शहरी चकाचौंध में अब नहीं खोएंगे गांव !

शहरी चकाचौंध में अब नहीं खोएंगे गांव, बरकरार रहेगी पहचान; कल्चरल मैपिंग में जुटा संस्कृति मंत्रालय

Cultural Mapping of Villages संस्कृति मंत्रालय ने देश के गांवों की पहचान और संस्कृति को जिंदा रखने के लिए खास पहल शुरू की है जिसके तहत मंत्रालय सभी गांवों की कल्चरल मैपिंग करा रहा है। चार लाख से अधिक गांवों में काम पूरा भी हो चुका है और बचे हुए गांवों में भी इस साल पूरा करा लिया जाएगा। इसके तहत मंत्रालय प्रत्येक गांव की पहचान बरकरार रखना चाहता है।

बाकी गांवों की मैपिंग का काम साल के अंत पूरा करने का लक्ष्य है। (File Image)
  1. संस्कृति मंत्रालय प्रत्येक गांव की कल्चरल मैपिंग में जुटा, इस साल पूरा हो जाएगा काम।
  2. साढ़े छह लाख से अधिक गावों में से चार लाख से अधिक गांवों में पूरा हो चुका है काम।

नई दिल्ली। विविधताओं से भरे देश में प्रत्येक गांव की अपनी एक अलग पहचान के साथ ही उससे जुड़ी कुछ न कुछ कहानियां, इतिहास और किवदंतियां भी है। हालांकि यह सब शहरी चकाचौंध और आधुनिकता की दौड़ में धीरे-धीरे गुम होने लगी है।

संस्कृति मंत्रालय ने प्रत्येक गांवों की पहचान को जिंदा रखने की नई पहल शुरू की है। जिसमें देश के प्रत्येक गांवों की कल्चरल मैपिंग कराई जा रही है। देश के साढ़े छह लाख से अधिक गांवों में से अब तक 4.10 लाख गांवों की मैपिंग का काम हो चुका है। बाकी गांवों की मैपिंग का काम भी इस साल के अंत पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

संस्कृति मंत्रालय ने मेरा गांव-मेरी धरोहर नाम से यह अभियान छेड़ा है। इसके तहत प्रत्येक गांव की मैपिंग करने के बाद उससे जुड़ी जानकारियों को सत्यापित कराके उसे अपलोड किया जाता है। इस दौरान गांवों की मौजूदा आबादी, गांव में बिजली, पानी, स्कूल जैसी सुविधाओं का भी ब्यौरा जुटाया जा रहा है।

मंत्रालय के मुताबिक जल्द ही गांवों से जुड़ी जानकारी को और भी ज्यादा समृद्ध बनाया जाएगा, जिसमें गांवों से जुड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से लेकर खिलाड़ियों, कलाकारों और सेना के शहीदों आदि की भी ब्यौरा शामिल होगा। संस्कृति मंत्रालय का इस पहल के पीछे मुख्य मकसद लोगों को अपनी माटी से जोड़कर रखना भी है। यही वजह है कि इस पहल के दौरान गांव के इतिहास, भूगोल, कला- संस्कृति, मेले, त्योहार, खानपान और पहनावे आदि की जानकारी जुटाई जा रही है।

माटी से जोड़ने में मिलेगी मदद

इसके साथ ही गांव से जुड़ी कहानियां, किस्से और किवदंतियों को भी जुटाया जा रहा है। गांव के प्रसिद्ध लोगों और कलाकारों की भी इस दौरान जुटाई जा रही है। माना जा रहा है कि इस पहल से उन लोगों को अपनी माटी से जोड़ने में मदद मिलेगी, जो लोग गांव छोड़कर चले गए है या फिर वह गांव के त्योहार व खेल, संस्कृति आदि को भूल चूके हैं।

प्रत्येक गांवों को मिलेगा एक यूनिक आईडी

इस पहल के प्रत्येक गांवों में मैपिंग का काम पूरा होने के बाद उन्हें एक यूनिक आईडी दी जाएगी, जिसके जरिए दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले लोग इन गांवों को खोज सकेंगे। साथ ही इनसे जुड़ी जानकारी जुटा सकेंगे। इसके साथ ही इन दौरान प्रत्येक गांव की जियो टैगिंग भी का जा रही है। इसके चलते शहरी क्षेत्रों में भी गांवों के आने के बाद भी उनकी अस्तित्व बरकरार रहेगा।

गांवों को पर्यटन से जोड़ने की भी पहल

इस मुहिम में ऐसे गांवों की भी पहचान की जा रही है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र भी बन सकते है। ऐसे में इन गांवों की पहचान कर राज्यों की मदद से पर्यटन से जुटी सुविधाएं विकसित करने की तैयारी है। इससे जहां गांव के लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

अभी पर्यटन मंत्रालय ने लद्दाख के कुछ गांवों का चयन कर वहां पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों को शुरू किया है। इस दौरान सबसे अधिक फोकस ऐसे गांवों में जो पुरातत्व या फिर रामायण या महाभारत काल की कहानियों से जुड़े है।

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