आबकारी घोटाला …अफसरों के खिलाफ सबूत, लेकिन केस चलाने की मंजूरी नहीं ?

भोपाल :आबकारी घोटाला …अफसरों के खिलाफ सबूत, लेकिन केस चलाने की मंजूरी नहीं ?
आबकारी विभाग के 25 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी लोकायुक्त जांच के घेरे में …?

दिल्ली में 144 करोड़ के आबकारी घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल समेत सरकार के कई बड़े लोग जेल की सलाखों के पीछे हैं, जबकि मप्र में करीब 200 करोड़ के घोटाले करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मंजूरी तक नहीं मिल रही। मप्र का आबकारी घोटाला सिर्फ इंदौर ही नहीं, बल्कि भोपाल, कटनी, रीवा, दमोह समेत आधा दर्जन से अधिक जिलों में भी फैला है।

इंदौर में डेढ़ साल पहले हुए फिक्स्ड डिपॉजिट रिसीप्ट (एफडीआर) के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने जांच की थी, पर जांच सही नहीं हुई। अब दोबारा जांच की जा रही है। ….. ने पड़ताल की तो पता चला कि मप्र में फर्जी एफडीआर को लेकर करीब 20 मामलों में 200 करोड़ का भ्रष्टाचार हो चुका है। 5 मामलों में ही 77 करोड़ का घपला है, पर आज तक कोई बड़ा अफसर या नेता गिरफ्त में नहीं आ सका।

इन्हें बचाने में पूरा सिस्टम ही लग गया है। हालांकि, एक मामले में ईडी ने जांच शुरू की है। जानकारों का कहना है कि ईडी की जांच सही दिशा में हुई तो दिल्ली की तर्ज पर मप्र में भी कई नेता और बड़े अफसर कानून के शिकंजे में आ सकते हैं।

शराब कारोबारी हत्थे चढ़ा तो मिले फर्जी एफडीआर के सबूत

ईडी ने इसी साल जनवरी में रीवा निवासी शराब कारोबारी पुष्पेंद्र सिंह को गौरीघाट इलाके से गिरफ्तार किया था। उसके घर से भी फर्जी एफडीआर से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले थे। दो दिन की रिमांड पर पूछताछ में पता चला था कि उसने केनरा बैंक के मैनेजर के साथ मिलीभगत कर कई लोगों के नाम से वाहन लोन निकलवाए और इनकी राशि अपने खाते में ट्रांसफर कराई, लेकिन कंपनी से वाहनों की डिलीवरी नहीं ली। मामले में ईडी और सीबीआई ने एफआईआर भी दर्ज की थी। पुष्पेंद्र फर्जी डिमांड ड्राफ्ट मामले में कटनी निवासी बल्लन तिवारी का भी पार्टनर है।

उसने 2016 में कटनी में शराब दुकानों का लाइसेंस लेने के दौरान 4 करोड़ रुपए की बैक गारंटी लगाने के लिए 13 फर्जी डीडी दिए थे। सूत्रों के मुताबिक टीम को बैंक खाते, फर्म का लेन-देन और रिटर्न की जांच के बाद कई सुराग हाथ लगे हैं।

भ्रष्टाचार के जितने बड़े आरोप… कार्रवाई उतनी ही छोटी

भोपाल : 2 अफसर बचाए
अप्रैल-मई 2023 में 1.84 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी लगाकर शराब का ठेका देने का मामला सामने आया था। इसके चार दिन बाद आबकारी विभाग ने सहायक आबकारी अधिकारी सुदीप तोमर, ओमप्रकाश जामोद और आबकारी उपनिरीक्षक सीमा कसिसिया को सस्पेंड कर दिया था। मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई गई, लेकिन दो बड़े अफसरों को बचा लिया गया।

रीवा : बैंक प्रबंधक सस्पेंड
सीधी के सहकारी बैंक प्रशासक के अंतर्गत आने वाली मोरवा सहकारी बैंक के प्रबंधक नागेंद्र सिंह ने रीवा की 9 शराब दुकानों के लिए 10.65 करोड़ की बैंक गारंटी जारी की थी। कलेक्टर साकेत मालवीय ने मामले में बैंक शाखा प्रबंधक नागेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया। लेकिन, आबकारी उपायुक्त और निरीक्षक पर कार्रवाई नहीं हुई। दुकानदारों से दूसरी बैंक गारंटी लेकर केस दबाया।

इंदौर : सिर्फ एक निलंबित
करीब डेढ़ साल पुराना मामला है। बेंगलुरू और झारखंड के ठेकेदारों ने एमआईजी और छोटी खजरानी के ठेके के लिए बैंक में 7 हजार रुपए की एफडी कराई और उसे आबकारी को 70 लाख की बताकर सौंप दिया। मामले में सहायक आयुक्त राजनारायण सोनी को करीब 10 माह पहले सस्पेंड कर दिया गया था। मामले में ईओडब्ल्यू फिर से जांच कर रहा है। शेष पेज 10 पर

दमोह, रीवा और धार में डिस्टलरी में सीजीएसटी विभाग ने जीएसटी चोरी का केस दर्ज किया था। इसमें डिस्टलरियों में 19 अवैध टैंक लगाकर उत्पादन की जानकारी तक नहीं दी गई। जब यह पकड़ में आया तो सरकार ने भी इस पर मामूली पेनल्टी लगा वसूल की अवैध को वैध टैंक कर दिया। मामला 2006 का था और सरकार ने उस समय 16 करोड़ की वसूली की थी। इससे मप्र में सरकार की किरकिरी हुई थी।

कटनी : कलेक्टर के खिलाफ केस दर्ज, कार्रवाई मंजूर नहीं
2016 में पिंटू उर्फ पुष्पेंद्र सिंह समूह को शराब के ठेके मिले। 17 डिमांड ड्राफ्ट फर्जी तरीके से बनाए थे। शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के आरोप में कलेक्टर प्रकाश जांगरे व आबकारी अधिकारी आरसी त्रिवेदी के खिलाफ केस दर्ज किया था। लेकिन, मई 2023 में कैबिनेट बैठक में आरोपियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के प्रस्तावों पर पुन: परीक्षण कराने का निर्णय लिया गया।

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आबकारी विभाग के 25 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी लोकायुक्त जांच के घेरे में …?
आबकारी विभाग के 25 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी लोकायुक्त जांच के घेरे में, विभाग से मांगी जानकारी
पुलिस की ओर से आबकारी विभाग से उस दौरान अलग-अलग जिलों में पदस्थ रहे अधिकारी-कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई थी, जो कि विभाग ने मई में पुलिस को सौंप दी है। अब इन अधिकारियों के बयान लिए जाएंगे।
  1. शराब कंपनी के यहां छापे से मिले दस्तावेजों के आधार पर विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त ने शुरू की जांच
  2. दर्ज हो सकती है एफआईआ
  3. पदस्थापना उस दौरान बैतूल में थी

भोपाल। शराब कंपनी मेसर्स शिवहरे ग्रुप के यहां 10 वर्ष पहले आयकर छापे से मिले दस्तावेजों के आधार पर विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त ने भी जांच शुरू कर दी है। इस जांच की जद में कुछ आबकारी अधिकारी, आबकारी निरीक्षक, अन्य अधिकारी-कर्मचारी सहित 25 से अधिक लोग आ रहे हैं।

पुलिस की ओर से आबकारी विभाग से उस दौरान अलग-अलग जिलों में पदस्थ रहे अधिकारी-कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई थी, जो कि विभाग ने मई में पुलिस को सौंप दी है। अब इन अधिकारियों के बयान लिए जाएंगे। इसके बाद इनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया जा सकता है।

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बता दें कि आयकर विभाग ने शराब कंपनी से जुड़े विभिन्न स्थानों पर यह छापेमारी 10 वर्ष पहले की थी।लोकायुक्त पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि आयकर विभाग से जो दस्तावेज मिले हैं उनमें कुछ अधिकारियों का पूरा नाम भी नहीं लिखा। जिनका पूरा नाम लिखा है तो पदनाम नहीं है। बांगड़े साहब, शर्मा जी, विश्वकर्मा साहब, पाण्डेय साहब लिखा है।

ऐसे में जांच उलझ रही थी। इस कारण इनका पूरा नाम, पदनाम, पदस्थापना स्थल और मोबाइल नंबर मांगे थे। बताया रहा है कि इस तरह के उपनाम वालों की पदस्थापना उस दौरान बैतूल में थी

आबकारी आयुक्त की भी जानकारी मांगी

विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त ने 28 फरवरी 2013 से तीन मई 2013 के दौरान आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ अधिकारी की भी जानकारी मांगी थी। इसके अतिरिक्त अलग-अलग समय डीईओ ग्वालियर, 16 दिसंबर 2015 को राज्य उड़नदस्ता में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी की जानकारी मांगी गई थी।

सभी जिलों के जिला आबकारी अधिकारियों ने अपने-अपने यहां अलग-अलग समय पदस्थ रहे अधिकारी-कर्मचारियों की जानकारी भेज दी है। पूरे मामले की जांच लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना ग्वालियर द्वारा की जा रही है।

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अवैध शराब का संगठित कारोबार, शराब माफिया बेकाबू
 ग्वालियर में आबकारी विभाग का खौफ अब खत्म हो गया है। अवैध शराब को लेकर संगठित ढंग से कारोबार शराब माफिया ने शुरू कर दिया है। हालात यह है कि किरानों की दुकान हो या हाइवे पर अवैध शराब परोसने के मामले, हर जगह बुरे हाल हैं।
Gwalior Excise Department News: अवैध शराब का संगठित कारोबार, शराब माफिया बेकाबू
  1. जिले में मतदान के बाद बढ़ गया अवैध शराब का कारोबार
  2. छोटे-छोटे रेस्टोरेंट से लेकर ढाबों पर बिक रही

ग्वालियर।  ग्वालियर में आबकारी विभाग का खौफ अब खत्म हो गया है। अवैध शराब को लेकर संगठित ढंग से कारोबार शराब माफिया ने शुरू कर दिया है। हालात यह है कि किरानों की दुकान हो या हाइवे पर अवैध शराब परोसने के मामले, हर जगह बुरे हाल हैं। शहर के छोटे-छोटे रेस्टोरेंट से लेकर ढाबों पर खुलेआम शराब का सेवन हो रहा है लेकिन बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है। हकीकत में इसके पीछे पुलिस व आबकारी की सांठगांठ होती है, तभी अवैध शराब पर प्रतिबंध होने के बाद भी खुलेआम परोसी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में आबकारी की टीम कंजरों के ठिकानों पर दबिश देती है और अंग्रेजी शराब को लेकर सुनियोजित ढंग से काला कारोबार किया जा रहा है।

दुकानों पर निर्धारित समय के बाद भी बिक्री, सब चुप

शराब की कंपोजिट दुकानों पर निर्धारित समय रात साढ़े 11 बजे के बाद भी बिक्री खुलेआम होती है, कई दुकानों के वीडियो बहुप्रसारित हो चुके हैं। निर्धारित समय के बाद चुपके से अधिक दामों में शराब की बिक्री की जाती है, दुकानों को निर्धारित समय पर बंद कराने के लिए पुलिस के साथ साथ अब आबकारी के अधिकारियों ने भी पेट्रोलिंग बंद सी कर दी है। देर रात शराब की दुकानों पर शराबियों के झुंड साफ देखे जा सकते हैं।

अवैध शराब की सूचनाओं पर लगातार कार्रवाई की जाती है, रात में निर्धारित समय से ज्यादा शराब दुकानें खुलने की जहां शिकायतें हैं, हम दिखवाएंगे। कई जगह बंद करते करते थोड़ा समय हो जाता है, अवैध शराब परोसने वालों पर हम कार्रवाई कर रहे हैं।

-सुनील भटट, कंट्रोलर, आबकारी विभाग

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