75 करोड़ रुपए खर्च के बाद भी सड़कों पर उड़ रही है धूल
सांसों पर संकट:एक्यूआई 331 पहुंचा… 75 करोड़ रुपए खर्च के बाद भी सड़कों पर उड़ रही है धूल, खुलेआम जल रहा कचरा

शहर में वायु प्रदूषण रोकने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। मौसम बदलते ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 के पार पहुंच गया है। कारण, बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए जो पाबंदियां लगना थीं, उनका उल्लंघन निगम अमला ही कर रहा है। नगरीय क्षेत्र में खुलेआम कचरा जलाया जा रहा है। अधिकांश स्थलों पर कचरे में आग निगम का स्टाफ ही लगा रहा है।
नगरीय क्षेत्र में निर्माण कार्य चल रहे हैं। इनमें ग्रीन नेट का उपयोग नहीं हो रहा है। शहर की सड़कों को डस्ट फ्री करने के लिए निगम करीब 75 करोड़ की राशि खर्च कर चुका है, लेकिन इनके बाद भी इनकी सफाई नहीं होने से रोड पर धूल उड़ रही है। जिस कारण एक्यूआई खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। निगमायुक्त अमन वैष्णव का कहना है कि कचरा जलाते पकड़े जाने पर पुलिस में शिकायत दर्ज होगी। वाटर फोगर और रोड स्वीपिंग मशीन के फेरे बढ़ाए जाएंगे।
रोड किनारे पेड़ों पर इतनी जम गई धूल, हरे पेड़ भी हो गए लाल
धुआं… लैंडफिल साइट पर कचरे के पहाड़ बन चुके है। बरा, बुद्धा पार्क के आसपास कचरे में आए दिन आग लगाई जाती है। मेला मैदान में डंपर और जेसीबी चालक यहां कचरे में आग लगा दी। वहीं मोहिते गार्डन, पटेल नगर में कचरा जलता मिला।
समाधान: मॉनीटरिंग के अभाव में अभी तक किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसे रोकने के लिए सख्ती जरूरी है।
धूल… जमुनाबाग नर्सरी में नया परिषद भवन का काम चल रहा है। झांसी रोड पर स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम का लिए लाइन डाली जा रही है। यहां भी ग्रीन नेट नहीं लगी है। ऐसी स्थिति डस्ट फ्री सड़कों की है। इन पर सफाई नहीं होने से डिवाइडरों के आस-पास कचरे के ढेर लगे है। समाधान: निर्माण स्थलों पर ग्रीन नेट लगाना होगा। डिवाइडर के आसपास की डस्ट उठाने का काम सभी सड़कों पर होना चाहिए।

एक्सपर्ट – डॉ. निमिषा जादौन, एचओडी पर्यावरण रसायन अध्ययनशाला जेयू
पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने की जरूरत, वाटर फोगर बहुत उपयोगी ग्वालियर को छोड़कर प्रदेश और देश के अन्य शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट काफी अच्छा है। ग्वालियर में इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। इससे लोकल व्हीकल चलना कम होंगे। क्योंकि वाहन भी प्रदूषण का प्रमुख कारण है। सर्दी के मौसम में एक्यूआई ज्यादा रहता है। धूल आधारित प्रदूषण रोकने के लिए वाटर फोगर, रोड स्वीपिंग मशीन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग की जरूरत है। इसके उपयोग से धूल के कण नीचे बैठ जाते हैं।