ग्वालियर : UPI बना पुलिस का नया मुखबिर !
UPI बना पुलिस का नया मुखबिर, अब अपराधियों तक पहुंचने में कर रहा मदद
यूपीआई यह सिर्फ आम लाेगों के लिए सुविधाजनक ही नहीं बल्कि पुलिस के लिए भी अपराधियों के खिलाफ मुखबिर का काम कर रहा है। पुलिस को अपराधियों तक पहुंचने के लिए अहम सुराग मिल रहे हैं। इस खबर में पढ़िए यूपीआई किस तरह से पुलिस के लिए मददगार साबित हो रहा है।
- यूपीआई के जरिए ग्वालियर पुलिस आरोपितों तक पहुंच रही है।
- अपराध के कई केसों को पुलिस ने यूपीआई मदद से सुलझाया।
- लूट के लिए कुख्यात मेवाती गैंग का भी UPI से मिला सुराग।
यूपीआई (यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस)… जिसके जरिये आसानी से सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि देश के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को पैसा भेज सकते हैं। बिल भुगतान से लेकर इंश्योरेंस की किश्त, क्रेडिट कार्ड का बिल और न जाने कितने ही भुगतान आसानी से कर सकते हैं।
यह सिर्फ आम लाेगों के लिए सुविधाजनक ही नहीं बल्कि पुलिस के लिए भी अपराधियों के खिलाफ मुखबिर का काम कर रहा है। पुलिस को अपराधियों तक पहुंचने के लिए अहम सुराग मिल रहे हैं। यूपीआई किस तरह से पुलिस के लिए मददगार साबित हो रहा है, इसे समझने के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट..
केस-1 : ऑनलाइन भुगतान से मिला सुराग, पकड़ी गई मानव तस्करी करने वाली गैंग
19 अगस्त को सरोज वंशकार को शराब पिलाकर सत्यनारायण जाटव और उसकी पत्नी नीलम 3 वर्षीय बेटे व 15 दिन की बेटी का अपहरण कर ले गए। बच्चे को उप्र के करहल और बच्ची को भिंड में बेचा।
सत्यनारायण ने एक गलती की, उसने जहां महिला को शराब पिलाई, वहां दुकान पर ऑनलाइन भुगतान किया। यहां से उसका नंबर मिल गया, इससे लोकेशन ट्रैस हुई और पुलिस आरोपितों तक पहुंच गई। बच्चे मुक्त करा लिए।
केस- 2 : फास्टैग से टोल टैक्स कटा, देशभर में लूट करने वाली मेवाती गैंग का मिला सुराग
ग्वालियर में एक ही रात में 3 एटीएम काटकर करीब 45 लाख रुपये लूटने वाली मेवाती गैंग कार पर फर्जी नंबर प्लेट लगाकर वारदात करती थी।
धौलपुर टोल से जब आरोपित क्रेटा कार से निकले तो इसमें फास्टैग से टोल कटा। यह पे-वॉलेट एक आरोपित के मोबाइल नंबर से जुड़ा था। पुलिस को सुराग मिला और यह गैंग पकड़ी गई।
केस-3 : पानी की टिक्की के ठेले पर ऑनलाइन भुगतान से मिला सुराग
शहर में करीब पांच माह पहले लूट की ताबड़तोड़ वारदात करने वाले दो लुटेरे पकड़े गए थे। पड़ाव में लूट करने के बाद हजीरा में ठेले पर रुककर पानी बताशे खाए थे। 20 रुपये का भुगतान करने क्यूआर कोड स्कैन किया। सुराग मिला,लुटेरे पकड़े गए।