जब हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, तो यह समय केवल उत्सव का नहीं है, बल्कि आत्म-चिंतन का भी है। स्वतंत्रता का अर्थ केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि इसका व्यापक अर्थ मानसिक और आध्यात्मिक स्वतंत्रता से है। जब हम अपने देश के तिरंगे को लहराते हैं, राष्ट्रगान गाते हैं और परेड देखते हैं, तो हमें खुद से पूछना चाहिए : क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं? स्वतंत्रता को अक्सर एक राजनीतिक अवधारणा के रूप में समझा जाता है—एक राष्ट्र की अपनी शासन प्रणाली को बाहरी नियंत्रण के बिना संचालित करने की क्षमता। लेकिन सच्ची स्वतंत्रता का अर्थ इससे कहीं अधिक है। यह मन और आत्मा की मुक्ति है, जो हमें सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक बंधनों से मुक्त करती है। राष्ट्रों के बीच के संघर्ष को लेकर हमें हमेशा सिखाया गया है कि यह जरूरी है। इतिहास गवाह है कि पिछले 4,500 वर्षों में 10,000 से अधिक युद्ध हुए हैं। ये युद्ध केवल राष्ट्रों के बीच की लड़ाई नहीं थे, बल्कि मानवता को पीछे धकेलने वाले संघर्ष थे। हर राष्ट्र के अस्तित्व की नींव ही दूसरे राष्ट्र से संघर्ष में निहित मानी जाती है। लेकिन हमें यह विचार करना चाहिए कि क्या वास्तव में राष्ट्रों का अस्तित्व संघर्ष पर निर्भर है?