मतदान घटने पर 4 बार पलटी सरकार !
मतदान घटने पर 4 बार पलटी सरकार …
क्या इस बार BJP को नुकसान होगा; 274 सीटों पर घटा वोटर टर्नआउट
2024 लोकसभा चुनाव अपने आखिरी पड़ाव पर है। 6 फेज में 485 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। बाकी बची 57 सीटों पर आज सातवें फेज में वोटिंग हो रही है। इस चुनाव में वोटिंग टर्नआउट घटने का ट्रेंड साफ तौर पर दिख रहा है। चुनावी चर्चाओं में ये डिस्कशन का हॉट टॉपिक बना हुआ है।
…शुरुआती 6 फेज में वोटर टर्नआउट का पैटर्न क्या है, इस बार कम वोटिंग क्यों हुई और क्या इससे BJP को नुकसान होगा…
चुनाव आयोग ने अब तक लोकसभा चुनाव 2024 के पहले 6 फेज की 485 सीटों के फाइनल टर्नआउट का डेटा जारी कर दिया है। सीटवाइज एनालासिस से पता चलता है कि 274 सीटों पर वोटर टर्नआउट में 2019 के मुकाबले 1% से अधिक की कमी आई है।
सबसे ज्यादा 25% फॉल नगालैंड सीट पर हुआ है, जबकि सबसे अधिक 46% टर्नआउट गेन जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग सीट पर हुआ है। यहां 2019 में केवल 8.9% वोटिंग हुई थी, वहीं इस बार 55.4% वोटिंग टर्नआउट रहा है।
लोकसभा चुनाव के पहले 6 फेज में 28 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश की सभी सीटों पर वोटिंग पूरी हो चुकी है। आखिरी यानी फेज 7 में बिहार, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 57 सीटों पर मतदान होना है।
19 राज्यों में वोटिंग प्रतिशत 2019 के मुकाबले घटा है, जबकि 8 राज्यों में 2019 के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ है। लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वहां पहली बार वोटिंग हुई है।
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लोकसभा चुनाव 2024 की हॉट सीट्स पर नजर दौड़ाएं तो राहुल गांधी की वायनाड सीट पर 2019 के मुकाबले इस बार करीब 7% कम वोटिंग हुई है। हालांकि, उनकी दूसरी सीट रायबरेली पर करीब 2% मतदान ज्यादा हुआ। अमित शाह गुजरात की गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां 2019 के मुकाबले 6% कम वोटिंग हुई है।
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लोकसभा चुनाव 2024 में 96.8 करोड़ से ज्यादा वोटर्स हैं। भारतीय वोटर्स की संख्या अमेरिका से लगभग 4 गुना, यूनाइटेड किंगडम से 20 गुना और पाकिस्तान से 7 गुना ज्यादा है।
1951 के लोकसभा चुनाव में 44.87% वोटिंग हुई थी। आजादी के बाद से अब तक आम चुनाव में वोटर टर्नआउट 55 से 62% के बीच रहा है। भारतीय लोकसभा चुनाव में वोटर टर्नआउट कभी 70% तक पहुंचा ही नहीं है। 2019 आम चुनाव में सबसे ज्यादा 67.4% वोटिंग हुई थी।
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अब तक 6 बार वोटर टर्नआउट घटा, 4 बार सरकार बदली
1957 से लेकर 2019 के बीच 16 लोकसभा चुनाव हुए हैं। इनमें 10 बार वोटर टर्नआउट बढ़ा है और 6 बार घटा। कम वोटर टर्नआउट से BJP को नुकसान होता रहा है और ज्यादा टर्नआउट का फायदा मिला है। 1996 में जब पहली बार BJP की सरकार केंद्र में आई तो उस चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा था। 1999 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो जब भी BJP जीती है, उस लोकसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।
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क्या 2024 में वोटर टर्नआउट घटने का BJP को नुकसान होगा?
- लोकसभा इलेक्शन के डेटा में ट्रेंड दिखता है कि वोटर टर्नआउट घटता है तो सरकारें गिरती हैं। आजादी के बाद से अब तक 6 बार वोटर टर्नआउट घटा। जिसमें 4 बार मौजूदा सरकार बदल गई। हालांकि, सीटों के हिसाब से देखें तो ट्रेंड बिल्कुल अलग देखने को मिलता है।
- राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी के मुताबिक 2014 में BJP 282 सीटों पर जीती थी। 2019 के चुनाव में इनमें से 189 सीटों पर टर्नआउट बढ़ा था, जिसमें 172 BJP जीती। वहीं 93 सीट पर टर्नआउट घटा था, जिसमें 86 BJP जीती।
- टर्नआउट घटने और बढ़ने दोनों में स्ट्राइक रेट लगभग बराबर ही है। दोनों ही स्थिति में 90% से ज्यादा सीटों पर BJP जीती है। ऐसे में सीट बाइ सीट कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। कह सकते हैं कि वोटर टर्नआउट घटने या बढ़ने से BJP को फर्क नहीं पड़ रहा है।
- विपक्षी नेताओं का कहना है कि BJP के वोटर उत्साहित नहीं हैं, इसलिए मतदान के लिए कम निकल रहे हैं। दूसरी तरफ BJP कह रही है कि हम कैडर बेस्ड पार्टी हैं। टर्नआउट कम होने के पीछे वजह है कि विपक्ष का वोटर मतदान के लिए नहीं निकल रहा है।
- अमिताभ तिवारी के मुताबिक, यह गारंटी के साथ कोई नहीं बोल सकता है कि किसी सीट पर टर्नआउट 5% कम हुआ और 5% BJP का वोटर मतदान के लिए नहीं निकला। कौन सी पार्टी का वोटर मतदान के लिए निकला और कौन सी पार्टी का नहीं निकला, इसे पता करने का कोई पैमाना नहीं है।
- 4 तारीख को अगर BJP चुनाव जीत गई तो इसका मतलब है कि विपक्ष का वोटर नहीं निकला। यह एक तरह कि नरेटिव की लड़ाई है। चुनाव के परिणाम आने के बाद ही ऐसी चीजें स्पष्ट होती हैं।
वोटर टर्नआउट कम होने से क्या विपक्ष को भी नुकसान हो सकता है?
- अमिताभ तिवारी के मुताबिक वोटर टर्नआउट की दो मुख्य बातें हैं। पहला- BJP का वोटर उदासीन है और वह वोटिंग के लिए घर से निकला ही नहीं। दूसरा- BJP का वोटर उदासीन है और उसने दूसरी पार्टी को वोट डाला।
- अगर BJP के वोटर ने विपक्षी पार्टी को वोट दे दिया है तो टर्नआउट कम ही नहीं हुआ। अगर BJP का वोटर उदासीन है और वो वोट नहीं डालता है तो इससे विपक्ष को कोई फायदा नहीं। यानी वोटर विपक्ष को इतना कॉन्फिडेंट नहीं देख रहा है कि वो उसे वोट डाले। जब तक BJP से वोटर विपक्ष की ओर शिफ्ट नहीं होगा, तब तक कोई फायदा नहीं है।
- अमिताभ तिवारी के अनुसार, विपक्ष का कहना है कि 37% ही BJP का वोटर हैं या 45% NDA का है। ऐसे में 55% अपनी तरफ करके आगे निकल सकते हैं, लेकिन विपक्षी पार्टी बिना BJP के वोट बैंक में सेंध मारे चुनाव नहीं जीत सकती है। भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि नंबर 1 की पार्टी का वोटिंग प्रतिशत समान या बढ़ा हो और वो चुनाव हार जाए। नंबर 1 की पार्टी का वोटर शेयर कम होने पर ही विपक्ष चुनाव जीत सकता है।
- अब यहां स्थिति दूसरी है। BJP और विपक्ष के वोट शेयर में अंतर 17% से 18% के बीच है। अगर वोटर टर्नआउट 1.5% प्रतिशत कम हुआ है। मान लीजिए BJP के 1.5% वोटर्स नहीं निकले। डेढ़ प्रतिशत वोटर के नहीं निकलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वो डेढ़ प्रतिशत को विपक्ष को अपनी तरफ लाना पड़ेगा। तब जाकर 3% का इम्पैक्ट पड़ेगा।
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लोकसभा चुनाव को लेकर फलोदी सट्टा बाजार ने क्या लगाया अनुमान? कैसे होती है यहाँ भविष्यवाणी
लोकसभा चुनाव के लिए आखिरी चरण का मतदान होने वाला है. वहीं 4 जून को परिणाम घोषित होगा.लेकिन परिणाम आने से पहले ही फलोदी सट्टा बाजार के सर्वे पर सबकी नजर टिकी हुई है.जानिए फलोदी सट्टा बाजार ने क्या कहा.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान लगभग समाप्त हो चुका है. सिर्फ 1 जून को आखिरी सातवें चरण के लिए मतदान होना है. किसकी सरकार बनेगी, इसका कयास अलग-अलग एक्सपर्ट भी लगा रहे हैं. लेकिन इस बीच फलोदी सट्टा बाजार भी सुर्खियों में है. इन कयासों के बीच देश के इस चर्चित सट्टा बाजार की गलियों से एक नया सर्वे सामने आया है. दरअसल अभी तक जो सर्वे चल रहे थे, उनके मुताबिक यूपी में भाजपा की सीटें अधिक दिखाई जा रही थी. लेकिन अब नए सर्वे में समीकरण बदले हुए दिखाई दे रहे हैं.
क्या है नया समीकरण
फलोदी सट्टा बाजार के अब तक के दावों के मुताबिक यूपी में भारतीय जनता पार्टी को कोई भारी नुकसान होता नहीं दिख रहा है. इस बार 2024 के चुनाव में भी भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव का परिणाम को ही रिपीट करती हुई दिखाई जा रही है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश की कुल 80 संसदीय सीटों में से 64 सीटें मिल पाई थी. लेकिन अब फलोदी सट्टा बाजार का जो नया सर्वे जारी हुआ है उसके मुताबिक भाजपा इस बार उत्तर प्रदेश में सिर्फ 55 से 65 सीटों पर जीत रही है. जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस यानी इंडिया गठबंधन को मजबूत दिखाया जा रहा है. इस बार इंडिया गठबंधन को यूपी में पहले से अधिक सीटें दी जा रही हैं.
यूपी की सीटें
भारत की राजनीति में उत्तर प्रदेश का अहम योगदान है. हालांकि उत्तर प्रदेश की कुछ ऐसी हॉट सीटें हैं, जिन पर राजनीतिक गलियारों से लेकर सट्टा बाजारों तक की खास नजर है. इनमें मुख्य रूप से सहारनपुर, मेरठ, नगीना, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, केसरगंज, घोसी, गौतमबुद्धनगर की सीटें हैं. देश के सबसे चर्चित सट्टा बजार का अनुमान भी मतदान के साथ बदल रहा है. 13 मई को सट्टा बाजार की ओर जारी अनुमान में कहा गया था कि भाजपा को इस बार लोकसभा आम चुनाव 2024 में करीब 300 सीटें मिल रही हैं. इसके विपरीत कांग्रेस पार्टी को महज 40 से 42 सीटों पर ही समेट दिया गया था. इतना ही नहीं यह तक कहा गया कि 2019 के चुनावों में मिली 52 सीटें भी इस बार कांग्रेस को नहीं मिल रही है. लेकिन फलोदी सट्टा बाजारा का ये अनुमान दूसरे चरण के बाद बदल गया था. बता दें कि फलोदी सट्टा बाजार का नया अनुमान जारी हुआ, जिसमें कहा गया कि भाजपा का ग्राफ 300 सीटों से नीचे गिर गया है. वहीं एनडीए को 80 से 85 सीटों तक पहुंचा दिया गया है.
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