हादसों के बाद टूटती है नींद! कोचिंग चलाने के क्या हैं नियम?

हादसों के बाद टूटती है नींद! कोचिंग चलाने के क्या हैं नियम? जानिए किस सरकारी विभाग का क्या होता है रोल
दिल्ली में चल रहे कोचिंग सेंटर व्यावसायिक गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं. इन्हें चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है. चिंग सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों की पूरी डिटेल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जानी चाहिए.
हादसों के बाद टूटती है नींद! कोचिंग चलाने के क्या हैं नियम? जानिए किस सरकारी विभाग का क्या होता है रोल

कोचिंग चलाने के क्या हैं नियम?

देश की राजधानी दिल्ली में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए इस हादसे ने तीन होनहारों (दो छात्र और एक छात्रा) की जिंदगी छीन ली है. हादसे के बाद उन सभी सरकारी विभागों की नींद टूटी है, जो कोचिंग सेंटर चलाने के लिए परमिशन या एनओसी जैसे अन्य कागजात जारी करते हैं.

आइए जाते हैं कि दिल्ली में कोचिंग सेंटर्स के लिए क्या नियम-कायदे हैं, इसमें पुलिस का क्या रोल है? इस पर भी बात करते हैं.

    1. इसी साल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने कोचिंग सेंटर शुरू करने के लिए रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के नए दिशा निर्देश तय किए थे. कोचिंग सेंटर शुरू करने के लिए सरकारी रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है. रजिस्ट्रेशन के लिए शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होता है. अगर लाभ 9 लाख रुपये सालाना से ज्यादा है तो इसे व्यावसायिक संस्थान के तौर पर रजिस्टर करवाना जरूरी है.
    2. किसी कोचिंग सेंटर की कई ब्रांच हैं तो हर ब्रांच को अलग इकाई माना जाता है. इनके लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन की जरूरत होती है. इंस्टिट्यूट को अपनी वेबसाइट, जिसमें पाठ्यक्रम, फीस, टाइमिंग और संख्या की जानकारी देना जरूरी है.
  1. इंस्टिट्यूट के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी जरूरी सरकारी नियम हैं. कोचिंग सेंटर्स के लिए निर्देश है कि उन्हें एक कक्षा में प्रति छात्र कम से कम एक वर्ग मीटर का स्पेस रखना होगा. कोचिंग के पास फायर और बिल्डिंग सेफ्टी सर्टिफिकेट भी होना चाहिए. सेंटर में इलेक्ट्रिसिटी, वेंटिलेशन, लाइट की व्यवस्था और सुरक्षा जरूरी है.
  2. कोचिंग के पास सीसीटीवी कैमरे, प्राथमिक चिकित्सा किट और चिकित्सा सहायता भी होनी चाहिए. इमेरजेंसी एग्जिट होना भी जरूरी है. इसके लिए एमसीडी, बिजली विभाग, जल बोर्ड, फायर डिपार्टमेंट, दिल्ली पुलिस समेत शिक्षा विभाग की एनओसी भी जरूरी है.
  3. इंस्टीटूट बिल्डिंग सेफ्टी सर्टिफिकेट के साथ छेड़छाड़ अपराध है. कोचिंग सेंटर रजिस्ट्रेशन और आम जरूरतों के किसी भी नियम या शर्त का उल्लंघन करता है तो उसे पहली गलती पर 25 हजार रुपये जुर्माना, दूसरी गलती पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा. तीसरी गलती पर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन भी रद्द हो सकता है.

शिक्षाविद अरविंद कुमार सिंह कहते हैं, दिल्ली में चल रहे कोचिंग सेंटर व्यावसायिक गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं. इन्हें चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है. जिस बिल्डिंग में कोचिंग सेंटर चलाते हैं, वो बिल्डिंग व्यावसायिक होनी चाहिए. वहां के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की एनओसी होनी चाहिए. मामला शिक्षा से जुड़ा है, इसलिए जिले के शिक्षण विभाग से भी इसका अप्रूवल होना चाहिए.

अरविंद सिंह के मुताबिक, यह एक व्यावसायिक काम है, इसलिए फायर एनओसी भी जरूरी है. कोचिंग सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों की पूरी डिटेल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जानी चाहिए. जिस बिल्डिंग में कोचिंग सेंटर चलाया जाता है, उसके लिए भी नियमावली है. बेसमेंट में कोई भी शैक्षणिक गतिविधि नहीं होती है. सभी क्लास रूम ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर ही होने चाहिए.

उमेश प्रसाद (प्रधान प्रशासक कोचिंग सेंटर) के मुताबिक, रात में लाइब्रेरी चलाने के लिए एमसीडी के अलावा पुलिस विभाग से भी परमिशन लेनी होती है. एमसीडी में कोचिंग का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए. इसका ट्रेड लाइसेंस होना चाहिए. इसका जीएसटी नंबर भी होना चाहिए. किसी भी कोचिंग सेंटर में स्टूडेंट्स को सक्सेस दिलाने के नाम पर गारंटी शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

उन्होंने बताया कि कई कोचिंग सेंटर में स्टूडेंट ज्यादा होते हैं लेकिन उनकी संख्या छिपा ली जाती है. जब कोई हादसा होता है तो सभी संबंधित सरकारी विभाग के कर्मचारी सर्वे करने आते हैं. बिल्डिंग में कोचिंग चलाने के लिए दो एंट्रेंस एंड एग्जिट गेट अनिवार्य हैं.

ताजा मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस हादसे में ऑर्गनाइजर और एमसीडी के साथ-साथ पुलिस भी जिम्मेदार है. पुलिस इसलिए जिम्मेदार है क्योंकि रात में लाइब्रेरी खोलने की परमिशन पुलिस ही देती है. एमसीडी के कर्मचारी कभी सर्वे करने नहीं जाते. बेसमेंट में बच्चे इसलिए पढ़ाई करने जाते हैं क्योंकि लाइब्रेरी का किराया कम होता है. पुलिस और कोचिंग सेंटर्स का नेक्सस नहीं होगा तो रात में लाइब्रेरी कैसे खुलेंगी.

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