ग्वालियर : ऑनलाइन ठगी:लोगों को 4.44 करोड़ में से सिर्फ 35.81 लाख रुपए ही दिला पाई पुलिस

ऑनलाइन ठगी:लोगों को 4.44 करोड़ में से सिर्फ 35.81 लाख रुपए ही दिला पाई पुलिस

ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे लोगों की रकम वापसी का अनुपात बहुत कम है। इस साल सायबर ठगों ने लोगों से 4.44 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी को अंजाम दिया है। यह रकम ग्वालियर-चंबल के आठ जिलों के लोगों से हुई ठगी की है। 2023 में 2.8 करोड़ रुपए लोगों से ठगे गए थे। आंकड़ा बता रहा है कि ऑनलाइन ठगी की वारदातें तेजी से बढ़ रही हैं।

इधर पुलिस-बैंक का आपसी तालमेल ठीक न होने का खामियाजा भी पीड़ितों को ही उठाना पड़ रहा है। पुलिस अफसरों का कहना है कि कई मामलों में समय पर जानकारी आने के बाद भी रकम खातों में फ्रीज नहीं करवाई जा सकी, क्योंकि बैंक ने समय पर रिस्पांस नहीं दिया। कुछ मामले ऐसे भी रहे, जिनमें फरियादी ही देर से पहुंचा। दोनों ही सूरत में नुकसान आम आदमी का ही हो रहा है।

आपसी तालमेल को लेकर पुलिस-बैंक के बीच बैठक भी होती हैं, लेकिन नतीजा सिफर ही रहता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो रकम लंबे समय से बैंक खातों में फ्रीज रहती है, उसे सिर्फ कोर्ट के आदेश के बाद ही बैंक रिलीज करता है। ठगी की जो रकम वॉलेट में होती है, उसे साइबर पुलिस तत्काल वापस करवा देती है। कई मामलों में पीड़ित देर से पहुंचता। ऐसे में ठग खातों से रकम निकाल लेते हैं।

राज्य सायबर पुलिस का रिकॉर्ड बताता है कि 2024 में 35.81 लाख रुपए ही लोगों को वापस कराए जा सके हैं। पुलिस की मानें तो ठगी की बड़ी वारदातों में बैंक से रिस्पांस ठीक मिल जाता है, लेकिन ठगी के छोटे मामलों में रिस्पांस मिलने में महीना भर भी निकल जाता है। साइबर क्राइम विंग के पास एक साल में 2 हजार से ज्यादा आवेदन पहुंचते हैं। इनमें 90 फीसदी छोटी रकम वाले ही होते हैं।

  • 02 हजार ठगी के आवेदन एक साल में पहुंचे
  • 90 फीसदी आवेदन छोटी राशि के होते हैं

ठगी के दो नए ट्रेंड, ​​इसमें फंस रहे लोग

  1. एपीके फाइल एपीके फाइल डाउनलोड कराकर ठग सिस्टम और मोबाइल हैक कर ठगी कर रहे हैं। जुलाई में नगर निगम के एक ग्रुप में एपीके फाइल के जरिए कर्मचारियों से ठगी हो चुकी है। ऐसा ही मामला डबरा के युवक से हुई, जिसमें उसके खाते से 4 लाख रुपए उड़ गए। ठग बिजली बिल, आधार अपडेट जैसी फर्जी लिंक भेजकर एपीके फाइल डाउनलोड करवा देते हैं।
  2. वॉट्सएप हैक कर लिंक भेजना: वॉट्सएप हैक कर ग्रुप में लिंक भेजकर भी ठगी हो रही है। पहले ठग किसी एक व्यक्ति का वॉट्सएप हैक करते हैं। फिर उसके नंबर से ग्रुपों में ऐसी लिंक भेजते हैं, जिसे लोग ओपन करें। यह लिंक ओपन करते ही सिस्टम हैक होता है और ठग आने वाले मैसेज पढ़ लेता है। बैंक से आने वाले मैसेज और ओटीपी भी उसे पता चल जाते हैं।

इनमें बैंक का रिस्पांस खराब

केस-1 बहोड़ापुर निवासी सीमा (परिवर्तित नाम) से ठग ने यूपीआई के जरिए 93 हजार रुपए की ठगी की। मामला अप्रैल-2024 का है। शिकायत साइबर पुलिस के पास पहुंची। पुलिस संबंधित बैंक को कई ई-मेल कर चुकी है, लेकिन बैंक की ओर से कोई रिप्लाई नहीं आया है।

केस-2 डबरा निवासी युवक से 70 हजार रुपए की ठगी हुई। मामला 3 जून का है, लेकिन साइबर पुलिस अब तक इसमें कुछ नहीं कर पाई है। वजह संबंधित बैंक की ओर से रिस्पांस न मिलना है। जानकारी के अभाव में पुलिस रकम भी फ्रीज नहीं करवा सकी।

शिकायत में तत्परता तो रकम मिली

केस-1 प्रवीण श्रीवास से क्रेडिट कार्ड के वेरिफिकेशन के नाम पर ठगी हुई थी। प्रवीण ने तत्परता दिखाते हुए शिकायत की। साइबर क्राइम विंग ने वॉलेट कंपनी और बैंक से संपर्क करते हुए रकम होल्ड कराई और 57 हजार रुपए प्रवीण को वापस दिलवाए।
केस-2 कार्ड प्रोटेक्शन के नाम पर विनोद कुमार से 1.46 लाख रुपए की ठगी हो गई थी। ठग ने विनोद को लिंक भेजकर यह ठगी की थी। साइबर क्राइम विंग टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 1.46 लाख रुपए वापस करवाए।

एक्सपर्ट – वैभव श्रीवास्तव, एसपी राज्य साइबर सेल

आप खुद भी ब्लॉक करवा सकते हैं ठगों का नंबर

लोगों की सहुलियत के लिए नई-नई तकनीक आ रही है। इसमें एक संचार साथी पोर्टल भी है। आपको लगता है कि किसी संदिग्ध नंबर के जरिए आपसे ठगी की कोशिश हुई तो आप संचार साथी पोर्टल पर जाएं। इस पर चक्षु पोर्टल के जरिए उस नंबर की जानकारी भरें। पोर्टल की टीम उस नंबर को वेरिफाई करेगी। संदिग्ध होने पर उसे ब्लॉक कर दिया जाएगा।

फिर यह नंबर देश में कहीं भी नहीं लगेगा। अभी कम लोगों को इसकी जानकारी है। दूसरा, ठगी होते ही पीड़ित व्यक्ति परेशान होकर अपनी बैंक शाखा व थाने के अलग-अलग चक्कर लगाकर समय बर्बाद करता है। ठगी की जानकारी मिलने पर व्यक्ति को नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 सूचना देनी चाहिए। यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। इस सेंटर पर बैंक व पुलिस के अधिकारी मौजूद रहते हैं। यहां से बैंक व संबंधित एसपी को तत्काल सूचना दी जाती है और ठग के खाते फ्रीज हो जाते हैं।

तुरंत रिस्पांस करती है टीम
^ठगी के मामलों में पुलिस से शिकायत मिलते ही टीम तुरंत रिस्पांस करती है। ठगी मामलों को गंभीरता से लिया जाता है। किसी भी मामले में लापरवाही नहीं बरती जाती है।
…. रीजनल मैनेजर एसबीआई

वॉलेट की राशि मिलती है
^1930 पर होने वाली शिकायतों से खातों में फ्रीज होने की कार्रवाई में तेजी आई है। आटोमैटिक जानकारी बैंक तक जाती है। वॉलेट में गई राशि वापस दिलवा दी जाती है।
 डीएसपी साइबर

 

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