मोदी सरकार….. 5 बड़े मुद्दों पर लिया यूटर्न ?

क्या राहुल के 3C ट्रैप में फंसी सरकार
ढाई महीने में रिजर्वेशन, वक्फ समेत किन 5 बड़े मुद्दों पर लिया यूटर्न

17 अगस्त 2024 को UPSC ने लेटरल एंट्री के जरिए 45 पदों पर वैकेंसी निकाली। 19 अगस्त को राहुल गांधी ने कहा कि ये दलित, OBC और आदिवासियों के आरक्षण पर सीधा हमला है। अगले ही दिन PM नरेंद्र मोदी ने लेटरल एंट्री का विज्ञापन रद्द करने के निर्देश दे दिए।

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल को अभी ढाई महीने हुए हैं। इस दौरान सरकार को 5 बड़े फैसलों पर फिर से विचार करने को मजबूर होना पड़ा है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसके पीछे राहुल गांधी का 3C ट्रैप एक बड़ा फैक्टर है।

राहुल का 3C ट्रैप क्या है, क्या इस वजह से मोदी 3.0 सरकार बैकफुट पर है और इसके पॉलिटिकल मायने क्या हैं;

 5 जरूरी सवालों के जवाब…

सवाल-1: क्या मोदी सरकार पिछले दो कार्यकाल की तुलना में अपने तीसरे कार्यकाल में बैकफुट पर नजर आ रही है?
जवाब: 2024 से पहले 10 साल में मोदी सरकार को सिर्फ 2 बड़े मौकों पर अपना फैसला वापस लेना पड़ा…

1. भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधनों पर पलटीः 2015 में मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में 9 बदलाव करना चाहती थी। इसके लिए लाया गया भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा में अटक गया। देशभर में विरोध भी हो रहा था। PM मोदी ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला लिया और सरकार ने 9 में से 6 प्रमुख संशोधनों को वापस ले लिया।

2. तीन विवादित कृषि कानूनों की वापसी: सरकार ने सितंबर 2020 में तीन नए कृषि विधेयक पारित किए। किसानों ने इन कानूनों का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े बिजनेसमैन की दया पर निर्भर हो जाएंगे। कई महीनों तक आंदोलन चला। करीब 10 महीने बाद 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया।

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल को अभी तीन महीने भी पूरे नहीं हुए और 5 बड़े फैसलों पर पुनर्विचार करना पड़ा है।

सवाल 2: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में किन 5 बड़े मुद्दों पर सरकार को पुनर्विचार करना पड़ा या यू-टर्न लेना पड़ा?
जवाब: लेटरल एंट्री, वक्फ बिल, ब्रॉडकास्ट बिल, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और रिजर्वेशन से जुड़े मुद्दे पर पीछे हटना पड़ा।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 4 जून के बाद जनता की शक्ति प्रधानमंत्री की शक्ति पर हावी हो गई है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (इंडेक्सेशन) बिल, वक्फ बिल को JPC के पास भेजना, ब्रॉडकास्टिंग बिल, लेटरल एंट्री का रोलबैक इसका उदाहरण है।’ हालिया फैसले ‘UPS’ में ‘U’ का मतलब है मोदी सरकार का यू टर्न।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई का कहना है कि कर्नाटक में इसी साल कांग्रेस सरकार ने पुराने पेंशन सिस्टम को लागू कर दिया था। कई विपक्षी दल हर चुनाव से पहले पुरानी पेंशन को बहाल करने की बात करते हैं। NDA सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का ऐलान कर विपक्ष के हाथ से एक मुद्दा छीनने की कोशिश की है।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं कि अपना फैसला वापस लेने का मतलब है कि मोदी 3.0 सरकार को लगा कि उसकी स्ट्रैटजी सही नहीं है। यही वजह है कि सरकार इन मुद्दों पर अपनी स्ट्रैटजी को बदल रही है।

सवाल-3: मोदी 3.0 सरकार विपक्ष के आगे बैकफुट पर क्यों नजर आ रही है?
जवाब: पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक 3 वजहों से मोदी 3.0 सरकार अपने एजेंडे को लागू करने में बैकफुट पर नजर आ रही है…

1. सरकार को असुरक्षा की भावना: BJP को सरकार चलाने के लिए गठबंधन दलों के साथ की जरूरत है। NDA के घटक दल काफी सधी हुई राजनीति कर रहे हैं। वह बाहर सरकार के समर्थन में बोलते हैं। कहते हैं कि गठबंधन में सब ठीक-ठीक चल रहा है, लेकिन अंदर से सरकार पर अपने फैसले वापस लेने का दबाव बनाते हैं। लेटरल एंट्री, वक्फ बोर्ड और ब्रॉडकास्टिंग बिल के मामले में ऐसा ही देखने को मिला।

2. 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव: 2024 और 2025 में 5 प्रदेशों हरियाणा, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार में चुनाव होने हैं। सरकार इन चुनावों से पहले किसी मुद्दे पर कोई गलती करके विवाद को बढ़ने नहीं देना चाहती है। यही वजह है कि सरकार विरोध होते ही अपने फैसले को वापस ले लेती है।

3. 3C के मुद्दे पर सरकार का पूरा ध्यान: तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार को सबसे ज्यादा चुनौती 3C की वजह से मिल रही है। Caste, Census और Constitution के मुद्दे पर विपक्षी हमले की शिकार हो रही सरकार नए विवाद में फंसने से बचना चाहती है।

सवाल- 4: क्या राहुल गांधी के 3C ट्रैप में फंस गई है सरकार?
जवाब: सीनियर जर्नलिस्ट शेखर गुप्ता के मुताबिक फिलहाल मोदी 3.0 सरकार राहुल गांधी के 3C ट्रैप में फंस गई है। उसके बैकफुट पर होने की एक वजह यह भी हो सकती है। 3C ट्रैप का मतलब सेंसस, कास्ट और कॉन्स्टिट्यूशन है।

1. Census यानी जनगणना: 1881 में शुरू होने के बाद हर 10 साल में जनगणना होती रही है। केवल 1941 में विश्व युद्ध के समय जनगणना नहीं हुई। इसके बाद 2021 में कोरोना की वजह से इसे टाला गया। अब विपक्ष जनगणना के साथ ही जाति जनगणना की मांग कर रही है।

संभव है कि BJP परिसीमन से पहले जनगणना कराए और जनगणना फॉर्म में एक अलग से जाति कॉलम जोड़कर विपक्षी मांग को दबा दे। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो विपक्ष जाति जनगणना को लेकर लोगों के बीच जाएगा। इससे मोदी 3.0 सरकार को नुकसान हो सकता है।

2. Caste यानी जाति: विपक्ष लगातार जाति के मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है। लेटरल एंट्री पर राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं के विरोध के बाद सरकार का यूटर्न इस ओर इशारा करता है। रिजर्वेशन से छेड़छाड़ नहीं करने की सलाह गठबंधन दल भी सरकार को दे रहे हैं।

यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के SC-ST रिजर्वेशन पर किए गए टिप्पणी को सरकार ने लागू करने से मना किया है। महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार जैसे राज्यों में चुनाव होने हैं। इससे पहले मोदी 3.0 सरकार जाति के मुद्दे पर संभल कर चलना चाहती है।

3. Constitution यानी संविधान: 18वीं लोकसभा सत्र के पहले दिन राहुल गांधी ने लोकसभा तक संविधान की किताब हाथ में लेकर मार्च किया। उन्होंने कहा कि PM मोदी और गृह मंत्री अमित शाह संविधान को कमजोर कर रहे हैं, लेकिन संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

शेखर गुप्ता के मुताबिक मोदी 3.0 सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि अगर सरकार संविधान में कोई बड़ा बदलाव भी करना चाहती है तो इससे पहले उसे विपक्ष की व्यापक सहमति की जरूरत होगी। सहयोगी दलों और विपक्षी दलों से सहमति बनाए बिना सरकार संविधान में कोई बड़ा बदलाव करने से डरेगी।

सवाल 5: मोदी 3.0 सरकार के बैकफुट पर जाने के क्या मायने हैं और इससे सरकार को क्या नफा-नुकसान हो सकता है?
जवाब: रशीद किदवई बताते हैं कि सरकार का एक इकबाल होता है। 2014 के बाद जो PM मोदी कड़े फैसले आसानी से ले लेते थे, अब वही नरेंद्र मोदी कड़े फैसले लेने के बाद यूटर्न ले लेते हैं।

मोदी 3.0 सरकार में किसी गठबंधन सरकार के काम करने के तौर-तरीके नजर आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि अपने फैसले वापस लेने पर सरकार को कोई पछतावा भी नहीं होता है। सरकार के पास जोखिम, बड़े फैसले लेने की इच्छाशक्ति होगी, लेकिन बहुमत नहीं होगा। बाकी गठबंधन सरकारों की तरह यह सरकार शॉर्ट टर्म स्ट्रैटजी और सर्वाइवल को ध्यान में रखकर ही फैसले लेगी।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं कि सारा खेल परसेप्शन का है। सरकार अगर इस तरह अपने फैसले वापस लेती है तो लोगों को लगेगा कि मोदी 3.0 सरकार एक कमजोर सरकार है। जबकि अक्सर गठबंधन दलों पर निर्भर सरकार ही ज्यादातर आम लोगों के हित में फैसला लेती है।

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