेट कंपनियां कॉरिडोर में यूनिट के लिए राज्य सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर चुकी हैं. उन कंपनियों में अडानी डिफेंस, ब्रह्मोस एयरोस्पेस, टाटा टेक्नोलॉजीज, भारत डायनेमिक्स जैसे नाम शामिल हैं.

 

UPdefence-2
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डिफेंस कॉरिडोर के कई फायदे

सरकारी अनुमान बताते हैं कि चित्रकूट के लिए मंजूर की गई परियोजनाओं से स्थानीय स्तर पर हजारों रोजगार का सृजन होगा. इससे प्रत्यक्ष रूप से जिले में रोजगार के लगभग 25 हजार मौके तैयार होंगे, जबकि पूरे कॉरिडोर से राज्य में रोजगार के 1 लाख से ज्यादा प्रत्यक्ष अवसर बनेंगे. मतलब यह डिफेंस कॉरिडोर न सिर्फ विनिर्माण के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि इंडस्ट्रियल मैप पर उत्तर प्रदेश के छह जिलों को वैश्विक पहचान दिलाएगा. स्थानीय स्तर पर लाखों रोजगार के सृजन के साथ यह कॉरिडोर अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा.

 

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