12 साल से है कब्जा, तो बन जाएंगे वक्फ की जमीन के मालिक !
Waqf Amendment Bill: 12 साल से है कब्जा, तो बन जाएंगे वक्फ की जमीन के मालिक… नया वक्फ कानून लाएगा ये बड़े बदलाव
वक्फ एक्ट को लेकर पेश किए गए संशोधन विधेयक में सरकार ने केंद्रीय और राज्यों के वक्फ बोर्ड में रिटायर्ड जज की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया है ताकि कामकाज में पारदर्शिता आए
.वक्फ कानून में कौन-कौन से बदलाव होंगे?
केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार (8 अगस्त, 2024) को वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में प्रस्तावित संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया. बिल में 40 संशोधन का प्रस्ताव है. सरकार का दावा है कि इन बदलावों के जरिए कानूनों को आधुनिक, लोकतांत्रिक और गरीब मुसलमानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाने की कोशिश की गई है.
वक्फ कानून का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम’ कर दिया गया है और इस्लाम के विद्वान मानते हैं कि इन बदलावों का मुस्लिम समुदायों पर दूरगामी असर पड़ेगा. वहीं, सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक कानून में मौजूद खामियों को दूर करने और इसलिए लाया जा रहा है, ताकि वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन और संचालन बेहतर तरीके से हो सके. आइए जानते हैं कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक में सरकार ने वक्फ एक्ट में कौन से बड़े बदलाव करने की बात कही है-
- बिल में वक्फ बोर्ड में पूर्व जज की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया गया है. केंद्रीय और राज्यों के वक्फ बोर्ड में एक पूर्व जज होंगे, जिससे बोर्ड के कामकाज में ट्रांसपरेंसी आएगी. मानवाधिकार सहित कई बड़ी संस्थाओं में चेयरमैन के तौर पर रिटायर्ड जज को नियुक्त किया जाता है और अब यही मॉडल वक्फ बोर्ड में भी अपनाया जाएगा.
- संशोधन विधेयक में प्रस्ताव दिया गया है कि वक्फ को ऐसा व्यक्ति अपनी जमीन दान कर सकता है, जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो. साथ ही जो जमीन वह वक्फ को दान करना चाहता है, उस पर उसका मालिकाना हक होना चाहिए. फिलहाल ऐसा कोई नियम वक्फ एक्ट में नहीं है. कोई भी शख्स अल्लाह के नाम पर या इस्लामिक कार्यों के लिए या परोपकार के मकसद से जमीन दान कर सकता है.
- अब अगर कोई अपनी संपत्ति वक्फ को दान करना चाहता है तो उसको वक्फनामा के जरिए लिखित में इसकी घोषणा करने होगी. सिर्फ बोल देने से ऐसा नहीं हो पाएगा या उसको मान्य नहीं माना जाएगा. वक्फ की सभी संपत्तियों की पूरी जानकारी डिजीटल होगी और इस तरह कोई दूसरा उस पर कब्जा नहीं कर सकेगा.
- संशोधन विधेयक में प्रस्ताव दिया गया कि वक्फ की जमीन का सर्वे जिला कलेक्टर या डिप्टी कमीश्नर करे. वर्तमान कानून में यह अधिकार अतिरिक्त कमीश्नर को दिया गया है.
- नए संशोधनों के तहत केंद्रीय और राज्य के वक्फ बोर्ड में स्थानीय प्रतिनिधि भी एक सदस्य होगा, जो उस क्षेत्र का विधायक या सांसद हो सकता है और वह किसी भी धर्म से हो सकता है. इस तरह वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम की एंट्री होगी.
- संशोधन विधेयक में केंद्रीय और राज्यों के सभी वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को अनिवार्य रूप से नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया गया है.
- विधेयक में सीमा अधिनियम को लागू करने की अनिवार्यता को हटाने का प्रावधान है. इसका मतलब ये है कि जिन लोगों ने 12 साल से वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण करके कब्जा किया हुआ है, वे इस संशोधन विधेयक के आधार पर मालिक बन सकते हैं.
- संपत्ति वक्फ की है या नहीं, इसका फैसला करने का अधिकार वक्फ बोर्ड से वापस लेने का प्रस्ताव दिया गया है. जिले के कलेक्टर को यह बताने का अधिकार होगा कि प्रॉपर्टी वक्फ की है या नहीं. फिलहाल संपत्ति को लेकर आखिरी फैसला वक्फ बोर्ड के चेयरमैन का होता है.
- साथ ही वक्फ का पंजीकरण सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस के जरिए होगा और बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनेगा. तीन सदस्यों वाली वक्फ ट्रिब्यूनल को भी दो सदस्यों तक सीमित कर दिया गया है और उसके फैसलों को अंतिम नहीं माना जाएगा. उसे 90 दिन के अंदर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
- प्रस्ताव में वक्फ बोर्डों के अंदर ही शिया, सुन्नी, बोहरा और अहमदिया समुदायों के लिए प्रावधान करने की बाद कही गई है, जिससे उपेक्षित मुस्लिमों को भी मजबूती मिले.
- वक्फ बोर्ड के सभी लेनदेन का कंट्रोलर एंड ऑडिट जनरल ऑफ इंडिया के जरिए ऑडिट कराने का भी प्रस्ताव है ताकि वक्फ के कामकाज में पारदर्शिता लाई जा सके. मंदिरों और धार्मिक स्थलों को लेकर इस तरह की व्यवस्था पहले से है, लेकिन वक्फ बोर्ड के मामले में अभी तक ऐसा नहीं है.
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वक्फ के पास कहां से आई 50 देशों से भी ज्यादा जमीन? वक्फ बोर्ड की कमाई खाता कौन है?
Waqf Board property in India: वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से इसी हफ्ते बिल लाने जाने की चर्चा है। वक्फ एक्ट में 40 संशोधन होने की बातें सामने आ रही हैं। इन सबसे अलग हम यह चर्चा करना चाहते हैं कि वक्फ बोर्ड के पास संपत्ति कहां से आती है और उससे होने वाली कमाई का क्या किया जाता है? वक्फ का मतलब है कि धर्म के नजरिए से किसी व्यक्ति की ओर से स्थायी समर्पण। यह धार्मिक या धर्मार्थ कार्यों के लिए चल या अचल संपत्ति के रूप में हो सकता है। अगर धार्मिक नजरिए से कहें तो वक्फ की प्रॉपर्टी का इस्तेमाल धार्मिक या धर्मार्थ (charitable) कार्यों के लिए किया जाता है। भारत में कहां से आया वक्फ कानून? भारत में सबसे पहले वक्फ कानून जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में बना, जिसे इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के सरकार के कार्यकालों में निरंतर ज्यादा शक्तियां दी गईं। लेकिन, भारतीय संविधान में वक्फ का कहीं कोई जिक्र नहीं है। इसे भी पढ़ें- वक्फ बोर्ड की पावर कम करने की तैयारी पर बोले अखिलेश यादव, कहा-‘हम लोग इसके खिलाफ रहेंगे’ भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बन चुका है वक्फ आज की तारीख में भारत में वक्फ के पास कुल 8.7 लाख अचल संपत्तियां हैं। वक्फ के पास आज की तारीख में 9.4 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। इस तरह से वक्फ के पास देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है। दुनिया के 50 देशों से भी ज्यादा जमीन है वक्फ बोर्ड के पास सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक वक्फ के पास सिंगापुर, मालदीव, बहरीन, हॉन्गकॉन्ग, डेनमार्क, फिनलैंड, मॉरीशस और साइप्रस जैसे दुनिया के 50 देशों से भी ज्यादा जमीन है। वक्फ की प्रॉपर्टी हमेशा के लिए उसकी होती है धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार जो प्रॉपर्टी वक्फ को समर्पित कर दी जाती है, वह हमेशा-हमेशा के लिए वक्फ की हो जाती है, इसे बदलने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही किसी के पास यह अख्तियार है। वक्फ की कमाई कौन ले सकता है? जो व्यक्ति वक्फ बनाता है, वह (वाकिफ) यह इच्छा जाहिर कर सकता है कि उस प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई का इस्तेमाल कहां होना चाहिए। यह गरीबों और जरूरतमंदों पर खर्च हो सकता है, मस्जिदों और अन्य धार्मिक संस्थाओं पर खर्च किया जा सकता है, शिक्षा पर भी खर्च किया जा सकता है या फिर अन्य धर्मार्थ कार्यों के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। Advertisement वक्फ में कौन दे सकता है दान? प्रावधान के मुताबिक वक्फ में कोई भी व्यक्ति समाज कल्याण के लिए योगदान दे सकता है। लेकिन, वक्फ की संपत्ति के प्रबंधन की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड की है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उस संपत्ति से होने वाली आमदनी का खर्चा वाकिफ की इच्छानुसार और इस्लामी सिद्धांतों के अनुकूल हो। वक्फ प्रबंधकों पर लगते रहे हैं भ्रष्टाचार के आरोप लेकिन, आरोप लगते हैं कि देश में वक्फ जितना अमीर संगठन है, उसकी तुलना में उसकी कमाई न के बराबर है। जब से देश में वक्फ की व्यवस्था हुई है, तभी से इसपर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप लगते रहे हैं। वक्फ की कमाई गरीब मुसलमानों पर खर्च करने का फ्रेमवर्क तैयार करना चाहती है सरकार-सूत्र टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि मोदी सरकार ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करना चाहती है, ताकि वक्फ की संपत्ति से प्राप्त होने वाला राजस्व सिर्फ गरीब मुसलमानों के कल्याण पर खर्च किया जाए। देश के तीसरे सबसे बड़े जमींदार का राजस्व मात्र 200 करोड़ रुपए! एक सूत्र ने नाम नहीं जाहिर होने देने की गुजारिश करते हुए बताया, ‘वक्फ बोर्ड के पास 8.7 लाख अचल संपत्तियां होने के बावजूद मात्र 200 करोड़ रुपए का राजस्व आता है। इन बोर्डों का नियंत्रण भी मुश्किल से 200 लोगों के हाथों में है। इसलिए मुस्लिम महिलाओं और बुद्धिजीवियों से शिकायतें मिलने के बाद संशोधन लाने की जरूरत महसूस की गई है।’ उसने ये भी बताया, ‘इतने सालों से बोर्डों की ओर से शक्ति के दुरुपयोग के उदाहरण और अनेक आरोप यह दिखाते हैं कि कानून में संशोधन करना कितना जरूरी है और हम इसे सुधारने में बहुत देर कर चुके हैं।’ वक्फ के पास कहां से आई इतनी जमीन? जानकार बताते हैं कि वक्फ बोर्ड को भारत सरकार की ओर से शुरू में वह संपत्ति दी गई जो उन मुसलमानों की थी और वे बंटवारे के दौरान देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन, 1995 में वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के बाद इसकी शक्तियां असीमित रूप से बढ़ती गईं और तबसे इसकी संपत्तियों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। मसलन, दावा किया जाता है कि देश में वक्फ बोर्ड जहां भी चारदीवारी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को वक्फ की जमीन मान लिया जाता है। यह स्थिति दरगाहों और मस्जिदों के साथ भी हो सकती है। उदाहरण के लिए 1995 के कानून के मुताबिक अगर वक्फ ‘सोच’ लेता है कि कोई जमीन मुसलमानों की है तो वह वक्फ की प्रॉपर्टी हो जाती है। इसके लिए वक्फ को कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है। इसे भी पढ़ें- Waqf बोर्ड पर नकेल कसने की तैयारी, मुसलमान भी कर रहे डिमांड! क्या होगा सियासी अंजाम? अगर किसी को वक्फ के दावों से शिकायत है तो उसका निपटारा अदालत में नहीं, वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट में ही होगा। इन प्रावधानों के अनुसार ट्रिब्यूनल का फैसला ही अंतिम होगा और सुप्रीम कोर्ट तक भी उसे नहीं बदल सकता। मतलब, वक्फ ने जिस भी जमीन पर दावा कर दिया, वह उसका मालिक बन जाता है!