2014 और 2019 के मुकाबले 2024 में कैसे हो गया यूपी में इतना बड़ा उलटफेर?

2014 और 2019 के मुकाबले 2024 में कैसे हो गया यूपी में इतना बड़ा उलटफेर?
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. पार्टी उन सीटों पर भी पीछे हैं, जो 2014 और 2019 में बड़े मार्जिन से जीती थी.

देश की सत्ता का फैसला करने वाले यूपी की सियासी अहमियत राजनीतिक पार्टियों से लेकर आम जनता तक को बखूबी पता हैं. यही कारण है कि 4 जून को चल रहे मतगणना के दौरान सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर टिकी हुई है. 

यूपी में न सिर्फ देश की सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें है. बल्कि इसी राज्य ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बड़े नामों को संसद तक पहुंचाया है.

इसके अलावा इस चुनाव में यूपी में दो बड़े चेहरे (योगी आदित्यनाथ और मोदी) प्रचार से लेकर मैदान में उतरे हैं. हालांकि अब तक के रुझानों को देखें तो इस बार के यूपी का परिणाम कई मायने में पिछले चुनावों से अलग है. 

दरअसल पिछले दो आम चुनावों यानी साल 2014 और 2019 में हुए चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा प्रदर्शन किया था. 2014 में जहां पार्टी ने 71 सीटें अपने नाम की थी, तो वहीं दूसरी तरफ साल 2019 में बीजेपी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 

हालांकि 4 जून को हो रहे मतगणना की शुरुआती रुझानों के अनुसार यूपी में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. शुरुआती रुझानों में वाराणसी से पीएम मोदी, अमेठी से स्मृति ईरानी, अयोध्या से लल्लू सिंह सहित कई दिग्गज नेता पीछे चल रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी मुजफ्फरनगर, आजमगढ़ और  सहारनपुर में कांग्रेस आगे चल रही है. 

उलटफेर का कारण क्या 

बसपा का वोट बैंक हुआ शिफ्ट: राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला की मानें तो भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ा नुकसान बहुजन समाज पार्टी के खराब प्रदर्शन से हुआ है और यही इस राज्य में सीटों के बड़े उलटफेर का कारण बना.

दरअसल बसपा के वोटर्स सपा और कांग्रेस के पाले में चले गए और इसका सीधा नुकसान बीजेपी को हुआ. अब तक के रुझान में बीएसपी को सिर्फ 9 प्रतिशत वोट मिलता दिखाई दे रहा है. 2019 में पार्टी को करीब 19 प्रतिशत मत मिले थे.

उम्मीदवारों का चयन: विश्लेषकों की मानें तो निश्चित रूप से यूपी में पीडीए चला है और अखिलेश यादव ने जो कैंडिडेट का चयन किया है उसका भी बड़ा फायदा इंडिया गठबंधन या सपा को मिला है.  

कैंडिडेट के खिलाफ लोकल एंटी इनकम्बेंसी: यूपी में भारतीय जनता पार्टी ने अच्छे उम्मीदवारों को टिकट नहीं बांटे. दूसरा राज्य में इन कैंडिडेट के खिलाफ लोकल एंटी इंकम्बेंसी खूब थी. इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान राज्य का स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ ने भी यूपी को ज्यादा समय नहीं दिया. वह अलग अलग राज्यों में रैली करने में इतने व्यस्त रहे कि उन्हें अपने राज्य की जनता को जितना समय देना चाहिये उतना नहीं दे पाए. 

यंग वोटर इंडिया गठबंधन के साथ: इसके अलावा राज्य में युवा वोटर का रुख इंडिया के तरफ दिखा यानी युवा वोटरों ने बीजेपी की जगह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को वोट दिया है. 

7 चरणों में हुआ मतदान

बता दें कि 16 जून को 17वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इससे पहले सात चऱणों में मतदान की प्रक्रिया हुई. पहले चरण में 21 राज्यों की 102 सीटों पर वोट डाले गए.

दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 सीटों पर, तीसरे चरण में 12 राज्यों की 94 सीटों पर, चौथे चरण में 10 राज्यों की 96 सीटों पर, पांचवें चरण में 8 राज्यों की 49 सीटों पर, छठे चरण में 7 राज्यों की 58 सीटों पर और सातवें चरण में 8 राज्यों की 57 सीटों पर वोट डाले गए. 

2019 लोकसभा चुनाव में किस पार्टी ने कितनी सीटें जीती थी 

साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटें जीती थीं. जबकि कांग्रेस को केवल 52 सीटें ही मिल सकी थीं. वहीं वाईएसआर कांग्रेस ( YRSCP) और द्रमुक (DMK) ने 23-23 सीटें अपने नाम की थी, जबकि तृणमूल कांग्रेस 22 और शिवसेना 18 सीटें जीतने में कामयाब गुए थे. इन पार्टियों के अलावा जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने 16 सीटें, बीएसपी ने 10 सीटें और समाजवादी पार्टी ने 5 सीटें अपने नाम की थी.

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