लाल किले से ‘ग्रीन जॉब्स’ की बात ?
लाल किले से ‘ग्रीन जॉब्स’ की बात: आखिर क्या हैं ये, कितनी है मांग और क्यों है अहमियत?
दुनिया के तमाम देश पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने की कोशिश कर रहे हैं और प्रदूषण कम करने पर ध्यान दे रहे हैं. भारत भी इस मामले में पीछे नहीं है.
लाल किले से 78वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन वैश्विक स्तर पर स्थापित करना है और इस दिशा में काम चल रहा है. ऐसे में आने वाले समय में ग्रीन जॉब्स की बहुत बड़ी संभावना है. अगर ऐसा होता है तो देश के युवा इस क्षेत्र में सबसे आगे रहेंगे.
इस स्पेशल स्टोरी में आप जानेंगे कि ग्रीन जॉब्स का मतलब क्या होता है, इनमें क्या काम किया जाता है, कौन-कौन सी नौकरियां होती हैं, क्यों इनकी मांग बढ़ रही है और इनसे आपको क्या फायदे हो सकते हैं.
पहले समझिए आखिर क्या है ग्रीन जॉब्स
धरती पर जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है. हमारे पास पानी और जंगल जैसे संसाधन कम होते जा रहे हैं. इसलिए, ऐसे कामों की बहुत जरूरत है जो पर्यावरण को बचा सकें. इन्हें ही ग्रीन जॉब्स कहते हैं.
ग्रीन जॉब्स ऐसी नौकरियां होती हैं जो हमारे पर्यावरण को बचाने या सुधारने में मदद करती हैं. उनके कामकाज से पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ता है और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता. जैसे- कम पानी का इस्तेमाल करके या कचरे को कम करके उत्पादन करना, इको-फ्रेंडली इमारतें बनाना या प्रदूषण रहित गाड़ियां बनाने के तरीके खोजना. हाइड्रोपॉवर, सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक व्हीकल जैसे सेक्टर में निकलने वाली नौकरियों को ग्रीन जॉब्स कहा जाता है.
ग्रीन जॉब्स का मकसद कचरे और प्रदूषण को कम करना है, साथ ही ऐसे काम करने के तरीके बढ़ावा देना है जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ कम बनें. वे जंगलों, नदियों, पहाड़ों जैसी प्राकृतिक चीजों की रक्षा करते हैं. इसके अलावा गर्मी बढ़ने, बारिश के पैटर्न बदलने जैसे मौसम में आ रहे बदलावों से निपटने में भी मदद करते हैं.
मान लीजिए एक कंपनी सौर ऊर्जा पैनल बनाती है. इन पैनलों को घरों और फैक्ट्रियों में लगाकर बिजली बनाई जाती है. इस कंपनी में काम करने वाले लोग ग्रीन जॉब्स में लगे हुए हैं. वे ऐसे उत्पाद बना रहे हैं जो कोयले या पेट्रोल जैसे ईंधनों की जगह ले सकते हैं और प्रदूषण को कम कर सकते हैं.
कितने तरह की होती हैं ग्रीन जॉब्स?
ग्रीन जॉब्स अलग-अलग तरह की होती हैं, जिसमें हर तरह के हुनर और रुचि वाले लोग काम कर सकते हैं. रिन्यूवल एनर्जी में काम करने वाले लोग हवा, सूरज और पानी जैसी साफ ऊर्जा का इस्तेमाल करने के तरीके खोजते हैं. एनर्जी एफिशिएंसी में ऊर्जा का कम से कम इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा काम करने के तरीके खोजे जाते हैं. इसमें इमारतों में बिजली बचाने के तरीके बताने वाले लोग, पर्यावरण के अनुकूल घर बनाने वाले आर्किटेक्ट और बिजली बचाने वाले सामान बनाने वाले डिजाइनर शामिल होते हैं.
एनवायरमेंटल मैनेजमेंट में जंगल, जानवर और प्राकृतिक चीजों की रक्षा करना शामिल है. इसमें जंगली जानवरों के जानकार, जंगल की देखभाल करने वाले और पर्यावरण की सलाह देने वाले लोग आते हैं. ऐसे ही एग्रीकल्चर सेक्टर में ऐसे तरीके खोजे जाते हैं जिनसे खेती और खाना पैदा करना पर्यावरण के लिए अच्छा हो. इसमें जैविक खेती करने वाले, किसानों को सलाह देने वाले और खाने की चीजों को बचाने के तरीके खोजने वाले लोग आते हैं.
इसके अलावा ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन में ऐसे काम होते हैं जिनसे प्रदूषण कम से कम हो. इसमें इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाना, साइकिल चलाने के लिए जगह बनाना, और अच्छा ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाना शामिल है.
भारत में ग्रीन जॉब्स की क्या स्थिति?
भारत ने साल 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का लक्ष्य रखा है. इस वजह से ग्रीन जॉब्स की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. बहुत सी कंपनियां प्रदूषण कम करने और नए तरह की एनर्जी खोजने के लिए काम कर रही हैं. इन कंपनियों को ऐसे लोगों की जरूरत है जिनके पास पर्यावरण से जुड़े हुनर हैं.
सीईईडब्ल्यू, एनआरडीसी इंडिया और स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स की ज्वाइंट स्टडी के अनुसार, साल 2022 में भारत में सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में 52,700 नए कामगार जुड़े हैं, जो साल 2021-22 की तुलना में आठ गुना . , जबकि पवन ऊर्जा क्षेत्र में बहुत कम यानी 600 नए कामगार जुड़े हैं. साल 2022 में सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में कुल मिलाकर 1.64 लाख कामगार थे, जो साल 2021 की तुलना में 47% ज्यादा है.
लिंक्डइन की ग्लोबल स्किल्स रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, साल 2022 से 2023 के बीच ग्रीन जॉब्स करने वाले लोगों की संख्या एवरेज 12.3% बढ़ी है. वहीं, जिन नौकरियों के लिए ग्रीन स्किल जरूरी है उनकी संख्या तो दुगनी हो गई है.
वहीं ग्रीन इंडस्ट्री आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अभी करीब 1.85 करोड़ लोग ग्रीन जॉब्स कर रहे हैं. साथ ही, इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस क्षेत्र में ठेके पर काम करने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है.
भविष्य में नौकरियों की क्या संभावना
दुनिया के तमाम देश पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने की कोशिश कर रहे हैं और प्रदूषण कम करने पर ध्यान दे रहे हैं. भारत भी इस मामले में पीछे नहीं है. इसके चलते, ऐसे कामों की काफी मांग है जो पर्यावरण बचाने में मदद करते हैं. स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (SCGJ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2047 तक करीब 3.5 करोड़ ग्रीन जॉब्स पैदा हो सकती हैं. ये नौकरियां अलग-अलग सेक्टर में होंगी.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्षेत्र में भी बहुत सारे नए काम बनेंगे. अगले दस सालों में इस क्षेत्र में हर साल 90% की बढ़ोतरी हो सकती है. इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनने से करीब एक करोड़ डायरेक्ट और 5 करोड़ इनडायरेक्ट जॉब्स पैदा हो सकती हैं. क्योंकि गाड़ियां बनाने के अलावा उनकी मरम्मत, चार्जिंग स्टेशन लगाना जैसे काम भी बहुत जरूरी हैं.
इसके अलावा पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामान का सही तरीके से निपटारा करना, पानी का सही इस्तेमाल करना, कपड़ा उद्योग को पर्यावरण-हितैषी बनाना, और ऐसे घर बनाना जो पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं, ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां सबसे ज्यादा नौकरियों की संभावना है. साथ ही, खेती और खाने की चीजें पैदा करने के नए तरीकों पर भी ध्यान दिया जा रहा है.
ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम
भारत सरकार ने ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. जैसे- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (SAUBHAGYA), ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (GEC), फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME), इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA), नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन.
प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना का मकसद हर घर में बिजली पहुंचाना है. इससे लोगों को बिजली की सुविधा मिलने के साथ-साथ, भविष्य में सौर ऊर्जा जैसे ग्रीन ऑप्शन अपनाने का रास्ता भी खुलता है. ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के तहत बिजली की लाइनों का एक नेटवर्क बनाया जा रहा है, जिससे हवा और सूरज से पैदा होने वाली बिजली को देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया जा सकेगा. इससे ग्रीन एनर्जी का उत्पादन और इस्तेमाल बढ़ाने में मदद मिलेगी.
फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स योजना का मकसद इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देना है, जिससे प्रदूषण कम होगा और देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का निर्माण बढ़ेगा.
इंटरनेशनल सोलर अलायंस एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य सूर्य की ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाना है. भारत इस संगठन का नेतृत्व कर रहा है. वहीं नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य हाइड्रोजन को एक स्वच्छ ईंधन के रूप में विकसित करना है, जिससे प्रदूषण कम होगा और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी.