आबकारी विभाग के 25 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी लोकायुक्त जांच के घेरे में …?
आबकारी विभाग के 25 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी लोकायुक्त जांच के घेरे में, विभाग से मांगी जानकारी
पुलिस की ओर से आबकारी विभाग से उस दौरान अलग-अलग जिलों में पदस्थ रहे अधिकारी-कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई थी, जो कि विभाग ने मई में पुलिस को सौंप दी है। अब इन अधिकारियों के बयान लिए जाएंगे।
- शराब कंपनी के यहां छापे से मिले दस्तावेजों के आधार पर विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त ने शुरू की जांच
- दर्ज हो सकती है एफआईआ
- पदस्थापना उस दौरान बैतूल में थी
भोपाल। शराब कंपनी मेसर्स शिवहरे ग्रुप के यहां 10 वर्ष पहले आयकर छापे से मिले दस्तावेजों के आधार पर विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त ने भी जांच शुरू कर दी है। इस जांच की जद में कुछ आबकारी अधिकारी, आबकारी निरीक्षक, अन्य अधिकारी-कर्मचारी सहित 25 से अधिक लोग आ रहे हैं।
पुलिस की ओर से आबकारी विभाग से उस दौरान अलग-अलग जिलों में पदस्थ रहे अधिकारी-कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई थी, जो कि विभाग ने मई में पुलिस को सौंप दी है। अब इन अधिकारियों के बयान लिए जाएंगे। इसके बाद इनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया जा सकता है।
बता दें कि आयकर विभाग ने शराब कंपनी से जुड़े विभिन्न स्थानों पर यह छापेमारी 10 वर्ष पहले की थी।लोकायुक्त पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि आयकर विभाग से जो दस्तावेज मिले हैं उनमें कुछ अधिकारियों का पूरा नाम भी नहीं लिखा। जिनका पूरा नाम लिखा है तो पदनाम नहीं है। बांगड़े साहब, शर्मा जी, विश्वकर्मा साहब, पाण्डेय साहब लिखा है।
ऐसे में जांच उलझ रही थी। इस कारण इनका पूरा नाम, पदनाम, पदस्थापना स्थल और मोबाइल नंबर मांगे थे। बताया रहा है कि इस तरह के उपनाम वालों की पदस्थापना उस दौरान बैतूल में थी
आबकारी आयुक्त की भी जानकारी मांगी
विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त ने 28 फरवरी 2013 से तीन मई 2013 के दौरान आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ अधिकारी की भी जानकारी मांगी थी। इसके अतिरिक्त अलग-अलग समय डीईओ ग्वालियर, 16 दिसंबर 2015 को राज्य उड़नदस्ता में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी की जानकारी मांगी गई थी।
सभी जिलों के जिला आबकारी अधिकारियों ने अपने-अपने यहां अलग-अलग समय पदस्थ रहे अधिकारी-कर्मचारियों की जानकारी भेज दी है। पूरे मामले की जांच लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना ग्वालियर द्वारा की जा रही है।
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अवैध शराब का संगठित कारोबार, शराब माफिया बेकाबू
ग्वालियर में आबकारी विभाग का खौफ अब खत्म हो गया है। अवैध शराब को लेकर संगठित ढंग से कारोबार शराब माफिया ने शुरू कर दिया है। हालात यह है कि किरानों की दुकान हो या हाइवे पर अवैध शराब परोसने के मामले, हर जगह बुरे हाल हैं।
- जिले में मतदान के बाद बढ़ गया अवैध शराब का कारोबार
- छोटे-छोटे रेस्टोरेंट से लेकर ढाबों पर बिक रही
ग्वालियर। ग्वालियर में आबकारी विभाग का खौफ अब खत्म हो गया है। अवैध शराब को लेकर संगठित ढंग से कारोबार शराब माफिया ने शुरू कर दिया है। हालात यह है कि किरानों की दुकान हो या हाइवे पर अवैध शराब परोसने के मामले, हर जगह बुरे हाल हैं। शहर के छोटे-छोटे रेस्टोरेंट से लेकर ढाबों पर खुलेआम शराब का सेवन हो रहा है लेकिन बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है। हकीकत में इसके पीछे पुलिस व आबकारी की सांठगांठ होती है, तभी अवैध शराब पर प्रतिबंध होने के बाद भी खुलेआम परोसी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में आबकारी की टीम कंजरों के ठिकानों पर दबिश देती है और अंग्रेजी शराब को लेकर सुनियोजित ढंग से काला कारोबार किया जा रहा है।
दुकानों पर निर्धारित समय के बाद भी बिक्री, सब चुप
शराब की कंपोजिट दुकानों पर निर्धारित समय रात साढ़े 11 बजे के बाद भी बिक्री खुलेआम होती है, कई दुकानों के वीडियो बहुप्रसारित हो चुके हैं। निर्धारित समय के बाद चुपके से अधिक दामों में शराब की बिक्री की जाती है, दुकानों को निर्धारित समय पर बंद कराने के लिए पुलिस के साथ साथ अब आबकारी के अधिकारियों ने भी पेट्रोलिंग बंद सी कर दी है। देर रात शराब की दुकानों पर शराबियों के झुंड साफ देखे जा सकते हैं।
अवैध शराब की सूचनाओं पर लगातार कार्रवाई की जाती है, रात में निर्धारित समय से ज्यादा शराब दुकानें खुलने की जहां शिकायतें हैं, हम दिखवाएंगे। कई जगह बंद करते करते थोड़ा समय हो जाता है, अवैध शराब परोसने वालों पर हम कार्रवाई कर रहे हैं।
-सुनील भटट, कंट्रोलर, आबकारी विभाग