माइक्रोसॉफ्ट के तकनीकी सिस्टम …. दुनिया को लेनी होगी सीख !
Microsoft: क्या थी वो छोटी सी चूक, जो दुनिया को ‘ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ’ तक ले गई, इन मुल्कों को लेनी होगी ये सीख
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं, अभी माइक्रोसॉफ्ट सिस्टम की तरफ से वह कारण नहीं बताया गया है, जिसकी वजह से दुनिया में एकाएक घबराहट पैदा हो गई। इस तरह की घटनाओं के पीछे साइबर टेरर की संभावना रहती है।
आईटी/साइबर विशेषज्ञ डॉ. मुक्तेश चंद्र (आईपीएस) का कहना है, माइक्रोसॉफ्ट का सिस्टम जटिल रहता है। दुनिया भर में लाखों लोग, सॉफ्टवेयर से जुड़े रहते हैं। इस घटना को आसान भाषा में समझें। मान लें कि किसी सिस्टम पर अनेक कर्मचारी काम कर रहे हैं। वहां इतनी जटिलता रहती है कि एक को दूसरे का पता नहीं रहता। हालांकि उनके बीच सेंट्रल लेवल पर तालमेल होता है। किसी एक ने सिस्टम में कोई बदलाव कर दिया। उस फाइल को सभी सिस्टम में अपडेट करना है। उस दौरान कोई छोटी सी चूक हो गई। वह गलती किसी की पकड़ में नहीं आई। जैसे जैसे बाकी सिस्टम अपडेट होते गए, वैसे ही वह ‘एरर’ भी बढ़ती चली गई। कुछ ही देर में उसने दुनिया में जमीन से आसमान तक अपना असर दिखाना शुरु कर दिया। ऐसा लगा कि सब कुछ ठहर सा गया है।
बतौर डॉ. मुक्तेश, इस तरह की कोई भी फाइल अपडेट करने से पहले टेस्टिंग की एक प्रक्रिया होती है। इस स्तर पर कोई लापरवाही हो गई। उसके बाद जब चूक का पता लगा तो दुनिया में उसका असर, प्रारंभ हो चुका था। इसे तालमेल के अभाव के तौर पर भी देखा जा सकता है। हजारों सॉफ्टवेयर होते हैं। उनमें क्या बदलाव हुआ है, उसके बारे में सिस्टम के हर स्तर पर सूचना होनी चाहिए। हवाई जहाज की उड़ान पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। जब पायलट, उस सिस्टम के संपर्क में आता है तो ही उसे दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। वजह, पीसी या लेपटॉप काम नहीं करेंगे। वहां ‘ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ’ नजर आएगी। हवा में सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होता। प्लेन के लैंडिंग करने के बाद ही असर देखने को मिलेगा। इसके बाद वह समस्या पायलट, एयरलाइंस स्टाफ और सामान्य यात्रियों को नजर आएगी। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सभी देशों को एक संयुक्त पॉलिसी पर काम करना होगा। उन्हें साइबर सुरक्षा पर ध्यान देगा।