इंदौर : पुलिस की कमजोर जांच, निगम घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक और को मिल गई जमानत

कमजोर कड़ियां:पुलिस की कमजोर जांच, निगम घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक और को मिल गई जमानत

नगर निगम में हुए फर्जी बिल घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। इस मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अभय राठौर के बाद इस घोटाले का एक और बड़ा आरोपी मुरलीधर था। मुरलीधर लेखा विभाग में पदस्थ था। वह मामले में मुख्य आरोपी भी है। उसकी मुख्य भूमिका ये थी कि फर्जी बिलों वाली फाइलों को सीधे राजस्व विभाग में ले जाता था। इस दौरान वह किसी भी अधिकारी को नहीं बताता था। फर्जी फाइलों के आधार पर बनने वाले फर्जी बिल इसी तरह सीधे जारी हो जाते थे। इतनी बड़ी भूमिका होने के बाद भी पुलिस हाई कोर्ट में उसकी जमानत अर्जी को खारिज नहीं करवा सकी।

प्रकरणों की सही जानकारी नहीं दी
पुलिस सभी प्रकरणों की सही जानकारी नहीं दे पाई, जबकि इतने बड़े घोटाले में अभी तक किसी अधिकारी से रिकवरी तक नहीं हुई है। वहीं घोटाले की कड़ियां भी पूरी तरह से नहीं जुड़ी हैं। पुलिस ने बहुत ही सामान्य तरीके से आपत्ति दर्ज कराई, जिसमें सतही बातें लिखी गई थीं कि जमानत नहीं दी जाए, बाहर आने पर साक्ष्य प्रभावित कर सकता है।

नगर निगम घोटाले के आरोपी राहुल वडेेरा की पत्नी जो कि उसकी फर्म में डायरेक्टर है, उसे भी जमानत का लाभ मिल चुका है। केस जब प्रारंभिक स्थिति में था तब भी पुलिस जमानत निरस्त नहीं करवा पाई। निगम घोटाले के ही आरोपी लोकल ऑडिट विभाग के सीनियर ऑडिटर जगतसिंह को भी निलंबन पर स्थगन मिल गया।

जमानत की जानकारी नहीं मिली है
^आरोपी मुरलीधर को जमानत मिली है, इसकी हमें जानकारी नहीं मिली है। उसने फर्जी फाइलों की एंट्री की थी। उसकी इस पूरे केस में ज्यादा भूमिका नहीं निकली थी। फिर भी जो आरोप थे, वे हमने सबूत के साथ कोर्ट में पेश किए थे।
– विजय सिंह सिसौदिया, टीआई, एमजी रोड

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निगम के एक और घोटालेबाज अधिकारी को मिल गई जमानत  …. फर्जीवाड़ा – पुलिस से मिलीभगत कर जमानत दिलाने वाले दलाल सक्रिय पहले रेणु वढेरा और अब मुरलीधर को मिली जमानत

नगर निगम में 28 करोड़ के फर्जीकांड का खुलासा होने के बाद पुलिस ने निगम इंजीनियर सहित चार अन्य निगम कर्मचारियों और छह ठेकेदारों को गिरफ्तार किया था। इनकी गिरफ्तारी के बाद से ही पुलिस से मिलीभगत कर दलाली करने वाले घोटालेबाजों को बचाने में सक्रिय हो गए थे। इसके चलते रेणु वढेरा को पहले ही जमानत मिल गई और अब लेखा शाखा के लिपिक मुरलीधर को जमानत मिल गई। दोनों ही मामलों में पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है। ऐसा माना जा रहा है कि पुलिस की मेहरबानी से आने वाले दिनों में सभी घोटालेबाजों को जमानत मिल जाएगी।

नगर निगम में घोटाले का खुलासा होने के बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा और महापौर पुष्यमित्र भार्गव सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। इसके चलते ही अब तक 16 फर्म की 397 फाइलें जांच के दायरे में ली गई हैं। वहीं 28 करोड़ के फर्जीकांड की एफआईआर पुलिस में दर्ज कराई गई। इसके चलते पुलिस ने निगम इंजीनियर अभय राठौर, कम्प्यूटर ऑपरेटर उदय भदौरिया, चेतन भदौरिया, लेखा शाखा लिपिक राजकुमार सालवी और मुरलीधर को गिरफ्तार किया। जबकि फर्जी और बोगस फर्म के कर्ताधर्ताओं में नींव कन्स्ट्रक्शन के मोहम्मद साजिद, ग्रीन कन्स्ट्रक्शन के मोहम्मद सिद्दीकी, किंग कन्स्ट्रक्शन के मोहम्मद जाकिर, क्षितिज इंटरप्राइजेस के राहुल वढेरा, जाह्नवी इंटरप्राइजेस की रेणु वढेरा, क्रिस्टल कन्स्ट्रक्शन के इमरान खान और ईश्वर कन्स्ट्रक्शन के मौसम व्यास को गिरफ्तार किया गया।

इसके अलावा निगम के बर्खास्त बेलदार असलम के रिश्तेदारों की दो फर्म डायमंड इंटरप्राइजेस के एहतेशाम खान और कास्मो इंटरप्राइजेस के जाहिद खान की तलाश पुलिस को है। इन ठेकेदारों को अब तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। जबकि गिरफ्तार कर जेल भेजी गई ठेकेदार रेणु वढेरा ने सबसे पहले जमानत हासिल कर ली और अब लेखा शाखा के लिपिक मुरलीधर ने भी जमानत हासिल कर ली है। जबकि पुलिस मजबूत केस बनाने का दावा ही करती रह गई। पुलिस की इस लचर कार्रवाई को लेकर चर्चा हो रही है कि पुलिस इसी तरह दिखावे की कार्रवाई करती रहेगी और सभी घोटालेबाज जल्द जमानत हासिल कर जेल से बाहर आ जाएंगे।

नगर निगम में फर्जी बिल घोटाले के मुख्य आरोपियों में शामिल मुरलीधर को जमानत मिल गई। इसे पुलिस की लापरवाही माना जा रहा है। निगम इंजीनियर अभय राठौर के बाद इस घोटाले का बड़ा आरोपी मुरलीधर को माना जा रहा है। मुरलीधर लेखा विभाग में पदस्थ रहते हुए फर्जी बिल वाली फाइलों को सीधे राजस्व विभाग में ले जाता था। इस दौरान वह किसी भी अधिकारी को नहीं बताता था। फर्जी फाइलों के आधार पर बनने वाले फर्जी बिल इसी तरह सीधे जारी हो जाते थे। इतनी बड़ी भूमिका होने के बाद भी पुलिस हाईकोर्ट में उसकी जमानत अर्जी खारिज नहीं करवा सकी।

दलाल ने लगाई सेंध
पुलिस महकमे के सक्रिय दलाल ने घोटालेबाजों के पक्ष में पुलिस प्रशासन में अपनी जमावट शुरू कर दी थी। इसके चलते पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय हो गई है। पुलिस अफसरों पर दलाल का दबाव बढ़ने से जेल में बंद घोटालेबाज आसानी से जमानत हासिल करने लगे हैं। जबकि घोटाले की अब तक पूरी जांच रिपोर्ट भी तैयार नहीं हो सकी है। एमजी रोड पुलिस थाने के टीआई विजय सिंह सिसोदिया का कहना है कि आरोपी मुरलीधर को जमानत मिली है, इसकी हमें जानकारी नहीं है। उसने फर्जी फाइलों की एंट्री की थी। इस केस में उसकी महती भूमिका नहीं निकली, फिर भी जो आरोप थे वे हमने सबूत के साथ कोर्ट में पेश किए थे।

दस्तावेजों की तलाश में ट्रेंचिंग ग्राउंड में सिर पटक रही पुलिस 
नगर निगम के करोड़ों रुपए के महाघोटाले का मास्टर माइंड निलंबित ईई अभय राठौर और उसका प्रमुख सहयोगी लेखा विभाग का लिपिक राजकुमार साल्वी को बुधवार को ट्रेंचिंग ग्राउंड में हुए घोटाले के मामले में रिमांड पर लिया गया है। पुलिस अभय राठौर के घोटाले के दस्तावेज खंगालने के लिए ट्रेंचिंग ग्राउंड के चक्कर लगा रही है, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा हैं। एमजी रोड टीआई विजय सिंह सिसौदिया के अनुसार नगर निगम के ड्रेनेज विभाग में हुए महाघोटाले में अब तक छह केस दर्ज किए जा चुके हैं। ट्रेंचिंग ग्राउंड में बायोरेमेडेशन कार्य के नाम पर 4.69 करोड़ का घोटाला सामने आने पर सहायक लेखा अधिकारी हरीश श्रीवास्तव की शिकायत पर सातवां केस दर्ज किया था। मामले में तीन ठेकेदारों राहुल वडेरा (जाह्नवी इंटरप्राइजेस), मोहम्मद जाकिर (किंग कंस्ट्रक्शन) और मोहम्मद सिद्दीकी (ग्रीन कंस्ट्रक्शन) को आरोपी बना था। इस घोटाले की चार फाइलें नगर निगम में मिली थी।

ट्रेंचिंग ग्राउंड घोटाले में तीनों को प्रोडक्शन वारंट पर दो दिनों के रिमांड पर लिया था। तीनों ने बताया कि उन्होंने इस घोटाले को तब अंजाम दिया था, जब अभय राठौर ट्रेंचिंग ग्राउंड में पदस्थ था। उनके साथ लेखा शाखा का लिपिक राजकुमार साल्वी भी शामिल था। टीआई सिसौदिया के मुताबिक रिमांड पूरा होने पर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर मोहम्मद सिद्दीकी को एक दिन के रिमांड पर लिया था। शनिवार को अभय राठौर की जमानत निरस्त कराने के बाद बुधवार को उसे और राजकुमार सालवी को 8 जून तक के रिमांड पर लिया है। अभय राठौर ने बताया कि साल 2018 में जब वह ट्रेंचिंग ग्राउंड में पदस्थ था। तब उसने पूरे घोटाले का अंजाम दिया था। पुलिस कल घोटाले के दस्तावेज जिनमें मेजरमेंट बुक शामिल है कि तलाश में ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंची। वहां पुलिस को दस्तावेज नहीं मिले। पुलिस घोटाले के दस्तावेज बरामद करने आज एक बार फिर ट्रेंचिंग ग्राउंड जाएगी।

बिना काम किए बिल कराया था पास
 मे. सरकार इन्फ्रा के कर्ताधर्ता द्वारा नगर निगम में बिना काम किए बिल पास कराने का खेल किया गया। ठेकेदार की इस कारगुजारी में निगम अफसरों ने भी उसके साथ मिलीभगत की। मामले का खुलासा होने के बाद महापौर ने कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया। इसके चलते निगम इंजीनियर, जोनल अधिकारी को निलंबित करने के साथ हीजोनल पर पदस्थ दो उपयंत्री बर्खास्त किए गए। इसके साथ ही ठेका लेने वाली फर्म सरकार इन्फ्रा एवं इसकी सहयोगी फर्म को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने के निर्णय पर निगमायुक्त ने मोहर लगा दी है।

जानकारी अनुसार राऊ विधानसभा के वार्ड 79 कुंदन नगर में सड़क निर्माण का ठेका सरकार इन्फ्रा ने लिया था। ठेकेदार ने काम पूरा किए बिना निगम उपयंत्री, जोनल अधिकारी और मुख्य इंजीनियर से मिलीभगत कर बिल तैयार करा लिए और भुगतान के लिए जमा करा दिए। मामले का खुलासा होने के बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा ने अपर आयुक्त से जांच कराई। जांच में यह खुलासा हो गया कि सड़क निर्माण पूरा किए बिना ही ठेकेदार ने निगम अफसरों से मिलीभगत कर बिल पास कराए हैं। इन बिलों में निर्माण से करीब 52 लाख से अधिक की राशि का हेरफेर कर राशि बढ़ाई गई है।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने निगम अधिकारियों को वित्तीय हानि पहुंचाने का दोषी मानते हुए सहायक यंत्री उद्यान लक्ष्मीकांत वाजपेयी और जोन 14 के तत्कालीन जोनल अधिकारी सतीश गुप्ता को निलंबित करने के साथ ही प्रभारी मस्टर उपयंत्री हरीश कारपेंटर और कमलेश शर्मा की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया। जबकि ठेका लेने वाली फर्म मेसर्स सरकार इन्फ्रा एवं उसकी सहयोगी कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया। महापौर के इस निर्णय पर निगमायुक्त ने मोहर लगा दी। महापौर के निर्देश पर निलंबित दोनों निगम अफसरों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कराई गई है।

सत्तासीन भाजपा के बड़े नेता ठेकेदार पर कार्रवाई करने का विरोध कर रहे थे, लेकिन महापौर के समक्ष किसी भी नेता की नेतागीरी नहीं चली। महापौर का कहना है कि जनता के पैसे का भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी अफसर व ठेकेदार को बख्शा नहीं जाएगा।

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