क्रेडिट रेटिंग एजेंसी भारत पर जता रही हैं भरोसा !
अर्थव्यवस्था: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी भारत पर जता रही हैं भरोसा, विश्व में बढ़ रही है आर्थिक साख
विभिन्न देशों की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग का आकलन करने वाले संस्थान भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर बहुत उत्साहित हैं।
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पूअर ने हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक करते हुए कहा है कि वह भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करने के लिए आर्थिक विकास के विभिन्न पैमानों का व राजकोषीय घाटे से संबंधित आंकड़ों का अध्ययन एवं विश्लेषण कर रही है। यदि दोनों क्षेत्रों में सुधार होता है, तो भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड किया जा सकता है। वर्तमान में भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग BBB- है, जो निवेश के लिए सबसे कम रेटिंग की श्रेणी में आती है।
भारत, अपने आर्थिक विकास की गति को और तेज करने के लिए आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लगातार प्रयास कर रहा है। आधारभूत ढांचे के विकास से उत्पादकता में सुधार हुआ है एवं उत्पादन लागत में कमी आई है। एस ऐंड पी का तो यह भी कहना है कि भारत जिस प्रकार की आर्थिक नीतियों को लागू करते हुए आगे बढ़ रहा है, उससे भारत की आर्थिक विकास दर को लंबे समय तक आठ प्रतिशत से ऊपर बनाए रखा जा सकता है। भारत ने अपने राजकोषीय घाटे पर भी नियंत्रण स्थापित कर लिया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत का राजकोषीय घाटा 17 लाख 74 हजार करोड़ रुपये था, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में घटकर 16 लाख 54 हजार करोड़ रुपये का रह गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित देश भी अपने राजकोषीय घाटे को कम नहीं कर पा रहे हैं, परंतु भारत ने वर्ष 2023-24 के दौरान यह बड़ी सफलता हासिल की है। केंद्र सरकार ने खर्च पर नियंत्रण किया है एवं अपनी आय के साधनों में अधिक वृद्धि की है। भारत के कुछ राज्यों (पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल आदि) में राजकोषीय घाटे को लेकर चिंता जताई जा रही है, परंतु केंद्र सरकार एवं कुछ अन्य राज्य (उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु आदि) अपने राजकोषीय घाटे को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर पा रहे हैं।
राजकोषीय घाटे को कम करने में भारत को इसलिए भी सफलता मिली है कि देश में 20 से अधिक करों को मिलाकर केवल एक कर प्रणाली, वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली (जीएसटी) को लागू किया गया है। आज जीएसटी से भारत को औसत 1.75 लाख करोड़ रुपये की राशि प्रतिमाह अप्रत्यक्ष कर के रूप में प्राप्त हो रही है। प्रत्यक्ष कर के संग्रहण में भी 20 प्रतिशत की वृद्धि दिखी है। कुल मिलाकर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग का आकलन करने वाले विभिन्न संस्थान भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर बहुत उत्साहित हैं एवं उसे अपग्रेड करने पर गंभीरता से विचार करते हुए दिखाई दे रहे हैं। स्टैंडर्ड एंड पूअर ने तो घोषणा भी कर दी है कि आगे आने वाले दो वर्षों तक वह भारत की आर्थिक प्रगति, आधारभूत ढांचे को विकसित करने एवं राजकोषीय घाटे को कम करने संबंधी प्रयासों का विवेचन करेगा। बहुत संभव है कि वह आगामी दो वर्षों में भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड कर दे।