कैसे हुआ प्राइवेट स्कूलों की लूट का खुलासा ? 11 स्कूलों ने ही 240 करोड़ ज्यादा वसूले

कैसे हुआ प्राइवेट स्कूलों की लूट का खुलासा:कानून 6 साल पुराना, लेकिन एक्शन पहली बार; 11 स्कूलों ने ही 240 करोड़ ज्यादा वसूले

मध्यप्रदेश सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए साल 2018 में मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनिमियन) अधिनियम 2017 लागू किया था। 25 जनवरी 2018 को राजपत्र में इसका प्रकाशन हुआ। छह साल तक ये कानून ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। इस अमल नहीं हुआ।

एक दिन पहले 27 मई को जबलपुर कलेक्टर ने इसी कानून का सहारा लेकर 11 प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ न केवल कार्रवाई की, बल्कि 11 स्कूल संचालकों समेत 51 लोगों पर एफआईआर भी दर्ज की। कलेक्टर का दावा है कि सिर्फ 11 स्कूलों की इस पड़ताल में ही 240 करोड़ की वसूली का खेल उजागर हुआ है।

मनमानी फीस से लेकर महंगी किताबों के नाम पर ये वसूली हुई है। एफआईआर और गिरफ्तारी इतनी गोपनीय रखी गई कि स्कूल संचालकों को कानों कान भनक नहीं लगी। किसी को मॉर्निंग वॉक करते हुए पुलिस ने हिरासत में लिया तो किसी को एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया।

 कलेक्टर के एक्शन से शिक्षा माफिया में हड़कंप, इतने करोड़ से अधिक की अवैध फीस वसूली का अनुमान
Fee Scam in Jabalpur Schools: जबलपुर कलेक्टर की कार्रवाई से मनमानी फीस वसूलने वाले स्कूलों में हड़कंप मच गया है. हालिया दिनों में जिला कलेक्टर की कार्रवाई के बाद कई स्कूलों की फीस में भारी कमी आई है.

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के डीएम दीपक सक्सेना (IAS Deepak Saxena) ने शिक्षा माफिया की काली करतूतों को खोल कर रख दिया है. जिन सफेदपोश प्राइवेट स्कूलों पर हाथ डालने से शिक्षा विभाग के अफ़सर घबराते थे, उन्हें जबलपुर के डीएम ने जेल भिजवा दिया है. 

डीएम दीपक सक्सेना का अनुमान है कि अकेले जबलपुर जिले में प्राइवेट स्कूलों ने नियम विरुद्ध तरीके से 240 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध फीस वसूली की है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि निजी स्कूल 30 दिन के भीतर बढ़ी हुई फीस अभिभावकों को लौट दें, अन्यथा प्रशासन उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा.

11 स्कूलों में पकड़ा 81 करोड़ से ज्यादा की अवैध फीस 
जबलपुर में स्कूल एजुकेशन से जुड़े शिक्षा माफिया की करतूतें सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे. निजी स्कूल संचालकों और प्राचार्यों ने अवैध फीस वसूली के साथ बुक सेलर्स, बुक डिस्ट्रीब्यूटर्स और स्कूल यूनिफॉर्म सेलर्स के साथ मिलकर ऐसा गठजोड़ बनाया कि अभिभावकों की जेब से अरबों रुपये ढीले हो गए.

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के अनुसार, जिले में 1035 निजी स्कूल हैं. अभी इनमें से सिर्फ 50 की जांच की गई. 11 स्कूलों में 81 करोड़ 30 लाख रुपये की अवैध फीस वसूली का मामला पकड़ा गया है. अगर सभी स्कूलों की जांच की जाए, तो लगभग 60 फीसदी स्कूलों में मनमानी बढ़ी फीस मिलेगी.
 
जिसका आंकलन करीब 240 करोड़ रुपये से ज्यादा निकलेगा. बच्चों के स्कूल बैग का वजन भी 9 किलो तक मिला. इतना ही नहीं स्कूल और पब्लिशर्स ने मिलकर 64 फीसदी तक नई किताबें छात्रों पर थोपी है. एनसीईआरटी की नकली पुस्तकें स्कूलों में चलाई गई.

फीस वृद्धि के नियम और अनियमितता
• 15 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी जरूरी है. फीस बढ़ाने से 90 दिन पहले जानकारी देना अनिवार्य है.
• ऑडिट रिपोर्ट पोर्टल में दर्ज करना अनिवार्य है, लेकिन निजी स्कूलों ने ऐसा नहीं किया.ऑडिट में हेर-फेर भी मिली है.
• नियम कहता है कि अगर कोई स्कूल सभी खर्चों के बाद सालाना आय में 15 फीसदी अधिक कमा लेता है, तो फीस नहीं बढ़ा सकता. यह नियम भी मनमाने तरीके से तोड़ा गया है.

जिला प्रशासन को मिली 250 शिकायतें
जिला प्रशासन को स्कूलों की मनमानी से जुड़ी 250 के करीब शिकायतें मिलीं थीं. इनकी जांच के लिए 11 स्कूलों का चयन हुआ. 8 एसडीएम, 12 तहसीलदार, 25 शिक्षा अधिकारी और 60 अन्य कर्मचारियों को जांच के काम में लगाया गया.

इस मामले में खुले में सुनवाई और स्कूलों को भी अपना पक्ष रखने का मौका देने के बाद जिला प्रशासन की ओर से 51 लोगों पर 80 मामले दर्ज किए गए हैं. स्कूल प्रबंधन पर 30 मामले, पुस्तक विक्रेताओं पर 5 और प्रकाशकों पर 16 मामले दर्ज किए गए हैं.

40 फीसदी तक सस्ती हो सकती है शिक्षा
कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच से यह साफ हो गया है कि निजी स्कूलों ने अवैध तरीके से फीस बढ़ाकर शिक्षा को महंगा कर दिया था. 11 स्कूलों की जांच के डाटा से यह पता चला है कि अवैध तरीके से 25 से 40 फीसदी तक फीस बढ़ाई गई. अब जब इन स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी वापस ली जाएगी तो शिक्षा अपने आप सस्ती हो जाएगी.

इन स्कूलों पर हुई कार्रवाई
1. स्टेमफील्ड इंटरनेशनल स्कूल, विजय नगर
2. क्राइस्ट चर्च डायेसन, घमापुर
3. क्राइस्ट चर्च सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सिविल लाइन
4. क्राइस्ट चर्च, सालीवाड़ा
5. सेंट अलॉयसियस, पोलीपाथर
6. सेंट अलॉयसियस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सदर
7. ज्ञान गंगा आर्किड इंटरनेशनल स्कूल
8. लिटिल वर्ल्ड स्कूल, कटंगा एवं तिलवारा
9. क्राइस्ट चर्च बॉयज एंड गर्ल्स आईएससी
10. श्री चैतन्य टेक्नो स्कूल, धनवंतरी नगर
11.सेंट अलॉयसियस स्कूल, रिमझा

जांच के बाद स्कूलों की फीस में भारी कमी
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि स्टेमफील्ड इंटरनेशनल स्कूल, विजय नगर की नर्सरी कक्षा की वार्षिक फीस 69 हजार 250 रुपये है. इसका नियमानुसार निर्धारण जब जिला समिति द्वारा किया गया तो परिवर्तन करने के बाद फीस 50 हजार 750 रुपये हो गई. इस प्रकार फीस में 18 हजार 500 रुपयों की कमी हो गई. 

इसी प्रकार सेंट अलॉयसियस, सदर की केजी वन की कुल फीस 54 हजार 330 रुपये है. अब इसे 36 हजार 200 रुपये किया गया है. इस प्रकार फीस में 18 हजार 130 रुपयों की कमी आई है. बाकी कई अन्य स्कूलों की फीस में भी कमी की गई है.

स्कूलों ने अवैध ढंग से वसूली फीस
जांच के दायरे में जब फीस के साथ किताबों को शामिल किया गया तो पता चला कि अनेक स्कूलों में ज्यादा कमाई के लिए हर साल नई किताबें लगाई जाती हैं. जांच में पता चला कि 11 स्कूलों में कई ऐसे थे, जिन्होंने अक्टूबर में ही कोर्स की किताबें तय कीं और उसकी सूची पुस्तक विक्रेता को दे दी, लेकिन अभिभावकों के लिए उन्होंने 25 मार्च को कोर्स की किताबों की जानकारी सार्वजनिक की.

इनमें 100 फीसदी तक फर्जी किताबें चलाई गईं, जिनके आईएसबीएन नम्बर मैच नहीं हुए. कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि हमने 11 स्कूलों की जांच के सामने परिणाम पेश किए हैं. अब बाकी स्कूलों को खुद ही असेसमेंट करना होगा और अगर उन्होंने अवैध फीस वसूली है तो बच्चों को वापस करनी होगी. ईमानदारी से किताबें और यूनिफॉर्म पुस्तक मेले से लेने की छूट देनी होगी वरना कार्रवाई की आंच उन तक भी पहुंचेगी.

कलेक्टर की अपील
छात्र और अभिभावक करें स्कूल मैनेजमेंट से सवाल.
1. क्या आपने आडिट रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की है?
2. क्या आपकी वार्षिक प्राप्तियों का आधिक्य कुल प्राप्तियों के 15 फीसदी से कम है?
3. क्या आपने औचित्य सहित फ़ीस वृद्धि की सूचना सत्र प्रारंभ होने के 90 दिवस की अवधि में दे दी है?
4. क्या आपने 10 फीसदी से अधिक फ़ीस वृद्धि के लिये सक्षम स्वीकृति ज़िला कलेक्टर या राज्य शासन से प्राप्त कर ली है?

अगर नहीं, तो किस हक से हमारी जेब हल्की कर रहे हो? 25 जनवरी 2018 से राज्य शासन ने फीस वृद्धि के पैमाने तय कर दिये हैं. अपने हक के लिये करें सवाल और किसी को भी अपनी गाढ़ी कमाई पर डाका डालने का मौका न दें.

 ….ने इस पूरी कार्रवाई की पड़ताल की। कलेक्टर से बात की। स्कूलों की लूट को समझा। फिर उन पर नकेल डालने वाले उस कानून के प्रावधान को भी समझा, जिस पर 6 साल तक अमल ही नहीं हुआ पढ़ें पूरी रिपोर्ट…

सरकार ने 2018 में कानून तो बना दिया, मगर इसके नियम 2020 में बनाए। इसके बाद हर सत्र से पहले स्कूल शिक्षा विभाग औपचारिकता के तौर पर ऐसे पत्र जारी करता है। ये पत्र 2022 का है।

पहले जानिए क्यों लिया प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ एक्शन

1 अप्रैल 2024 को मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। लिखा-”मेरे संज्ञान में आया है कि कुछ निजी स्कूलों द्वारा पालकों को कोर्स की किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य शिक्षण सामग्री किसी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है।“

जैसे ही सीएम ने पोस्ट किया, स्कूल शिक्षा विभाग और प्रमुख सचिव ने सभी जिलों को कार्रवाई करने का आदेश जारी किया। आदेश सभी 55 जिलों के कलेक्टर्स के लिए था, लेकिन इस पर अमल किया जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने स्कूलों की गड़बड़ी को पकड़ने के लिए 8 एसडीएम, 12 तहसीलदार, 25 शिक्षा अधिकारी और 60 कर्मचारियों की टीम बनाई थी।

1 अप्रैल को सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएस को निर्देश दिए थे।
1 अप्रैल को सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएस को निर्देश दिए थे।

अब जानिए कलेक्टर दीपक सक्सेना की जुबानी, पूरी कार्रवाई की कहानी

सीएम डॉ. मोहन यादव ने 1 अप्रैल को पोस्ट किया था कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए कार्रवाई करें। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से भी पत्र जारी किया गया था। प्राइवेट स्कूलों पर कार्रवाई के लिए मप्र सरकार ने 2018 में कानून बनाया था।

जब ये कानून बना, तब मैं खाद्य विभाग में था। मुझे इसके बारे में ज्यादा पता नहीं था। इसके बाद मैंने इस कानून को पढ़ा और समझा। इसमें लिखा है कि यदि कोई पेरेंट्स शिकायत करें तो उचित कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन समस्या यही थी कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए पेरेंट्स शिकायत करने से कतराते हैं।

कलेक्टर बोले- ज्यादा शिकायतें फीस बढ़ाने और कॉपी-किताबों को लेकर थी

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि पेरेंट्स ने दो तरह की शिकायतें की थी। पहली ये कि स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ा दी है और दूसरी कि उन्हें तय दुकान से ही कॉपी-किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दूसरी शिकायत को दूर करने के लिए प्रशासन ने हर जगह पुस्तक मेले का आयोजन किया।

इससे पेरेंट्स को राहत मिली, उनका भरोसा बढ़ा तो और शिकायतें मिली। इन शिकायतों के आधार पर जांच दल का गठन किया। इसमें एसडीएम, तहसीलदार, शिक्षा अधिकारियों और कर्मचारियों को शामिल किया। टीम ने स्कूलों में छापामार कार्रवाई की। वो दस्तावेज जब्त किए, जिन्हें स्कूलों ने छिपाया था।

कलेक्टर बोले- स्कूल प्रबंधन को चेतावनी दी, मगर उन्होंने हल्के में लिया

कलेक्टर दीपक सक्सेना बोले कि जब खुली जनसुनवाई में पेरेंट्स ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ शिकायतें की तो मैंने स्कूल संचालकों को हिदायत दी कि आपको सुधरने का मौका दिया जा रहा है। जो भी गड़बड़ी की है उसे खुद ही दुरुस्त करें, वरना कार्रवाई की जाएगी।

स्कूल संचालकों ने इसे पहले के आदेश- निर्देश की तरह बेहद हल्के में लिया, लेकिन हमने ठान लिया था कि कार्रवाई करेंगे। इसके बाद एक साथ एफआईआर दर्ज कराने और गिरफ्तारी की रूपरेखा तैयार की। इसे बेहद गोपनीय रखा था। हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर सभी को पता था।

प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया।
प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर इस पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया।

27 मई की सुबह एक साथ जबलपुर के 9 थानों में दर्ज हुई एफआईआर

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जांच के बाद मिली गड़बड़ी के आधार पर 24 मई को ही कार्रवाई संबंधी एक आदेश पत्र एसपी आदित्य प्रताप सिंह को भेजा। दोनों अधिकारियों ने स्कूल शिक्षा विभाग के साथ मिलकर कार्रवाई की पूरी रूपरेखा तय की।

पूरी कार्रवाई बेहद गोपनीय रखी गई। तय रणनीति के तहत 27 मई की सुबह एक साथ 9 थाने- ग्वारीघाट, बरेला, तिलवारा, बेलबाग, संजीवनी नगर, माढ़ोताल, गोराबाजार, ओमती, भेड़ाघाट) में 11 एफआईआर दर्ज कराई गई।

इस एफआईआर में कुल 80 लोगों को आरोपी बनाया गया है। सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 409, 468, 471, 120बी का प्रकरण दर्ज किया गया। 80 आरोपियों में 29 ऐसे हैं, जो कई एफआईआर में कॉमन हैं। मतलब 29 पर एक से अधिक एफआईआर दर्ज की गई है।

पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के साथ ही गिरफ्तारी के लिए भी पूरी प्लानिंग बनाई थी। जैसे ही एफआईआर दर्ज हुई। पुलिस की अलग-अलग टीमें आरोपियों की गिरफ्तारी को रवाना हो गई। पुलिस ने कुल 21 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें कुछ विदेश भागने की फिराक में थे, तो कुछ मार्निंग वॉक पर निकले थे।

अब कार्रवाई की जद में आए स्कूलों का खेल भी समझ लीजिए

जबलपुर के जिन 11 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई उन सभी स्कूलों ने ऑडिट रिपोर्ट को छिपा लिया था। जांच में पाया गया कि स्कूलों का सरप्लस फंड 15 प्रतिशत से ज्यादा था। इस रिपोर्ट की जानकारी पेरेंट्स को भी नहीं दी और फीस बढ़ा दी। स्कूलों ने 15 से 40 फीसदी तक फीस बढ़ाई, मगर कलेक्टर और सरकार से अनुमति नहीं ली।

अब 240 करोड़ वसूली का गणित भी समझ लीजिए

जबलपुर में जिन 11 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई, इनमें एक छात्र से 13 से 26 हजार रुपए ज्यादा फीस वसूल की जा रही थी। सभी 11 स्कूलों में कुल 1.18 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। सिर्फ इसी शैक्षणिक सत्र में स्कूलों ने छात्रों से 81.30 करोड़ रुपए ज्यादा वसूल किए। यानी एक छात्र से औसतन 6800 रुपए ज्यादा वसूले।

कलेक्टर दीपक सक्सेना के मुताबिक इन छह साल में यदि औसत छात्र संख्या 6 लाख भी जोड़ ली जाए और औसत फीस 4 हजार लें, तो स्कूलों ने न्यूनतम 240 करोड़ रुपए सिर्फ फीस के तौर पर वसूल किए हैं। कॉपी-किताब का 100 करोड़ का कमीशन अलग है।

 

अब जानिए कैसे वसूल कर रहे थे फीस

स्टेमफील्ड इंटरनेशनल स्कूल: यहां नर्सरी में 69 हजार और 12वीं साइंस के लिए 86 हजार रुपए फीस वसूली जा रही थी। नियम के मुताबिक 50 से 71 हजार रुपए फीस ही ले सकते थे।

क्राइस्ट चर्च डायसेशन, घमापुर: नर्सरी में 39 हजार और 12वीं में 62 हजार रुपए फीस वसूली जा रही थी। नियम के मुताबिक 29 से 46 हजार रुपए के बीच ही फीस ले सकते थे।

क्राइस्ट चर्च सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सिविल लाइन: नर्सरी में 41 हजार तो 12वीं में 55 हजार की फीस ली जा रही थी। जबकि, नियमानुसार 35 से 45 हजार के बीच ही फीस ले सकते थे।

क्राइस्ट चर्च, सालीवाड़ा: नर्सरी में 19 हजार तो 12वीं में 38 हजार रुपए फीस वसूल की जा रही थी। नियम के मुताबिक यहां 15 हजार से 37 हजार रुपए ही फीस ले सकते थे।

सेंट अलॉयसियस पोलीपाथर: नर्सरी की फीस 33 हजार तो 12वीं की फीस के तौर पर 48 हजार रुपए वसूले जा रहे थे। जबकि नियमानुसार 21 हजार से 30 हजार रुपए ले सकते थे।

सेंट अलॉयसियस सीनियर सेकेंड्री स्कूल, सदर: केजी-1 की 54 हजार तो 12वीं में 48 हजार वसूले जा रहे थे। नियम के मुताबिक 25 हजार से 36 हजार रुपए ले सकते थे।

ज्ञान गंगा आर्किड इंटरनेशनल स्कूल: नर्सरी की 46 हजार तो 12वीं साइंस की 72 हजार रुपए वसूले जा रहे थे। जबकि नियम से 31 हजार से 44 हजार रुपए ही लेने थे।

लिटिल वर्ल्ड स्कूल कटंगा एवं तिलवारा: नर्सरी की 33 हजार तो 12वीं में 56 हजार रुपए वसूले जा रहे थे। नियम के मुताबिक 20 से 35 हजार रुपए ही ले सकते थे।

क्राइस्ट चर्च फॉर बॉयज एंड गर्ल्स: नर्सरी की 30 हजार तो 12वीं में 54 हजार रुपए वसूले जा रहे थे। जबकि नियम से 21 से 40 हजार रुपए ही लेने थे।

श्री चैतन्य टेक्नो स्कूल, धनवंतरि नगर: नर्सरी में 42 हजार तो 10वीं में 66 हजार रुपए फीस वसूले जा रहे थे। नियम से 29 से 39 हजार ही लेने थे।

सेंट अलॉयसियस स्कूल, रिमझा: नर्सरी में 43 हजार तो 12वीं में 67 हजार रुपए फीस वसूले जा रहे थे। नियम से 22 से 35 हजार रुपए ही लेने थे।

प्रशासन ने स्कूलों में जाकर दस्तावेज खंगाले तो गड़बड़ी का खुलासा हुआ।
प्रशासन ने स्कूलों में जाकर दस्तावेज खंगाले तो गड़बड़ी का खुलासा हुआ।

स्कूल ज्यादा फीस लें, तो पेरेंट्स स्कूल मैनेजमेंट से करें ये सवाल

  • क्या आपने ऑडिट रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की है?
  • क्या आपकी वार्षिक प्राप्तियों का आधिक्य कुल प्राप्तियों के 15% से कम है ?
  • क्या आपने सही कारण बताते हुए फीस बढ़ाने की सूचना सत्र शुरू होने के 90 दिन पहले दी थी?
  • क्या आपने 10% से अधिक फीस बढ़ोतरी के लिए जिला कलेक्टर या सरकार से इजाजत ली है ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *