जनरल में मारामारी, स्लीपर में पानी नहीं!
जनरल में मारामारी, स्लीपर में पानी नहीं!
AC कोच का है ये हाल, जानें दिल्ली टू इंदौर ट्रेन के हालात
अमर उजाला डिजिटल ने दिल्ली-इंदौर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में जनरल, स्लीपर और एसी कोच में रेलवे की व्यवस्था का जायजा लिया। जनरल डिब्बों में हालात सबसे ज्यादा खराब रहे। इसमें लोअर बर्थ पर करीब पांच से छह यात्री बैठे थे। जबकि अपर बर्थ का हाल भी कुछ ऐसा ही था। जगह नहीं मिलने के कारण कई लोग फर्श पर बैठ कर सफर करने को मजबूर थे।
ट्रेन नंबर 20958 नई दिल्ली-इंदौर सुपरफास्ट एक्सप्रेस अपने तय समय शाम 7.15 बजे चलने के लिए प्लेटफार्म पर तैयार थी। ट्रेन पकड़ने के लिए यात्री निर्धारित समय से पूर्व ही प्लेटफार्म पर पहुंच चुके थे। लेकिन शाम 6.50 तक ट्रेनों के गेट नहीं खोले गए। एसी, स्लीपर क्लास के कोच में सफर करने वाले यात्री प्लेटफार्म पर कोच के गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे। भीषण गर्मी के चलते यात्री पसीना पसीना हो रहे थे। शाम करीब 7 बजे ट्रेनों के गेट खोले गए। तय समय 7.15 मिनट से दो मिनट देरी से ट्रेन ने नई दिल्ली स्टेशन छोड़ा।
जनरल कोच में था कुछ ऐसा हाल
अमर उजाला डिजिटल ने इस ट्रेन में जनरल, स्लीपर और एसी कोच में रेलवे की व्यवस्था का जायजा लिया। सबसे पहले अमर उजाला की टीम ट्रेन के जनरल कोच में पहुंची। यहां यात्रियों की भीड़ थी। लोअर बर्थ पर करीब पांच से छह यात्री बैठे थे। जबकि अपर बर्थ का हाल भी कुछ ऐसा ही था। जगह नहीं मिलने के कारण कई लोग फर्श पर बैठ कर सफर करने को मजबूर थे। कुछ यात्री टायलेट के बाहर बैठकर सफर कर रहे थे। कोटा तक सफर रहे यात्री महेश जांगिड़ का कहना है कि जनरल क्लास में सफर करने वाले यात्रियों को रेलवे के लोग लाइन लगाकर ट्रेन में चढ़ाते हैं। लेकिन कोच में चढ़ने के बाद हालात खराब हो जाते हैं। कुछ लोगों को सीट मिलती है, कुछ को नहीं। कई बार धक्का मुक्की, गाली-गलौच तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में मजबूरी में नीचे बैठकर सफर करना पड़ता है। जब ट्रेन दिल्ली से छूटती है, तो ट्रेन की टॉयलेट्स में पानी होता है। लेकिन रात तक पानी खत्म हो जाता है। जनरल क्लास में टीटीई कभी आता ही नहीं है। शिकायत भी करें भी तो किससे करें। कोटा के बाद इस कोच में भीड़ कम हो जाती है। सबसे ज्यादा हालात गर्मी में खराब होते हैं। कई बार तो पंखे भी ठीक से काम नहीं करते हैं।
अमर उजाला डिजिटल ने इस ट्रेन में जनरल, स्लीपर और एसी कोच में रेलवे की व्यवस्था का जायजा लिया। सबसे पहले अमर उजाला की टीम ट्रेन के जनरल कोच में पहुंची। यहां यात्रियों की भीड़ थी। लोअर बर्थ पर करीब पांच से छह यात्री बैठे थे। जबकि अपर बर्थ का हाल भी कुछ ऐसा ही था। जगह नहीं मिलने के कारण कई लोग फर्श पर बैठ कर सफर करने को मजबूर थे। कुछ यात्री टायलेट के बाहर बैठकर सफर कर रहे थे। कोटा तक सफर रहे यात्री महेश जांगिड़ का कहना है कि जनरल क्लास में सफर करने वाले यात्रियों को रेलवे के लोग लाइन लगाकर ट्रेन में चढ़ाते हैं। लेकिन कोच में चढ़ने के बाद हालात खराब हो जाते हैं। कुछ लोगों को सीट मिलती है, कुछ को नहीं। कई बार धक्का मुक्की, गाली-गलौच तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में मजबूरी में नीचे बैठकर सफर करना पड़ता है। जब ट्रेन दिल्ली से छूटती है, तो ट्रेन की टॉयलेट्स में पानी होता है। लेकिन रात तक पानी खत्म हो जाता है। जनरल क्लास में टीटीई कभी आता ही नहीं है। शिकायत भी करें भी तो किससे करें। कोटा के बाद इस कोच में भीड़ कम हो जाती है। सबसे ज्यादा हालात गर्मी में खराब होते हैं। कई बार तो पंखे भी ठीक से काम नहीं करते हैं।
रेलवे के दिए नंबरों पर किसी ने नहीं उठाया फोन
इसके बाद अमर उजाला की टीम स्लीपर क्लास पहुंची। एस-1 और एस-3 में जनरल क्लास की तुलना में भीड़ बहुत कम थी। स्लीपर कोच में ऐसे यात्रियों की संख्या ज्यादा थी, जिनका टिकट वेटिंग में था। वेटिंग टिकट वाले यात्रियों की भीड़ कोच के टॉयलेट के बाहर लगी हुई थी। इससे हर स्टेशन पर उतरने और चढ़ने वाले यात्रियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। एस-3 कोच के टॉयलेट में पानी नहीं आ रहा था। इससे यात्री बेहद परेशान थे। यात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेलवे ने पानी, साफ-सफाई और रखरखाव के लिए कोच के हर कंपार्टमेंट में 91099-01851 और 97524-92424 पर नंबर दिए थे। यह दोनों नंबर पश्चिम रेलवे की रेल यात्री सेवा इंदौर की तरफ से जारी किए गए थे।