ग्वालियर : हर साल 250 से ज्यादा दुष्कर्म के केस, कैसे हो पड़ताल ?

 हर साल 250 से ज्यादा दुष्कर्म के केस, कैसे हो पड़ताल
ग्वालियर जिले की ही बात करें तो पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस अफसर ही नहीं हैं। अगर महिला अपराधों के आंकड़ों पर जाएं तो हर साल औसतन 250 से ज्यादा तो सिर्फ दुष्कर्म के ही केस होते हैं। इसके बाद छेड़छाड़, 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका-बालकों के साथ लैंगिक अपराध सहित अन्य अपराध का आंकड़ा प्रतिवर्ष एक हजार से भी अधिक पहुंच जाता है।
  1. ग्वालियर जिले की ही बात करें तो पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस अफसर ही नहीं हैं
  2. महिला और बच्चों के विरुद्ध जुए अपराधों की विवेचना सिर्फ महिला पुलिस अधिकारी ही कर सकेंगी
  3. नया कानून, बल नहीं…कैसे समय पर मिलेगा न्याय

ग्वालियर। देश के तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू हो चुके हैं। भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के अनुसार महिला और बच्चों के विरुद्ध जुए अपराधों की विवेचना सिर्फ महिला पुलिस अधिकारी ही कर सकेंगी। महिला पुलिस अधिकारी निरीक्षक और सहायक उप निरीक्षक रैंक की होंगी।

नए कानून में तो यह प्रावधान है, लेकिन ग्वालियर जिले की ही बात करें तो पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस अफसर ही नहीं हैं। अगर महिला अपराधों के आंकड़ों पर जाएं तो हर साल औसतन 250 से ज्यादा तो सिर्फ दुष्कर्म के ही केस होते हैं। इसके बाद छेड़छाड़, 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका-बालकों के साथ लैंगिक अपराध सहित अन्य अपराध का आंकड़ा प्रतिवर्ष एक हजार से भी अधिक पहुंच जाता है।

मुख्यत: दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले हैं, लेकिन पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस अफसरों की उपलब्धता न होने की वजह से केस पेंडेंसी बढ़ सकती है। इसे लेकर अभी कोई संतोषजनक जवाब पुलिस अधिकारियों के पास नहीं है।

आंकड़े…ग्वालियर में कितनी महिला पुलिस अधिकारी
  • डीएसपी- 3
  • निरीक्षक- 4
  • उपनिरीक्षक- 37
90 प्रतिशत से अधिक आपराधिक मामलों में दोषसिद्धी, लोड ज्यादा तो कैसे होगी बेहतर और समय पर विवेचना
  • तीनों नए कानूनों को लागू करने के पीछे एक लक्ष्य यह भी है कि 90 प्रतिशत से अधिक आपराधिक मामलों में दोषसिद्धी हो। अभी दोषसिद्धी का आंकड़ा कम है, इसके पीछे गुणवत्तापूर्ण विवेचना न होना है। अब महिला व बच्चों के विरुद्ध हुए अपराधों में जब पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस अधिकारी ही नहीं हैं तो अधिक लोड होने से बेहतर विवेचना कैसे होगी। समय सीमा के अंदर विवेचना कैसे होगी? इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैं।
  • – वर्तमान में 4 निरीक्षक और 37 उपनिरीक्षक हैं। जिन्हें महिला संबंधी अपराधों की विवेचना करनी है। अगर सिर्फ दुष्कर्म के ही मामलों की विवेचना की बात की जाए तो औसतन 250 से ज्यादा दुष्कर्म के केस ग्वालियर में हर साल दर्ज होते हैं।
  • इस तरह एक महिला पुलिस अधिकारी पर दुष्कर्म के औसतन 6 मामलों की विवेचना रहेगी। इतनी ही छेड़छाड़ की एफआइआर। इसके अलावा भी लूट, हत्या, हत्या का प्रयास जैसे गंभीर अपराध होते हैं। इस तरह महिला पुलिस अधिकारियों की संख्या की तुलना में विवेचना अधिक रहेगी। इससे विवेचना प्रभावित होगी।
हालात…सभी थानों तक में उपलब्ध नहीं उपनिरीक्षक

अभी ग्वालियर में यह हालात हैं कि महिला उपनिरीक्षकों की संख्या कम है और थाने अधिक हैं। सभी थानों में महिला उपनिरीक्षक नहीं हैं। कुछ आफिस में पदस्थ हैं। जब महिला फरियादी के बयान लेने की जरूरत पड़ती है तो कई बार एक महिला उपनिरीक्षक को दो से तीन थानों में बयान के लिए जाना पड़ता है।

महिला पुलिस अधिकारी जिले में उपलब्ध हैं। इनसे विवेचना कराई जाएगी। अभी नया कानून लागू हुआ है। कितने महिला बल की आवश्यकता पड़ेगी, यह कुछ समय बाद पूरी तरह स्पष्ट होगा। अभी के लिए पर्याप्त महिला पुलिस अधिकारी हैं।

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