डिप्रेशन में पहुंचा सकती है आपकी एक चूक ?
डिप्रेशन में पहुंचा सकती है आपकी एक चूक, जानिए अवसाद के शुरुआती लक्षण और उसका रामबाण इलाज
आजकल जिस तरह हमारी दिनचर्या और जीवन शैली हो गई है, उसमें नई-नई तरह की बीमारियां देखी जा रही है. जरूरी नहीं कि ये सिर्फ शारीरिक बीमारी हो, बल्कि अन्य तरह की बीमारियों की चपेट में भी लोग तेजी के साथ आ रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं मानसिक स्वास्थ्य की. मेंटल हेल्थ हमारे लिए उतनी ही जरुरी है, जितनी कि हमारी फिजिकल हेल्थ आवश्यक है. लेकिन मेंटल हेल्थ को कई लोग अनदेखा कर देते हैं. जिसकी वजह से उनका तनाव, डिप्रेशन में बदल सकता है. अधिकांश महिलाएं अपने घर के कार्यों के साथ ही ऑफिस भी जाती हैं, जिन्हें दोनों ओर मैनेज करना पड़ता है. लिहाजा उनका स्ट्रेस लेवल अधिक हो जाता है.
यदि ऑफिस में कार्य का लोड बढ़ जाए तो उन्हें और अधिक तनाव हो सकता है. ऐसी स्थिति में उन्हें स्ट्रेस फ्री होने के लिए कई टिप्स की आवश्यकता होती है. जानते हैं कि कामकाजी महिलाएं ऑफिस के कार्यों को कैसे मैनेज कर सकती है और कैसे तनावमुक्त रहकर कार्य कर सकती हैं?
अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना जरुरी
दरअसल, हम शारीरिक स्वास्थ्य की बात तो करते हैं, लेकिन मेंटल हेल्थ पर ज्यादा चर्चा नहीं होती. ऐसी कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि महिलाओं में मानसिक तनाव अधिक देखने को मिलता है. देखा जाता है कि महिलाएं अक्सर घर और ऑफिस दोनों जगह के काम को मैनेज करती हैं. ऑफिस और घर के कामों के बीच अक्सर वे खुद का ध्यान नहीं रख पाती हैं और इसका खामियाजा उनकी हेल्थ को भुगतना पड़ता है.
आजकल महिलाओं में मेंटल हेल्थ से जुड़े काफी मामले देखने को मिल रहे हैं. महिलाओं को कई बार वर्क लोड की वजह से तनाव होने लगता है, जिससे उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस वजह से वे डिप्रेशन की शिकार भी हो सकती हैं, जिसे डील कर पाना उनके लिए और अधिक कठिन हो सकता है. यदि नीचे दिए गए लक्षण नजर आएं तो तुरंत साइकेट्रिस्ट से परामर्श लें-
जानें डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण :
1. लगातार उदासी या अवसाद: उदासी, खालीपन या निराशा की निरंतर भावनाएं आना
2.अत्यधिक चिंता: लगातार चिंता या घबराहट के दौरे जो दैनिक जीवन में बाधा डालते हैं
3. मूड स्विंग्स: मूड में गंभीर बदलाव होना
4. सामाजिक गतिविधियों से दूरी: दोस्तों, परिवार और उन गतिविधियों से दूर रहना और अकेले रहना पसंद करना
5. नींद के पैटर्न में बदलाव: अनिद्रा या अत्यधिक नींद आना
6. भूख में बदलाव: महत्वपूर्ण वजन घटना या बढ़ना, या खाने की आदतों में बदलाव आना
7. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने में परेशानी होना
8. नकारात्मक विचार आना: खुद को नुकसान पहुंचाने या अपनी जिंदगी खत्म करने के लगातार विचार आना
रोजाना की दिनचर्या में कुछ जरुरी टिप्स
दिनचर्या में योग, मेडिटेशन या एक्सरसाइज को शामिल करें:-
रोजाना सुबह थोड़ी देर के लिए योग और मेडिटेशन करें. इसके लिए आप रोजाना कम से कम 30 मिनट का समय निकालें जिससे दिनभर शरीर में स्फूर्ति बनी रहेगी. इसके लिए किसी शांत स्थान को चुनें. सांसों के आवागमन पर ध्यान केंद्रित करें. इससे आपका तनाव कम होगा और साथ ही आपका फोकस भी बढ़ेगा. रोज थोड़ी देर एक्सरसाइज करने से भी आपकी मेंटल हेल्थ बेहतर रहेगी और बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे. दरअसल, एक्सरसाइज करने से तनाव कम होता है और हैप्पी हार्मोन्स रिलीज होते हैं.
वर्कलोड होने पर ये करें:-
आप ऑफिस में कार्यो को वर्क शिफ्ट के अलावा कितना समय दे सकते हैं, यह तय करना भी जरुरी है. कोशिश करें कि अपने पेंडिंग कार्यों को अपनी शिफ्ट टाइमिंग में ही करने का प्रयास करें ताकि ओवर टाईम की जरुरत न पड़े. इससे दिमाग को आराम मिलेगा और अवांछित तनाव से भी बचेंगे.
कार्यों में सामंजस्य बनाएं:-
यह संभव नहीं की एक साथ सारे कार्य करना संभव नहीं हैं, जिसके समय सीमा निर्धारित कर सकते हैं, ताकि तनाव न हो. घर और ऑफिस के कार्यों को विभाजित करें और ऑफिस का कार्य ऑफिस में निपटाएं, जिससे घर के कार्यों के बीच ऑफिस के काम को लेकर कोई तनाव न रहे.
ब्रेक लेना भी है जरुरी:-
ऑफिस में लगातार सिटिंग वाली जॉब करते रहने से मानसिक थकान हो जाती है. लगातार काम करने के बजाए बीच-बीच में 5-10 मिनट का ब्रेक लेना चाहिए, ताकि दिमाग रिफ्रेश रहे और कार्य करने में कोई आलस भी न आए. कार्य के बीच में अपने सहकर्मियों से बातचीत कर सकते हैं. हंसी-मजाक के माहौल से भी मन प्रसन्न रहता है और कार्य में रुचि बढ़ती है.
नियमित रूप से व्यायाम करें:-
शारीरिक गतिविधि से एंडोर्फिन निकलता है, जो प्राकृतिक तनाव निवारक के रूप में कार्य करता है. यहां तक कि छोटे, दैनिक व्यायाम भी बड़ा अंतर ला सकते हैं.
माइंडफुलनेस का अभ्यास करें:-
ध्यान या गहरी सांस लेने जैसी तकनीकें मन को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं. हर दिन माइंडफुलनेस के लिए कुछ मिनट अलग रखना फायदेमंद हो सकता है.
पर्याप्त नींद लेना आवश्यक:-
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए गुणवत्तापूर्ण नींद महत्वपूर्ण है. नियमित नींद की दिनचर्या स्थापित करने और आरामदायक वातावरण बनाने से नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है.
स्वस्थ भोजन लें:-
पोषण मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है. भरपूर मात्रा में फल, सब्जियां और साबुत अनाज वाला संतुलित आहार खाने से तनाव के स्तर को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है.
जाहिर है इन लक्षणों को समझकर और टिप्स को अपनाकर न सिर्फ हम खुद अपने आपको स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि हमारे आसपास अगर कोई ऐसा है, तो उसके बेहतर होने में हम उसकी मदद भी कर सकते हैं. लेकिन, कई बार जब हम ऐसे बीमारियों को नजरंदाज करते हैं, तो ये हमारे स्वास्थ्य पर भारी पड़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि अवसाद ज्यादा बढ़े या डिप्रेशन आपके ऊपर ज्यादा हावी हो, उससे पहले उसका समय रहते इलाज होना बहुत जरूरी है. नहीं तो ऐसे मामलों में कई बार लोग ऐसे कदम भी उठा लेते हैं, जिसके बारे में हम और आप सोच भी नहीं सकते हैं.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि …. न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]