क्या एग्जिट पोल के जरिए शेयर बाजार में घोटाला हुआ!
क्या एग्जिट पोल के जरिए शेयर बाजार में घोटाला हुआ! क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
शेयर मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि कोई स्कैम नहीं हुआ है. शेयर मार्केट तो हर दिन हर सेकेंड ऊपर नीचे होता रहता है. यहां लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को कभी नुकसान नहीं होता है. नुकसान उसे होता है जो…
लोकसभा चुनाव के लिए सातवें चरण का मतदान 1 जून को शाम 6 बजे खत्म हो गया था. इसके बाद तमाम मीडिया हाउस की ओर से एग्जिट पोल जारी किए गए, जिसमें बीजेपी और एनडीए को भारी बहुमत से चुनाव में जीत हासिल करने की संभावना जताई गई. फिर 3 जून सोमवार को स्टॉक मार्केट खुला और एग्जिट पोल के अनुमानों के असर के चलते बाजार में रिकॉर्ड तोड़ तेजी देखने को मिली.
चुनावी नतीजों से एक दिन पहले तीन जून को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स इंडेक्स 2000 प्वाइंट चढ़कर ओपन हुआ था और दिनभर के कारोबार के दौरान अपने नए ऑल टाइम हाई 76,738.89 के स्तर को छू लिया था. बीएसई सेंसेक्स 2507.47 प्वाइंट यानी 3.39% की उछाल के साथ 76,468.78 पर बंद हुआ था.
वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 600 प्वाइंट की तेजी के साथ खुला और कुछ ही देर में 23,338.70 का रिकॉर्ड हाई छू लिया. शाम को निफ्टी 733.20 प्वाइंट यानी 3.25% की तेजी के साथ 23,263.90 के स्तर पर बंद हुआ. 3 जून को शेयर बाजार में इस तेजी के चलते निवेशकों ने करीब 13 लाख करोड़ रुपये की कमाई की थी.
चुनाव नतीजे वाले दिन क्या हुआ?
मंगलवार 4 जून को सुबह 8 बजे चुनावी नतीजे आना शुरू हुए. असल में चुनाव नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक नहीं आए. शायद इस कारण शेयर मार्केट में सुनामी आ गई और सेंसेक्स-निफ्टी भरभरा कर गिर गए.
सुबह 9:15 बजे कारोबार शुरू होते ही गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ और नीचे बढ़ता ही चला गया. बीएसई का सेंसेक्स 1700 प्वाइंट्स टूटकर खुला था और दोपहर 12.20 बजे तक 6094 प्वाइंट्स की गिरावट लेते हुए 70,374 पर आ गया. वहीं निफ्टी इंडेक्स करीब 1947 प्वाइंट्स की भारी गिरावट के साथ 21,316 के लेवल पर पहुंच गया था. इस तरह बीएसई का मार्केट कैप एक ही दिन में करीब 31 लाख करोड़ रुपये कम हो गया था.
एग्जिट पोल के जरिए शेयर बाजार में घोटाला का आरोप क्यों ?
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने दो दिन बाद 6 जून को कांग्रेस पार्टी ने शेयर बाजार में 30 लाख करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मार्केट क्रैश को स्टॉक मार्केट के इतिहास का सबसे बड़ा स्कैम बताया. उन्होंने इसके लिए पीएम मोदी, अमित शाह और निर्मला सीतारमण पर सीधा निशाना साधा.
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाते हुए कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता को निवेशकों को बाजार में निवेश करने की सलाह क्यों दी? शेयर बाजार में 4 जून को रिकॉर्ड तेजी की उम्मीद क्यों जगाई? प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उनके लिए काम कर रहे एक्जिट पोल्स्टर्स और मीडिया ने मिलकर देश के सबसे बड़े ‘स्टॉक मार्केट स्कैम’ की साजिश रची. एक ही दिन में 5 करोड़ छोटे निवेशकों के 30 लाख करोड़ रुपये डूब गए.”
कांग्रेस नेता ने इस मामले की JPC जांच कराए जाने की मांग करते हुए कहा, “हम इस मामले में जेपीसी जांच कराने की मांग करते हैं. जेपीसी गठित कर इस ‘क्रिमिनल एक्ट’ की जांच की जाए. बीजेपी नेताओं के पास पहले ही जानकारी थी कि भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने वाला है. वे जानते थे 3-4 जून को क्या होने वाला है. 30 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है और कुछ चुने हुए लोगों को हजारों-लाखों करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. हम प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, एग्जिट पोल कराने वाले और विदेशी निवेशक पर जांच चाहते हैं.”
अब जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
शेयर मार्केट के कथित ‘स्कैम’ को समझने के लिए एबीपी न्यूज ने एक्सपर्ट मुकुल शाह से बातचीत की. मुकुल साल 2012 यानी बीते 12 सालों से गुजरात के आनंद शहर में शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हैं. उन्होंने साफ-साफ कहा, “ये कोई स्कैम नहीं है. ये तो स्वाभाविक है कि मोदी सरकार के आने से शेयर मार्केट को ऊपर जाना ही है. एग्जिट पोल के नतीजे भी यही बता रहे थे. अब शेयर मार्केट तो हर दिन हर सेकेंड ऊपर नीचे होता रहता है. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स का कभी नुकसान नहीं होता है. बल्कि हमारा तो 3 और 4 जून को फायदा हुआ. तीन जून को मार्केट तो उठा तो अपने पुराने शेयर बेच दिए और चार जून को शेयर की कीमत गिरने पर दोबारा सस्ते में खरीद लिया.”
मुकुल शाह ने बताया, ’30 लाख करोड़ नुकसान वाली बात का संबंध आम लोगों से नहीं है और ये नुकसान नहीं है. ये एक तरह से कंपनी के शेयरों की वैल्यू इतनी कम हो गई. जब तक हम अपना शेयर लॉस में बेच नहीं देते, तब तक ये नुकसान नहीं माना जा सकता. अगर शेयर बेचा ही नहीं है तो नुकसान कैसे हुआ. मार्केट गिरने से पॉर्टफोलियो की वैल्यू कम हो जाती है.’
शेयर मार्केट एक्सपर्ट मुकुल शाह ने ये भी बताया कि उस दिन 4 जून को जिस स्टॉक की जितनी भी वैल्यू गिरी थी अब दो से तीन दिन में उतनी ही वैल्यू बढ़ भी चुकी है. लगभग सभी स्टॉक ऊपर चढ़ चुके हैं. अगर चार जून को किसी के पॉर्टफोलियो की वैल्यू गिर गई थी तो अब फिर बराबर हो चुकी है. 5, 6, 7 जून को तीन दिन के भीतर निफ्टी 1200 प्वाइंट ऊपर चढ़ चुका है.
फिर किसे हुआ नुकसान?
मुकुल शाह का कहना है कि ये लॉस फ्यूचर ऑप्शन के मार्केट के हिसाब काउंट किया जाता है. ये लॉस तो नॉर्मली होता ही है. फ्यूचर ऑप्शन मार्केट एक जुए की तरह होती है. यहां ज्यादातर बड़े निवेशक पैसा लगाते हैं.
मुकुल शाह ने आगे कहा, पीएम मोदी अभी से नहीं, बल्कि पिछले तीन-चार महीनों से पीएसयू कंपनियों में पैसा लगाने की बात कह रहे हैं. तो इससे फायदा तो सभी छोटे बड़े निवेशकों का हुआ, जिन्होंने कंपनी का शेयर खरीद रखा था. और छोटे निवेशकों को ज्यादातर फायदा ही होता है. नुकसान उसे हुआ जिसने डर के कारण अपना शेयर सस्ते में बेच दिया. जिसने शेयर की पोजिशन को होल्ड रखा उसे कोई नुकसान नहीं हुआ.
क्या शेयर मार्केट में निवेश की पब्लिकली सलाह देना सही है?
एबीपी न्यूज ने शेयर बाजार के एक दूसरे निवेशक आशीष अग्रवाल से भी बात की. आशीष ने कहा, “एग्जिट पोल पीएम मोदी के पक्ष में आते ही शेयर बाजार ऊपर उठ गया. क्योंकि उन्होंने कहा था ‘मैं जैसे ही में तीसरे टर्म में आउंगा, स्टॉक मार्केट ऊपर जाएगा.’ अब 4 जून को मार्केट ने उस उम्मीद के साथ नहीं बढ़ा. तो ये एक तरह से स्कैम है भी और नहीं भी. दोनों बात है.”
“नियम के अनुसार, कोई भी प्राइवेट या सरकारी व्यक्ति पब्लिकली शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव के बारें में बात नहीं कर सकता है. कोई शेयर खरीदने या बेचने की सलाह नहीं दे सकता. ये सेबी नियम है. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे सेबी की ओर से ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. इस पर रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट ही बात कर सकते हैं.”
आशीष अग्रवाल ने आगे कहा, “पीएम मोदी ने ये तीसरी बार गलती की है. पहले उन्होंने पीएसयू में पैसा लगाने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि विपक्ष के लोग जिस जिस कंपनी को गाली देते हैं, आप उस कंपनी में पैसा ला दीजिए. दूसरी बार एलआईसी को प्रमोट किया था, तब एलआईसी का शेयर नीचे चला गया था. पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि जिस दिन मैं शपथ लूंगा उसके अगले दिन से धमाधम काम आने वाला है, आप पैसा लगा दीजिए. ऐसे ही अमित शाह ने भी कहा था मार्केट ऊपर जाएगा. उन्होंने ये नहीं कहा कि निफ्टी ऊपर जाएगा. अब मार्केट तो बहुत से होते हैं- गोल्ड मार्केट, कमोडिटी मार्केट, एग्रीकल्चरल मार्केट.”
हालांकि आशीष अग्रवाल ने ये भी कहा कि ये 30 लाख करोड़ रुपये का कोई नुकसान नहीं है. ये मार्केट वैल्यू होती है जो उस दिन कम हो गई. ये निवेशकों का नुकसान नहीं है. नुकसान अगर हुआ होगा तो मुश्किल से 20 लाख रुपये का हुआ होगा.
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने क्या कहा
कांग्रेस के आरोपों का बीजेपी नेताओं ने भी प्रेस कॉन्फ्रेस करके जवाब दिया है. बीजेपी नेता पीयूष गोयल ने कहा कि राहुल गांधी निवेशकों को भ्रमित कर साजिश रच रहे हैं. 3 जून को विदेशी निवेशकों ने 6850 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और फिर अगले दिन सस्ते में बेचा, तो नुकसान विदेशी निवेशकों को हुआ. भारत के निवेशकों ने चार जून को गिरावट के दिन शेयर खरीदा है.उन्होंने सस्ते में शेयर खरीदकर मुनाफा कमाया है.
पीयूष गोयल ने आगे कहा कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव चलता रहता है. बीते 10 सालों में मोदी सरकार के कार्यकाल में शेयर बाजार का मार्केट कैप 5 ट्रिलियन डॉलर का पहुंच गया. भारत का शेयर बाजार दुनिया की टॉप-5 मार्केट में से एक है. पीएसयू का मार्केट कैपिटल मोदी सरकार के कार्यकाल में चार गुना बढ़ा है.