बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सवर्णों का दबदबा !

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सवर्णों का दबदबा: 11 में से सिर्फ़ एक अध्यक्ष दलित; ओबीसी एक भी नहीं
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता विराजमान रह चुके हैं, ऐसे में पार्टी के पास सबसे बड़ी चुनौती यही है कि किसी ऐसे चेहरे को ये पद दिया जाए जो पार्टी को और आगे बढ़ा सके. 

पीएम पद के शपथ समारोह में उनके साथ राजनाथ सिंह, अमित शाह, जेपी नड्डा समेत 71 नेताओं ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. अब जेपी नड्डा के नई सरकार में शामिल होने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी को नए अध्यक्ष की तलाश है. 

इस पद पर अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता विराजमान रह चुके हैं, ऐसे में बीजेपी के पास सबसे बड़ी चुनौती यही है कि किसी ऐसे चेहरे को ये पद दिया जाए जो पार्टी को और आगे बढ़ा सके. 

इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानते हैं कि आजादी के बाद से अब तक भारतीय जनता पार्टी में कितने अध्यक्ष रह चुके है, इस पद पर किस जाति का दबदबा रहा है और इन अध्यक्षों ने पार्टी को कितना मजबूत किया है

बीजेपी के स्थापना के बाद 14 अध्यक्ष पद पर 11 चेहरे रह चुके हैं 

भारतीय जनता पार्टी को पहले भारतीय जनसंघ के रूप में जाना जाता था और इसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने साल 1951 में की थी. साल 1980 में बीजेपी के गठन के बाद इस पार्टी ने पहला आम चुनाव साल 1984 में लड़ा. उस वक्त इस पार्टी को केवल दो सीटों पर ही कामयाबी मिली थी.

बीजेपी का पहला अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को बनाया गया था. उन्होंने 1980-1986 तक इस पद को संभाला. आज यह पार्टी इस मुकाम पर है कि अपने आपको सबसे बड़ी पार्टी होने दावा कर रही है तो इसके पीछे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है.

अटल के बाद बीजेपी के अध्यक्ष बनें लालकृष्ण आडवाणी. वह 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष रहें. आडवाणी न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता हैं बल्कि उन्हें इस पार्टी का मजबूत स्तंभ भी माना जाता हैं. एलके आडवाणी वही शख्स हैं, जिन्होंने बीजेपी की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी. इतना ही नहीं लाल कृष्ण आडवाणी बीजेपी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता हैं. वह लंबे समय तक सांसद के तौर पर देश की सेवा कर चुके हैं.   

आडवाणी के बाद मुरली मनोहर जोशी (1991-1993), कुशाभाऊ ठाकरे (1998-2000), बंगारू लक्ष्मण (2000-2001), जना कृष्णमूर्ति (2001-2002), वेंकैया नायडू (2002-2004), राजनाथ सिंह (2005-2009), नितिन गडकरी (2009-2013), अमित शाह (2014-2020) और जेपी नड्डा (2020-23) को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. 

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सवर्णों का दबदबा: 11 में से सिर्फ़ एक अध्यक्ष दलित; ओबीसी एक भी नहीं

बीजेपी में एक व्यक्ति कितनी बार अध्यक्ष पद पर रह सकता है? 

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है. ऐसे में एक व्यक्ति लगातार 2 बार अध्यक्ष बन सकता है. हालांकि लाल कृष्ण आडवाणी इस पद को तीन बार संभाल चुके हैं. उनके अलावा राजनाथ सिंह इकलौते ऐसे व्यक्ति है जो इस पार्टी के दो बार अध्यक्ष रहें.  

भारतीय जनता पार्टी में अध्यक्ष के अलावा कार्यकारिणी, परिषद, समिति और उसके पदाधिकारियों और सदस्यों का कार्यकाल भी 3 साल का होता है. 

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सवर्णों का दबदबा: 11 में से सिर्फ़ एक अध्यक्ष दलित; ओबीसी एक भी नहीं

11 चेहरे में 45 प्रतिशत अध्यक्ष ब्राह्मण जाति के

भारतीय जनता पार्टी में 1980 के बाद से अब तक जितने भी अध्यक्ष चेहरे रहे हैं उनमें से लगभग 45 प्रतिशत यानी कुल 5 ब्राह्मण जाति के थे. इस लिस्ट में अटल बिहारी वाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी, जन कृष्णमूर्ति, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा का नाम भी शामिल है.

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11 बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चेहरे में 10 अगड़ी जाति, 1 दलित

बीजेपी के स्थापना के बाद से इस पार्टी ने जितने भी 11 चेहरों को अध्यक्ष बनाया है, उनमें से 10 नेता अगड़ी जाति के है. जबकि केवल एक व्यक्ति बंगारू लक्ष्मण दलित समाज से आते हैं. 

Dominance of upper castes on the post of BJP national president Only one out of 11 presidents is Dalit abpp बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर सवर्णों का दबदबा: 11 में से सिर्फ़ एक अध्यक्ष दलित; ओबीसी एक भी नहीं
बीजेपी के स्थापना के बाद 14 अध्यक्ष पद पर 11 चेहरे रह चुके हैं …

कितना पावरफुल होता है बीजेपी अध्यक्ष का पद 

अध्यक्ष का पद इस पार्टी का सर्वोच्च पद है. दरअसल पार्टी के भीतर 3 अहम टीम होती हैं- पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी, दूसरी संसदीय बोर्ड की और तीसरी राष्ट्रीय चुनाव समिति. इन तीनों टीम को एक तरह से पार्टी की कोर टीम मानी जाति है, जिसकी अहम बैठकों का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष करते हैं. पार्टी से जुड़े ज्यादातर अहम और बड़े फैसले इन्हीं समिति या बोर्ड की बैठकों में लिए जाते हैं.

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कैसे होता है पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव 

18 फरवरी 2024, दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर एक प्रस्ताव पास हुआ, जिसके अनुसार अध्यक्ष पद के खाली होने पर पार्लियामेंट्री बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगा.

हालांकि, पार्टी के संविधान की धारा-19 में कहा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कई नियम बनाए गए हैं. जिसके मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्य मिलकर करते हैं. अध्यक्ष पद का चुनाव पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बनाए गए नियमों के मुताबिक ही होता है. 

अध्यक्ष बनने के लिए जरूरी 

इस पार्टी का अध्यक्ष बनने के लिए सबसे जरूरी है कि नामांकन दर्ज करने वाला व्यक्ति कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य रह चुका हो. 

इसके अलावा प्रदेश या राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कम से कम 20 सदस्य, किसी भी व्यक्ति का नाम पेश कर सकते हैं. बीजेपी का संविधान कहता है कि कम से कम 50 प्रतिशत यानी आधे राज्यों में संगठन चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है. जिसका मतलब देश के 29 राज्यों में से 15 राज्यों में संगठन के चुनाव के बाद ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है.

अब तक कितनी बार BJP में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है?

भारतीय जनता पार्टी में अब तक एक बार भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं हुआ है. इस पार्टी में वैसे तो अध्यक्ष पद के चुनाव को आंतरिक लोकतंत्र और आम सहमति का नाम दिया जाता है.

बीजेपी अध्यक्ष पद की रेस में वर्तमान में किन नामों की चर्चा है

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक गलियारे में कई नामों की चर्चा की जा रही है. इस लिस्ट में मध्य प्रदेश के आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते, हिमाचल प्रदेश के युवा कद्दावर सांसद अनुराग ठाकुर, विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश प्रभारी के तौर पर शानदार प्रदर्शन कर चुके सुनील बंसल भी शामिल है. 

इसके अलावा इस बात की भी चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत में विस्तार के मिशन पर है. लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी पीएम मोदी ने दक्षिण भारत के राज्यों में प्रदर्शन सुधारने पर काफी जोर लगाया था, हालांकि चुनावी परिणाम को देखें तो इसका कुछ खास फायदा होता नजर नहीं आया. ऐसे में अनुमान ये भी लगाया जा रहा है कि पार्टी इस शीर्ष पद की जिम्मेदारी दक्षिण भारत के किसी नेता को सौंप सकती है. हालांकि देखना होगा कि बीजेपी और संघ मिलकर अध्यक्ष पद के लिए किस नेता के नाम पर मुहर लगाते हैं. 

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