10 साल में 40 हजार करोड़ की परियोजनाएं !

10 साल में 40 हजार करोड़ की परियोजनाएं, दुनिया की सबसे लंबी रिवर क्रूज यात्रा… काशी बना पूर्वांचल का बिजनेस हब
किसी शहर में व्यापक बदलाव लाए जा सकने की वाराणसी एक जीती-जागती मिसाल है. पीएम मोदी पहली बार 2014 में काशी से सांसद बने थे हालांकि, तब उन्होंने वडोदरा से भी जीत हासिल की थी. तब वडोदरा छोड़ वह वाराणसी के सांसद बने रहे. वाराणसी के सांसद के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र में विकास के जो काम किए हैं, वो दूसरों के लिए उदाहरण बन गया है. हाल ही में नीति आयोग ने मुंबई, सूरत, वाराणसी और विशाखापट्टनम के आर्थिक रूपांतरण और 2047 तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने में मदद करने के लिए एक योजना तैयार की है. बीते दस साल में प्रधानमंत्री के 42 से अधिक दौरों ने काशी की सूरत बदल दी है. ये शहर धीरे धीरे पूर्वांचल का बिजनेस हब बन गया है. पिछले दस सालों में चालीस हज़ार करोड़ रूपये से ज्यादा की परियोजनाएं काशी में शुरू हुई हैं. 

सफर 15 उड़ानों से 75 तक 

2014 से पहले 15 उड़ानों की संख्या अब 75 पहुंच गई हैं, एयरपोर्ट को इस स्तर का बनाया जा रहा है. जिससे एयरबस, बोइंग जैसे एयरक्राफ्ट यहां उतर सकें. शहर को ट्रैफिक से जाम मुक्त करने के लिए वाराणसी के चारों तरफ 5,000 करोड़ रु.से ज्यादा की लागत से 60 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का निर्माण किया गया है. जल्द ही वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे के पूरा होने से यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच की दूरी व समय आधा हो जायेगा. 18 किलोमीटर लंबे बाबतपुर-वाराणसी हाईवे को आज गेटवे ऑफ बनारस कहा जा रहा है.

वाराणसी से असम के डिब्रूगढ़ तक 3,200 किमी तक दुनिया की सबसे लंबी रिवर क्रूज यात्रा शुरू हुई है, वहीं गंगा नदी के किनारे देश के पहले इंटरनेशनल वाटर ट्रांसपोर्ट मल्टी माडल टर्मिनल की शुरुआत हुई है. वाराणसी के डीजल रेल इंजन कारखाने ने फरवरी 2019 में डीजल से विद्युत में परिवर्तित दुनिया का पहला 10,000 हॉर्सपावर का ट्विन रेल इंजन बनाना शुरू किया है. वाराणसी सार्वजनिक रोपवे प्रणाली का निर्माण शुरू करने वाला देश का पहला शहर बन चुका है.  

घाटों की संख्या में बढ़ोतरी 

काशी के कई मंदिरों और घाटों की भव्यता बढ़ाकर शहर के विकास को नया आयाम दिया गया है. गलियों के शहर बनारस में दर्शन के लिए श्रृद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. जिसका हल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ काशी विश्वनाथ धाम निर्माण के जरिए किया. अस्सी घाट और राजघाट की ओर से आठ नए कच्चे घाटों का चयन किया गया है, जिन्हें पूर्ण रूप से विकसित किया जाएगा. वाराणसी में कुल 84 प्राचीन घाट हैं। नमो घाट बनने से यह संख्या 85 हो गई है. अब आठ नए घाट बनने से वाराणसी में कुल घाटों की संख्या 93 हो जाएगी.

वहीं सारनाथ में पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है. श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ने वाराणसी की अर्थव्यवस्था को ही बदल कर रख दिया है. न सिर्फ रोजगार के साधनों में वृद्धि हुई बल्कि पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. धाम के कारण वाराणसी के कुल राजस्व में 65 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक 2022 में वाराणसी में 7.11 करोड़ देशी और 83,741 विदेशी पर्यटक पहुंचे जो कि एक रिकार्ड है. 2014 के मुकाबले पर्यटकों की संख्या करीब 20 गुना बढ़ी है. धाम लोकार्पण के एक साल के भीतर भक्तों ने 100 करोड़ रुपए से अधिक का दान दिया है. आज बनारस में पंजीकृत होटल 1000 से अधिक हैं. इसके अतिरिक्त धर्मशाला और अतिथि गृह हैं. बीते एक वर्ष में आफ सीजन में भी होटल के कमरे खाली नहीं रहे. अब काशी में पर्यटकों की संख्या गोवा की औसत वार्षिक संख्या से 8 गुना अधिक है.

बिजली से डेयरी तक विकास

सिटी कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है, यहां से शहर में लगे 4,500 सीसीटीवी कैमरों के जरिए नजर रखी जा रही है. आईपीडीएस की सौगात से शहर में लटकते बिजली के तारों को गायब कर दिया, आज शहर में बिजली के तार भूमिगत हो गए. वहीं शहर में  0.8 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किया गया है. जापान के सहयोग से 2.87 हेक्टेयर जमीन पर रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर बनाया गया है. जिसमे छोटे बड़े कई हॉल हैं. फलों-सब्जियों के संरक्षण के लिए करखियांव इंडस्ट्रियल एरिया में इंटीग्रेटेड पैक हाउस बनाया गया है. वहीं फि‍लीपींस की मदद से देश के पहले अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र की स्थापना गई है. रामनगर में बायोगैस आधारित विद्युत उत्पादन संयत्र का निर्माण अंतिम चरण में है.

सभी प्रमुख घाटों पर लाइटिंग, शौचालय, चेंजिंग रूम, पुलिस चौकी और पर्यटक सुविधा केंद्र बनाए गए हैं. अमूल दूध के माध्यम से बनारस में डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है. इस परियोजना के अंतर्गत वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर और आजमगढ़ जिलों के 1000 से अधिक गांवों में नई दूध मंडियां बनाई जाएंगी. वहीं केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने 305 करोड़ रु. की लागत से 7.93 एकड़ में दीनदयाल हस्तकला संकुल बनवाया है. इसमें शापिंग कॉम्प्लेक्स कॉन्फ्रेंस रूम संग्रहालय भी हैं. 1,171 करोड़ रु. की लागत से मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर की शुरुआत हुई है.

कपड़ा क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) संस्थान जल्द शुरू होगा. इसके अलावा काशी में गोमाता की सुरक्षा एवं आश्रय के लिए 102 गौ आश्रय केंद्र खुले. वहीं यहां के किसानों के लिए 100 मीट्रिक टन क्षमता वाला कृषि उत्पाद गोदाम और बहुप्रयोजक बीज भण्डार की स्थापना हुई है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) ने शहर को बड़े पैमाने पर उत्पन्न होने वाले कचरे से छुटकारा दिला दिया है.
 

मोदी के दस साल के कार्यकाल में बदला बनारस 

पिछले कुछ वर्षों में पीएम मोदी के साथ वाराणसी में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर के अलावा कई दिग्गजों काशी आ चुके हैं. इसके अलावा 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मेलन, 2023 में काशी-तमिल संगमम के साथ ही हालियां संपन्न जी-20 सम्मेलन की छह बैठकों से काशी का मान देश दुनिया में बढ़ा है. इतने सारे विकास कार्यों के बाद भी अभी भी कुछ समस्याएं अनसुलझे हैं.

बनारसी साड़ी का पूरा कारोबार जबरदस्त मंदी की चपेट में है. स्थिति बदलना बेहद जरूरी है क्योंकि ना ही बुनकरों का पलायन रुक रहा है और ना ही युवा पीढ़ी इस तरफ आना चाह रही है. बनारसी साड़ी की असली पहचान पावर लूम नहीं बल्कि हथकरघे हैं, धीरे-धीरे हाथों से बनने वाली साड़ी हथकरघे बंद हो रहे हैं. इन्हें वापस लाना बेहद जरूरी है, ये ही बनारस की पहचान है और वाराणसी की इकोनॉमी बनारसी साड़ी कारोबार पर बहुत हद तक निर्भर रही है.

ये सच है कि बनारस में ट्रैफिक सुविधाओं के लिए बहुत इंतज़ाम किये गए हैं फिर भी शहर के अंदर बढ़े पर्यटकों के चलते अभी भी भीषण जाम लगता है. ऐसे में काशी में मोनो रेल और कई जगह फ्लाईओवर की ज़रूरत शिद्दत के साथ महसूस की जा रही है. साथ ही यहां की प्रतिभाओं के पलायन को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर मल्टी नेशनल कम्पनीज को पूर्वांचल में स्थापित करने की आवश्यकता है. पीएम मोदी का लगाव बनारस के प्रति जगजाहिर है, हाल ही में उन्होंने कहा है कि इन दस वर्षों में बनारस ने उन्हें बनारसी बना दिया है. काशी ने एक बार फिर से उन्हें अपना सांसद चुना है, ऐसे में बनारस को उम्मीद है कि आने वाले पांच वर्षों में इन समस्यों का भी अंत होगा. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि  … न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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