पुणे पोर्श केस में अस्पताल के डीन का मंत्री-विधायक पर बड़ा आरोप ….
पुणे पोर्श केस में अस्पताल के डीन का मंत्री-विधायक पर बड़ा आरोप; जानें अब तक क्या-क्या हुआ
अस्पताल के डीन विनायक काले ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और टिंगरे ने एक पत्र लिखा था और डॉ. अजय तावड़े को ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग का प्रमुख बनाने के लिए कहा था। मुश्रीफ और विधायक दोनों ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार गुट से हैं।
महाराष्ट्र में पुणे के ससून अस्पताल के डीन ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कार हादसे में राजनैतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि पोर्श दुर्घटना में शामिल किशोर के रक्त के नमूने बदलने के आरोपी डॉक्टरों में से एक को राज्य के एक मंत्री और एक विधायक के कहने पर फोरेंसिक विभाग का प्रमुख बनाया गया था। इस विधायक सुनील टिंगरे पर दुर्घटना के बाद यरवदा पुलिस स्टेशन जाने और अधिकारियों पर मामले में नरम रुख अपनाने का दबाव बनाने का भी आरोप है। दुर्घटना में दो आईटी पेशेवर मारे गए थे।
अस्पताल के डीन विनायक काले ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और टिंगरे ने एक पत्र लिखा था और डॉ. अजय तावड़े को ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग का प्रमुख बनाने के लिए कहा था। मुश्रीफ और विधायक दोनों ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार गुट से हैं।
इसके थोड़ी देर बाद ही महाराष्ट्र सरकार ने राज्य संचालित ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों को निलंबित कर दिया। उन्हें पुणे में पोर्श कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग चालक के रक्त के नमूनों में कथित हेराफेरी के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून सिविल अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया। इसका अतिरिक्त प्रभार डॉ. चंद्रकांत म्हास्के को सौंप दिया गया है।