शिक्षा बजट में 3000 करोड़ की कटौती की रिपोर्ट पर ये बोले नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी

आगामी बजट (Budget 2020-21) से पहले  नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने एक बड़ा बयान दिया है। केंद्र सरकार द्वारा स्कूल शिक्षा बजट में 3000 करोड़ रुपये की कटौती की रिपोर्ट पर अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि वैसे ही सरकार शिक्षा में बहुत कम धन मुहैया कराती है। शिक्षा व्यवस्था सरकार के अधीन आता है, इसमें अधिकतर फंडिंग सरकार की ही होनी चाहिए। 3 हजार करोड़ रुपये की कटौती समुद्र में एक बूंद के समान है।

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Nobel laureate Abhijit Banerjee on Centre’s reported plan to cut school education budget by Rs 3000Cr : The federal govt provides very little of the funding in education. Education is a state subject, & it is mostly funded by state. Cutting Rs 3000 Cr is like a drop in the ocean

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3 हजार करोड़ रुपये की कटौती समुद्र में एक बूंद के समान

शनिवार को अभिजीत बनर्जी ने शिक्षा बजट को लेकर आशंका जाहिर करते हुए कहा कि सरकार इस बार शिक्षा बजट में 3 हजार करोड़ रुपये की फंडिंग कम करने वाली है। केंद्र सरकार पहले से ही इसके लिए बेहद कम फंड मुहैया कराती है।

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Nobel laureate Abhijit Banerjee on upcoming Union Budget: Fiscal deficit has been breached by a huge margin already. In that sense, I don’t think that it’s a big deal to breach it more. I wouldn’t be supporting fiscal tightening right now.

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आगामी बजट (Budget 2020-21) को लेकर राजकोषिय घाटे पर उन्होंने कहा कि यह इसक मार्जिन पहले से ही अधिक बढ़ अंतर से पार कर लिया गया है। इस लिहाज से देखें तो इसमें मामूली बढ़ोतरी करना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय को देखते हुए मैं इस पक्ष में नहीं होगी राजकोषीय घाटे को टाइट कर दिया जाए।

क्या होता है राजकोषीय घाटा?

राजकोषीय घाटे का मतलब होता है कि सरकार ने जितनी आमदनी का अनुमान लगाया था, उससे ज्यादा का खर्च हो गया। सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit)  कहा जाता है।

बता दें कुछ दिन पहले ही नोबेल पुरस्कार विजेत बनर्जी ने कहा था कि हमे बजट घाटा और लक्ष्य की प्राप्ति के बारे सोचने की जरूरत नहीं है, हमे महंगाई को भी लक्ष्य बनाने की जरूरत नहीं। अर्थव्यवस्था को थोड़ा पकने देना चाहिए। हम अब भी बहुत ही बंद अर्थव्यवस्था हैं, लिहाजा मुझे नहीं लगता है कि सरकार के लिए हाथ खोलने में कोई खास समस्या होगा।

प्राइवेट सेक्टर में निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स को कम किए जाने पर बनर्जी ने कहा कि मुझे नहीं लगता मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था को इससे मदद मिलेगी। कॉर्पोरेट सेक्टर फिलहाल नगदी के ढेर पर निर्भर है। लिहाजा इसकी कोई जरूरत नहीं थी।

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