राम रहीम बरी, क्योंकि सबूत नहीं ढूंढ पाई CBI ?

राम रहीम बरी, क्योंकि सबूत नहीं ढूंढ पाई CBI
रणजीत को मारने वाली रिवॉल्वर-गोलियां गायब, सबसे अहम गवाह का बयान खारिज

इस स्टोरी की शुरुआत तीन तारीखों से-

पहली तारीख: 10 जुलाई, 2002, सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रहे रणजीत सिंह खेतों की तरफ जा रहे थे। तभी कार से आए चार लोगों ने रणजीत को तीन गोलियां मारीं। उनकी मौत हो गई।

दूसरी तारीख: 8 अक्टूबर, 2021, रणजीत सिंह के मर्डर में CBI कोर्ट ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम समेत 5 आरोपियों को दोषी माना और उम्रकैद की सजा सुनाई।

तीसरी तारीख: 28 मई, 2024, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने CBI की जांच पर सवाल उठाते हुए राम रहीम समेत सभी दोषियों को बरी कर दिया।

इन तीन तारीखों के बीच रणजीत सिंह के परिवार की लंबी कानूनी लड़ाई छिपी है। 19 साल केस चला, मर्डर के चश्मदीदों की गवाहियां हुईं। राम रहीम को CBI कोर्ट ने दोषी बताया, फिर तीन साल हाईकोर्ट में सुनवाई चली।

इतने साल बाद आखिर राम रहीम बरी कैसे हो गया। दैनिक भास्कर ने इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए कोर्ट का फैसला पढ़ा, दोनों पक्षों के वकीलों और रणजीत सिंह के बेटे जगसीर से बात की। इससे पता चला कि CBI ने अपनी जांच में कहां कमियां छोड़ दीं।

रणजीत सिंह केस में हाईकोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें

163 पेज के फैसले में हाईकोर्ट ने CBI और पुलिस की जांच के तरीके पर सवाल उठाए हैं।

1. पुलिस और जांच एजेंसी ने जिस रिवॉल्वर से गोली चलने की बात कही है, घटना के वक्त वो शस्त्रागार में जमा थी। फोरेंसिक रिपोर्ट में भी उसके इस्तेमाल की पुष्टि नहीं हुई।

2. मर्डर करने वाले जिस कार से आए थे, वो भी जांच एजेंसी को नहीं मिली। चश्मदीदों ने बताया था कि कार में चार लोग थे, उनके पास हथियार थे। जांच के दौरान एक भी हथियार बरामद नहीं किया गया।

3. केस में सबसे अहम गवाह रहे राम रहीम के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह का बयान भरोसे के लायक नहीं है। जांच अधिकारियों ने खट्टा सिंह पर दबाव डालकर आरोपी के खिलाफ बयान दर्ज कराए हैं।

4. जांच एजेंसी ने कहा कि मर्डर के बाद आरोपियों ने कशिश रेस्टोरेंट में जश्न मनाया। इसकी जांच नहीं की गई। रेस्टोरेंट के मालिक या कर्मचारियों के बयान नहीं लिए गए।

5. ऐसा लगता है कि जांच के वक्त अधिकारी मीडिया की चकाचौंध से काफी प्रभावित हो गए थे।

फोटो 25 अगस्त 2017 की है, जब राम रहीम को साध्वी रेप केस में दोषी करार दिया गया था। इसके बाद से वह हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद है।
फोटो 25 अगस्त 2017 की है, जब राम रहीम को साध्वी रेप केस में दोषी करार दिया गया था। इसके बाद से वह हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद है।

राम रहीम के वकील बोले- CBI ने झूठ बोला, बयान के लिए दबाव डाला
राम रहीम के लिए पैरवी करने वाले एडवोकेट जितेंद्र खुराना केस की पूरी कहानी बताते हैं। कहते हैं, ‘रणजीत सिंह मर्डर केस में उनके पिता जोगिंदर सिंह ने FIR दर्ज कराई थी। उन्होंने खुद को चश्मदीद बताया था। पहले उन्होंने सरपंच राम कुमार और राज सिंह मलिक के खिलाफ FIR लिखवाई थी।’

‘जोगिंदर सिंह को शक था कि चुनावी रंजिश में रणजीत सिंह की हत्या की गई थी। राम कुमार और राज सिंह ने रणजीत सिंह को हत्या की धमकी भी दी थी। 44 दिन बाद जोगिंदर सिंह बयान से पलट गए।’

‘उन्होंने बेटे की हत्या का शक डेरा समर्थक जसबीर सिंह पर जताया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को लेटर भी लिखा। इसी लेटर के आधार पर हाईकोर्ट ने CBI को जांच सौंपी थी। शुरुआत में CBI ने दो सप्लीमेंट्री चालान दायर किए, लेकिन उनमें डेरा प्रमुख राम रहीम का नाम आरोपी के तौर पर नहीं था।’

‘5 साल बाद 30 जुलाई, 2007 को CBI ने तीसरी चार्जशीट में राम रहीम को आरोपी बनाया। इसका आधार राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह का बयान था। रिकॉर्ड में दर्ज है कि मार्च, 2007 में खट्टा सिंह ने CRPC की धारा-164 के तहत बयान दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने आवेदन किया था।’

‘CBI उसे राम रहीम के खिलाफ झूठा गवाह बनने के लिए धमका रही थी। CBI ने बिना ट्रायल कोर्ट को बताए खट्टा सिंह का बयान लिया। 2018 में खट्टा सिंह को रिकॉल करके दोबारा बयान देने की परमिशन दी गई। इस बार उन्होंने जोगिंदर सिंह के पक्ष में बयान दिया।’

एडवोकेट जितेंद्र खुराना आगे बताते हैं कि CBI उस रिवॉल्वर को भी नहीं ढूंढ पाई, जिससे रणजीत सिंह की हत्या की गई थी। इसके बदले जांच एजेंसी एक थ्योरी ले आई। उन्होंने आरोपी सबदिल सिंह को टारगेट बनाया।

सबदिल सिंह डेरा प्रमुख राम रहीम का गनमैन था। उसके पास दो .455 रिवॉल्वर थी। ये दोनों रिवॉल्वर पंजाब पुलिस ने अलॉट की थी। एक रिवॉल्वर उसने 1999 में जमा कर दी थी। CBI ने कहा कि दूसरी रिवॉल्वर से रणजीत का मर्डर हुआ है। ये दावा झूठा निकला।

सबदिल के पास एक ही रिवॉल्वर थी। वो भी उसने पुलिस को वापस कर दी थी। CBI स्पेशल जज ने पंचकूला में 8 अक्टूबर, 2021 को राम रहीम समेत 5 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसके बाद केस पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट ने माना कि याचिका के अंडर ट्रायल होने के बावजूद CBI ने खट्टा सिंह का दोबारा बयान लिया।

इसलिए माना जाता है कि खट्टा सिंह से दबाव में बयान दिलवाया गया या बयान ही बनावटी है। अदालत ने कहा कि खट्टा सिंह का पहले दिया बयान ही सच माना जाएगा।

पीड़ित पक्ष के वकील बोले- शस्त्रागार से रिवॉल्वर गायब थी, इसे नजरअंदाज किया
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट राजविंदर सिंह बैंस ने रणजीत सिंह के परिवार की तरफ से पैरवी की। वे कहते हैं कि रणजीत सिंह का मर्डर हुआ। ये साबित हुआ कि मर्डर .455 बोर की रिवॉल्वर से हुआ। बचाव पक्ष ने दावा किया कि जिस रिवॉल्वर से मर्डर हुआ, वो घटना से पहले ही शस्त्रागार में जमा कर दी गई थी।

ऑर्डर में इस बात का जिक्र नहीं है कि शस्त्रागार से एक रिवॉल्वर मिसिंग है। जेसिका मर्डर केस में भी वेपन डिस्ट्रॉय कर दिया गया था, तो क्या आरोपी को बरी कर दिया गया। हमने साबित कर दिया कि एक वेपन मिसिंग है, फिर भी उसे नजरअंदाज कर दिया गया।

एडवोकेट बैंस आगे कहते हैं, ‘आरोपी सबदिल सिह को पुलिस लाइन से रिवॉल्वर नंबर 24707 मिला था। रजिस्टर पर रिवॉल्वर के नंबर के साथ सबदिल सिंह के साइन हैं। रिवॉल्वर वापस की गई, उसका नंबर दूसरा था। कहा गया कि सबदिल सिंह से लिखने में गलती हो गई थी।’

शस्त्रागार से ली गई और जमा की गई रिवॉल्वर के नंबर अलग
रणजीत सिंह मर्डर केस में पहले हरियाणा की CID टीम ने जांच की थी। उसने बताया कि रणजीत सिंह को .455 रिवॉल्वर से गोली मारी गई थी। जांच में पता चला था कि सिपाही सबदिल सिंह को .455 की रिवॉल्वर नंबर 24707, 29 दिसंबर 1997 को मनसा पुलिस लाइन से जारी की गई थी।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक उसने 5 जुलाई, 1999 को रिवॉल्वर वापस जमा कर दी थी, लेकिन उस रिवॉल्वर का नंबर पहले वाला नहीं था। उसका नंबर 424703 था, यानी सबदिल सिंह ने दूसरी रिवॉल्वर जमा की थी। इस केस में CID ने 17 फरवरी, 2003 को कुरुक्षेत्र के कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। बाद में जांच CBI को सौंपी गई।

हाईकोर्ट के आदेश में लिखा है कि CBI ने चार्जशीट में इसका जिक्र नहीं किया कि रिवॉल्वर नंबर 424703 को शस्त्रागार में रणजीत सिंह के मर्डर की तारीख 10 जुलाई, 2002 के बाद और उसकी बरामदगी वाली तारीख 1 अप्रैल, 2003 के बीच कब जमा करवाया गया।

10 जुलाई, 2002 को मर्डर हुआ, तब ये हथियार शस्त्रागार में जमा था। ऐसे में पीड़ित पक्ष ये नहीं कह सकता कि उसी हथियार से हत्या की गई थी। शस्त्रागार में हथियार के चुपके से जमा कराने और निकालने को लेकर भी पीड़ित पक्ष ने अलग तर्क दिया है।

उनका कहना है कि राम रहीम के कहने पर जमा करने के बाद रिवॉल्वर चुपके से निकाली गई थी। फिर उसे वापस जमा करा दिया गया। सवाल उठा कि अगर ऐसा था, तो इसे जांच में क्यों नहीं शामिल किया गया। क्यों नहीं पता किया गया कि इसमें किसकी भूमिका रही। जांच में कहीं इसका जिक्र नहीं है। इसलिए इस थ्योरी पर भरोसा करना मुश्किल है।

रिपोर्ट में तीन गोलियां मारने की बात, लेकिन गोलियां मिली नहीं
पुलिस ने 1 अप्रैल 2003 को रिवॉल्वर नंबर 424703 कोट मनसा से जब्त की थी। इसे जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया था। 22 जनवरी, 2004 को इसकी रिपोर्ट आई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि रिवॉल्वर वर्किंग नहीं है।

कोर्ट ऑर्डर में जिक्र है कि रणजीत को 3 गोलियां लगी थीं। ये गोलियां बरामद नहीं हुईं। चश्मदीदों ने कहा था कि रणजीत सिंह को बहुत करीब से गोली मारी गई थी। करीब से गोली मारे जाने पर जख्म के आसपास काले निशान बन जाते हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं मिला।

खट्टा सिंह ने अलग-अलग बयान दिए, इसलिए कोर्ट ने भरोसेमंद नहीं माना
राम रहीम के ड्राइवर रह चुके खट्टा सिंह के बयान को शुरुआत में अहम माना गया था। बचाव पक्ष के वकील जितेंद्र खुराना कहते हैं कि हाईकोर्ट ने माना है कि जांच एजेंसी ने दबाव बनाकर खट्टा सिंह का बयान लिया है। खट्टा सिंह ने पहले राम रहीम के पक्ष में बयान दिया था, वही सच माना जाएगा।

खट्टा सिंह ने राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद दावा किया था कि डेरा के लोगों ने धमकी देकर उससे खाली कागज पर साइन करा लिए थे। इसलिए उस बयान पर भरोसा न किया जाए। इसके बाद खट्टा सिंह ने दूसरा बयान दर्ज कराया था। खट्टा सिंह का पूरा बयान पढ़िए…

2001 में रणजीत सिंह ने दो बेटियों और बहन को डेरे से अलग कर लिया था। मैंने रणजीत सिंह से इसकी वजह पूछी थी। रणजीत सिंह ने जवाब दिया कि उसका डेरे से मोहभंग हो गया है। बाद में डेरा मैनेजमेंट के कुछ लोगों से पता चला कि राम रहीम ने रणजीत सिंह की बहन से रेप किया था। इसलिए रणजीत सिंह ने डेरा छोड़ दिया।

मई, 2002 में डेरे में साध्वियों के सेक्शुअल हैरेसमेंट के मामले से जुड़ी चिट्ठी सामने आई थी। तब राम रहीम के आदेश पर मैनेजर कृष्ण लाल, इंदर सेन और अवतार सिंह समेत कई लोग शिकायत करने वालों की पहचान में जुट गए। डेरे के कुछ अनुयायियों ने अखबारवालों को धमकाया। कई लोगों से मारपीट की। राम रहीम को गुमनाम लेटर के पीछे रणजीत सिंह का हाथ होने का शक था।

ये लेटर एक साध्वी ने तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी को लिखा था। साध्वी ने राम रहीम पर रेप का आरोप लगाया था। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई थी।
ये लेटर एक साध्वी ने तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी को लिखा था। साध्वी ने राम रहीम पर रेप का आरोप लगाया था। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई थी।

राम रहीम ने 16 जून 2002 को रणजीत सिंह को डेरे में बुलाया। यहां अवतार सिंह, इंदर सेन, कृष्ण लाल और दूसरे लोगों ने घेर लिया था। रणजीत से कहा कि वो गलती मानकर राम रहीम से माफी मांगे और डेरे में लौट आए। रणजीत सिंह नहीं माने और घर चले गए।

रणजीत सिंह के जाने के बाद राम रहीम ने मीटिंग बुलाई, जिसमें अवतार सिंह, इंदर सेन, कृष्ण लाल, सबदिल सिंह, जसबीर सिंह मौजूद थे। राम रहीम बहुत गुस्से में था। उसने कहा कि इससे पहले कि रणजीत डेरा के खिलाफ कुछ कहे, उसके गांव जाओ और उसे खत्म कर दो।

इस मीटिंग में मौजूद रहे खट्टा सिंह ने बयान में कहा कि राम रहीम के कहने पर रणजीत सिंह और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या की गई थी। इस वजह से मैं परेशान रहता था। डर की वजह से मैं शुरुआत में बयान नहीं दे पाया था। हाईकोर्ट के आदेश पर CBI ने जांच शुरू की और आरोपी पकड़े गए, तब मुझमें हिम्मत आई।

जर्नलिस्ट रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार 'पूरा सच' में राम रहीम के खिलाफ खबर छापी थी, इसके बाद राम रहीम ने रामचंद्र का मर्डर करा दिया। इस केस में राम रहीम को उम्रकैद की सजा मिली है।
जर्नलिस्ट रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार ‘पूरा सच’ में राम रहीम के खिलाफ खबर छापी थी, इसके बाद राम रहीम ने रामचंद्र का मर्डर करा दिया। इस केस में राम रहीम को उम्रकैद की सजा मिली है।

पीड़ित पक्ष के वकील बोले- खट्टा सिंह का बयान खारिज, दूसरे केसों पर असर पड़ेगा
पीड़ित पक्ष के वकील सीनियर एडवोकेट आरएस बैंस कहते हैं कि असल बात ये है कि खट्टा सिंह पर शुरुआत में दबाव में लेकर आरोपियों के फेवर में गवाही कराई गई थी। ये 2012-13 की बात है। उसे डराया गया था। धमकाकर लेटर लिखवाए गए। 2018 में राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद खट्टा सिंह को हिम्मत मिली। वे फिर से सही बयान दर्ज कराना चाहते थे, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इनकार कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि खट्टा सिंह पहले गवाही दे चुके हैं। खट्टा सिंह ने बयान देने के लिए हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने बयान देने की परमिशन दे दी। अब जजमेंट में कहा गया है कि पुरानी गवाही अलग थी। जांच अधिकारी ने डरा-धमकाकर पुरानी गवाही बदलवा दी। इसलिए उसकी विश्वसनीयता कम बताई।

खट्टा सिंह का बयान कोर्ट ने पूरी तरह भरोसेमंद नहीं माना, ऐसे में राम रहीम से जुड़े पेंडिंग केस पर क्या असर पड़ेगा। एडवोकेट आरएस बैंस कहते हैं कि खट्टा सिंह की गवाही राम रहीम के खिलाफ बड़ा सबूत थी। इससे आगे के केस कमजोर होंगे। इसका फायदा आरोपियों को मिल सकता है।

खट्टा सिंह बोले- मेरी जमीन डेरे में थी, इसलिए राम रहीम के पक्ष में बयान दिया
दैनिक भास्कर ने खट्टा सिंह से भी बात की। वे बताते हैं ‘डेरे के बीच मेरी 30 एकड़ जमीन थी। केस सामने आने के बाद डेरे के लोग लोग मुझे जमीन तक नहीं जाने देते थे। मेरी घर उसी से चलता था। इसलिए दबाव में आकर मैंने राम रहीम के पक्ष में बयान दिया था। बाद में डेरे ने मुझसे जमीन खरीद ली।

फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे रणजीत सिंह के बेटे
दैनिक भास्कर ने रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह से बात की। पिता के मर्डर के वक्त वे सिर्फ 7 साल के थे। पहले उनके दादा केस लड़ते थे, उनकी मौत के बाद जगसीर ने ही केस लड़ा। वे कहते हैं, अगर आज दादाजी जिंदा होते तो उन्हें अच्छा नहीं लगता, लेकिन हम हार नहीं मानेंगे। जल्द ही मैं सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा।

साध्वियों से रेप केस में 20 साल की सजा, इसलिए राम रहीम जेल में रहेगा
रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी होने के बाद भी राम रहीम को जेल से रिहाई नहीं मिलेगी। राम रहीम को दो साध्वियों से रेप के मामले में 20 साल की सजा मिली है। वो पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या मामले में भी दोषी हैं। इस केस में उसे उम्रकैद की सजा मिली है। ये सजा 20 साल की कैद खत्म होने के बाद भी चलती रहेगी। अभी राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है।

राम रहीम के खिलाफ दो केस पेंडिंग

1. 400 भक्तों को नपुंसक बनाने का मामला
गुरमीत राम रहीम पर 400 भक्तों को नपुंसक बनाने का भी आरोप है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर 2015 में राम रहीम के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। 1 फरवरी 2018 को CBI ने राम रहीम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस केस में एमपी सिंह और पंकज गर्ग समेत दो डॉक्टरों को भी आरोपी बनाया गया है। ये मामला पंचकूला CBI कोर्ट में अंडर ट्रायल है।

2. धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला
आरोप है कि राम रहीम ने बठिंडा जिले में एक कार्यक्रम में गुरु गोबिंद सिंह की नकल की थी। 2007 में राम रहीम के खिलाफ सिख भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केस दर्ज हुआ। 2014 में बठिंडा की एक अदालत ने बरी कर दिया था। 2015 में फिर से रिवीजन पिटीशन दायर की गई थी। केस पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पेंडिंग है।

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